अमन जो बाहर ही खडे सन्ध्या जी का वैट कर रहा था, संध्या जी को आते देख उनके पास आकर कुछ पूछ ने को था के उनका चेहरा देख और कुछ पूछ ने की हिम्मत नहीं कर पाया।
"आप ठिक है आंटी"?? बस इतना पूछ वो वहीं उनके सामने ही रुक गया।
"उसके साथ रहना ।"बस इतना ही बोलते हुए सन्ध्या जी अमन के गालों को हलका सहलाते हुए वहां से चले ही जा रहे थे के सन्ध्या जी के बहेते आंसुओं को देख अमन गुसेसे बोला...
"आप के बेटे को किसी को साथ की ज़रूरत हे क्या???? वो खुद ही काफी हे खुद की और दूसरों के ज़िंदिगी में तूफान लाने केलोए।" .... फिर सन्ध्या जी के आंसुओ को पोंछ ते हुए थोड़ा मजाकिया अंदाज़ से बोला....
"कभी कभी तो मुझे सक होता ही के वो बीना हाड मांस का इंसान... आप जेसे मासूम सी और फूल जेसे कोमल औरत का बेटा केसे हो सकता हे..... कहीं आप उसे कहीं से उठाकर तो नहीं लाए थे???"
ऐसे ही कुछ बीना सर पैर की बात किए वो सन्ध्या जी के तरफ दिखा तो सन्ध्या जे को होठों पे थोड़ी मुस्कुराहट थी..... ये देख अमन भी मुस्कुरा दिया और संज्ञा जी को लिफ्ट तक छोड़ राजवीर के कमरे के अंदर जानें लगा।
कमरे के अंदर जाते ही कमरे के अंदर की हालत देख अमन तो जेसे shock 😲 में ही खड़ा होगया। पूरे कमरे की हालत कुछ ऐसी थी जीस की थोड़ी ही देर में कोई सुनामी वहां से छूं कर गई हे।
पूरे कमरे की सारी चीज़ें टूटे बिखरे पड़े थीं। फ्लावर वाश से लेकर सेंटर टेबल तक सब कुछ निस्तों नाबूत हो चुका था। यहां तक के दीवार पे टंगी हुई एलईडी भी राजवीर के केहर से बच नहीं पाया था। खून के बूंदे यहां वहां गिरी हुई थीं।
अमन परेशान हुए इधर उधर देख ने लगा तो चेंजिंग रूम के तरफ उसको नज़र गई। चेंजिंग रूम का डोर हलका खुला था और रुम धुएं से भरा हुआ था। अमन टेनशन के मारे भाग ता हुआ चेंजिंग रुम के तरफ गया तो.... राजवीर रॉयल ब्लू कॉलर का जोध पूरी सेरवानी पहने एक हाथ में सिगरेट ओर एक हाथ में मोबाइल लिए वहां पर पड़े एक सिंगल सोफे के ऊपर आराम से बैठा हुआ अपने मेल चेक कर रहा था। सामने पड़े सेंटर टेबल पर एक wine bottle रखी हुई थी जो के लगभग खत्म होने को था। जिस हाथ में उसने मोबाइल पकड़ रखी थी वो खून से लतपत था, जो के बस एक रुमाल से लिपटा हुआ था।
"राज ... राज...बोल ते हुए चेंजिंग रुम में पहचा तो राजवीर जो आराम से बैठा मेल चैक कर रहा था एक बीना भाव की नजर अमन पर डाल फीर मोबाइल पर नजरें गड़ा दी।
राजबीर को ऐसे शांत बैठा देख अमन तो जेसे गुस्से से खून के घूंट पीने लगा था... पर वो राजबीर को कहां कुछ बोल पाता .... बस मन ही मन बोला.....
"कभी कभी तो मुझे ये इनसान स्प्लिट पर्सनेलिटी का शिकार लगता हे....... बताओ तो ... सेरवानी पहनें ६फीट २इंच हाइट, सलीके से सेट किए बाल, ये सुपर मॉडल बॉडी के साथ सुपर मॉडल चेहरा लिए सांत बैठा ये सक्स जो चुप चाप अपना काम कर रहा है, इस कमरे में ये सुनामी यही सक्स लाया ही।"... फिर थोड़ा रुक ते हुए बोला...
