बिक्रम जी के बुलाने पर अमन पिछे मुड़ ते हुए एक बेचारगी भरी स्माइल देते हुए , जी दादा जी बोल बिक्रम जी के सामने खड़ा हुआ।
"बेटा.... राजवीर को बस बुलाना नहीं हे, बल्के अपने साथ उसे मंडप तक लेकर आना हे।"बिक्रम जी कुछ समझा ते हुए बोले।
अमन फिर से "जी दादा जी" बोल ते हुए वहां से रुकसत होने ही जा राहा था बिक्रम जी उसे रोक ते हुए फीर बोले पड़े.....
"और अगर आप १५ मिनिट में राजवीर को मंडप में नहीं लेके आए तो......."
ये बोल बिक्रम जी रुक गए तो अमन सवालिय नज़रों से मासूम सकल बनाते हुए पुछा...
"तो क्या होगा दादा जी"??
बिक्रम जी एक धमकी भरे अंदाज से देख ते हुए अमन को बोले....
"तो इस मंडप में राजवीर की शादी हो ना हो.... आप की शादी ज़रूर होगी"।
ये सुन अमन शॉक्ड हुए बिक्रम जी को देख ने लगा तो बिक्रम जी बेहद शांत अंदाज़ से इशारा कर बोले ....
"और पता हे आप की दुलहन कौन होंगी "
ये बोल गेस्ट में से एक लडकी के तरफ इशारा करती हुए बिक्रम जी अमन को दिखाने लगे।
बिक्रम जी के नज़रों का पीछा कर ते हुए मंडप के एक कोने पर अमन की नज़रे ठहर गई। एक २० या २५ साल की लग भग १५० किलो कि एक लडकी हाथ में पकड़े हुए प्लेट पर तकरीबन सारे डिशेस सर्व किए बहत इत्मीनान से सफाचट कर रहि थी।
अमन ने एक नजर उस लडकी के तरफ डाला जो के खाते खाते अमन को घूर ते हुए एक ललचाई हुई स्माइल दे रहि थी जेसे की अमन एक स्वीट डिश हो और प्लेट खत्म करनेके बाद वो उसीके पास ही आने वाली हो।
फीर अमन ने एक नजर खुद के तरफ दिखा जो के...
६ फीट का , बेहद गोरा, टाइट बॉडी, गालों में हल्के डिंपल, हल्के ब्राउनिश बाल, एक क्यूट फेस के साथ क्यूट स