"कौन यकीन करेगा मेरी बात को"
"चलें.... निचे मंडप में सब वैट कर रहे हैं। थोडी वक्त के बाद महुरत भी खत्म हो जाएंगी। अमन अपना गुस्सा दबाते हुए बोला तो अमन घडी को देख ते हुए अपने बाकी बचे ड्रिंक को खत्म करने लगा तो.... अमन अपना सर पकड़ ते हुए बोला...
"क्या ये अपने पैरों पे चलके सादी के मंडप तक पहुंच पाएगा ।...."फिर खुद से ही झल्ला ते हुए बोला...."क्या बात कर रहा है अमन... ये राजवीर राठौड़ हे .. पुरा मेखाना खाली करने के बाद भी , ये दुनिया जितनेकी ताकत रखता हे।"...... फिर एक गहरी सांस लेते हुए बोला..."फिर ये दो कदमों का फासला ते कर ते हुए मंडप तक का रास्ता क्या ही हे"!!!
अमन खुद से बात कर ही रहा था के राजवीर आ कर उसके सामने खड़ा होते हुए साइड देने केलिए इसारे करने लगा।
ये देख अमन जल्दी से साइड होते हुए हाथों के इशारों के साथ " प्लीज "बोला।
राजवीर उसके तरफ एक तिरछी नजर फेंक ते हुए बोला...
"नौटंकी बन्द कर, और चुप चाप चल.... बिक्रम राज राठोड़ को देरी पसन्द नहीं हे"।
ये सुन अमन गुस्से से बोला...."क्या देरी मैने किया हे??"
"नहीं लेकिन... बिक्रम राठौड़ का केहर तुझ पे बरसे गा। ये पक्का है।"इतना बोल राजबीर तो बीना किसी भाव के वहां से चला गया.... लेकिन अमन के आंखों के आज बस बिक्रम ज़ी की धमकी और उस लडकी का चहरा घूम ने लगा।
ये सोच अपने सर को झटक ते हुए अमन एक ही सांस में राजबीर के पिछे भाग ने लगा।
सन्ध्या जी जो अभि अभि राजबीर से मिलकर आए थे, होटल के लबी में बेठे हुए बस राजवीर के उस आंसू,दर्द, नफरत और गुस्से भरे चेहेरे को ही याद कर रहे थे। उन्हे किसी और चीज का जेसे होश ही नहीं था।
"दीदी प्रणाम"... बोल ते हुए किसीने उसके पैरों को हाथ लगाया तो वो अपने ख्यालों से बहार आई।
जेसे ही उन्हे ये आभास हुआ के उनके सामने खड़ी हुई वो सक्स कौन हे.... गुस्से और नफरत में उन्होंने अपने हाथों की मुट्ठियां बांधे अपनी आंखे बंद कर दी।... अचानक राजवीर का वो रुद्र रूप उसके सामने आगया।
वो खुद से ही बोल ने लगे....."अगर राजवीर को पता चल गया तो ...."आगे वो ना कुछ सोच पाए नहिं कुछ बोल पाए।
अंदर के गुस्से को दबाते हुए और बेहेचले आसुओं को पोंछ ते हुए वो खुद को राज़ी कर ने लगे उस सक्स का सामना करने केलिए, जिसके साथ उन्होंने अपने जिन्दगी के बेहेतरिन २२ साल गुजारे थे , जिसके साथ उनका खून का रिश्ता था...... उनकी अपनी छोटी बहन।
डीप स्लीव लेस ब्लाउज के साथ एक सिफोन की सारी पहने....जो को उसके परफेक्ट फिगर को और भी परफेक्ट बना रही थी। शर्ट हेयर, सिर से लेकर पांव तक डायमंड ज्वेलरी से लदी हुई, होंठ पर रेड लिपस्टिक के साथ एक कुटिल मुसकान लिए और हाथों में एक गिफ्ट बॉक्स पकड़े शालिनी खड़ी थी।
"कैसी ही आप दीदी" झूठे चिंता के साथ सालिनी ने सन्ध्या के पैर छू ते हुए पूछा तो सन्ध्या जी ने एक बेहद नफरत और गुस्से भरे अंदाज़ में जवाब दिया....
"में तो ठिक हूं लेकिन अगर राजवीर को तुम्हारे यहां आने के बारे में पता चल गया तो सायद तुम ठिक ना रहो... तो प्लीज़ में तुम से बिनती करती हूं के यहां से चली जाओ।"ये बोलते हुए सन्ध्या जी वहां से उठ ने लगे तो.....
" बड़ी मां" बोल ते हुए शक्ति ने उन्हे गले से लगा लिया। उसे देख सन्ध्या जी की तो बाकी रही सही हिम्मत भी टूट गई थी।
"बड़ी मां"... में तो बस अपने बिग ब्रो की शादी में सामिल हो... उन्हे विश कर ने आया था।.. आप बड़ों के झगड़ों में हम बच्चों की क्या गलती "। बोलते हुए शक्ति शालिनी के तरफ एक डेविल स्माइल देते हुए सन्ध्या के पैर छुने लगा।
फिर शक्ति परेशान अंदाज़ से संध्या जी को सर से लेकर पांव तक देख ते हुए बोला...
."बड़ी मां आप का चहरा कितना मुरझा गया है !
"संधा जी उसे बिना किसी भाव के देख ने लगे और धीरे से बोले..."में ठिक हूं .... तुम चिंता मत करो।
"संधा जी की बात सुन शालिनी चेहेरे पे झूठी चिंता की लकीर लिऐ बोली....
"अरे.... कैसे ठिक है.. बिल्कुल दुबली हो गई हैं आप। पता हे ... राजबीर के ही चिंता खाई जा रहि हे आप को।"
थोड़ा नाक सिकुड़ ते हुए बोलि...." राजबीर जैसा अड़ियल बेटा भगवान किसी दुसमन को भी ना दें।"
ये सुन संध्या जी गुस्से से कुछ बोल ने ही जा रही थी..
"शालिनी... दिमाग तो ठिक हे तुम्हारा? विजय जी पिछे से चिल्ला ते हुए बोले। बिजये जी को देख थोडी देर केलिए तो शालिनी सकपका गई , फिर खुद को संभाल ते हुए थोड़ा सरमाते हुए बोली ....
"बड़ी बेहेन हे मेरी.. चिंता तो होगी ना। और हां... आप बस मेरे ही नहीं दीदी की भी पति हैं.. इसलिए थोड़े दीन केलिए मेरे पल्लू छोड़ कर दीदी के तबियत पर ध्यान दीजिए।"फीर थोड़ा विजय जी के करीब आते हुए बेसर्मी भरे अंदाज़ से बोली.."पता हे मेरे बागेर आप की रातें नहीं कटती.. आप बोले तो दीदी केलिए में राठौड़ बिल्ला में भी शिफ्ट जो जाऊंगी... तो मेरे साथ साथ आप दीदी का भी खयाल रख सकते हे।"
ये बोल ते हुए उसने विजय जी के तरफ़ दिखा तो उनकी नजर सन्ध्या जी पर थी और संध्या जी को आंखे बंद ।
विजय जी कुछ गुस्से से सालिनि के तरफ देख संध्या जी के पास आते हुए उन्हे कुछ बोल ने ही वाली थी के संध्या जी उन्हे बिना दिखे बोले..
"जितनी जल्दी होसके इन्हें यहां से भेज ने का इंतजाम कीजिए .. ।""
इतना बोल वो एक जहेर भरी नज़र बिजये जी पे डाल वहां से जाने लगे ....तो कुछ सोच फिर रुक गईं और शालिनी के तरफ एक नफरत भारी नज़र डाल ते हुए बोली....
"अगर अपनी बडी बहन की इतनी फिकर होती तो उसके ही पति और अपने जीजाजी के साथ नाजायज रिश्ता नहीं बनाती।" फिर बेहद गुरुर के साथ उसके नज़रों से नज़रे मिलाते हुए बोलि...
"जितना भी तुम्हारे पल्लू पकड़े घूमे... जितने रातें तुम्हारे साथ गुजार लें ... चाहे राठौड़ बिल्ला में ये मेरे साथ रहे ना रहें ... Mrs संध्या विजय राठौड़...mr विजय राठौड़ की लीगली वेडेड वाइफ में ही रहूंगी।... और तुम...."
और फिर थोड़ा ठहरे , अपने हर एक लफ्जों पर जोर डाल ते हुए बोलि....
"और तुम दुसरी औरत ही रहोगी। नाही में कभी इन्हे डाइवोर्स दूंगी और नाही तुम कभी वो रिस्पेक्ट पाओगी।"
फिर जाते जाते एक नजर शक्ति और एक नजर शालिनी पर डालती हुई तेज आवाज से बोल ने लगी...
"अगर मेरे अड़ियल बेटे को तुम लोगों के यहा होनी का पता चल गया तो.... अड़ियल इनसान कुछ भी कर सकता हे।"ये बोल ते बोल ते वो लिफ्ट तक जा चूके थे।
और पीछे तीनो खडे बस उन्हे ही देख रहे थे।
विजय जी कुछ वक्त ऐसे ही संध्या जी को जाते हुए देख एक नजर शालिनी और उनके बेटे के ऊपर डाल वहां से चले गए।
शालिनी उन्हे देख बस दांत मिंज ते हुए बोलि...
"ये तो वक्त ही बताएगा दीदी... बस कुछ दिन इंतजार कर लीजिए। जितनी हिम्मत बाली आप खुदको दिखा ने की कोशिश कर रही हे उतनी आप ही नहीं।"
फिर शालिनी शक्ति के तरफ देख ने लगी तो शक्ति बड़े ही मजाकिया अंदाज़ से बोला...."डैड का धोखा तो बडी मोम बर्दास्त नहीं कर पाई और सीधे राठौड़ बिल्ला के टैरिस ही कूद गईं... और बेचारे बिग ब्रो आधे पागल हो गए।"
ये सुन शालिनी हस ते हुए बोलि..
"उस दिन तो दीदी की किस्मत अच्छी थो के बच गईं... पति के धोखे से तो आधा मर चुकी है, बाकी आधा इनके पागल बेटे कि नफरत ही इन्हें तिल तिल मार डालेगी।"
शक्ति उनका साथ देते हुए मु बनाकर बोला...
"बेचारी बड़ी मोम.... कितना तड़प रही हे अपने बेटे के प्यार केलिए.....।"
फिर ऊपर देख ते हुए मजाकिया लहज़े से बोला..
"है भगवन पूरे दुनिया में क्या कोई नहीं......जो बडी मोम और उनके उस अड़ियल पागल बेटे के बीच सबकुछ ठिक कर सके।".... बोल ते हुए दोनो मां बेटे सैतनो के तरह हसने लगे।
पर.... वो बोल ते हैं ना के कभी कभी सैतानो की दिल की ख्वाइश भी भगवन पूरी कर देते हैं।
जब शक्ति के मुं से संध्या जी केलिए ये दुआ निकली....
तभी होटल के स्टाफ में से किसीने कान्हा जी के मूर्ति के पास दिया जलाया..... और तभी पंडित जी ने मंडप से आवाज दिया.....
"यजमान .... महुरत निकलने वाली हे। दुल्हा दुल्हन को बुलाइए।"
और तभी....... किसीने दुल्हन की रुम खिल ते हुए पुछा ....... मेहेक तैयार हो गई????"
To be continued
क्या शक्ति और शालिनी का ये अनजाने में मांगी हुई दुआ पूरी होगी????
क्या मेहेक ही बनेगी राजबीर और संध्या जी को जोड़ ने की कड़ी?????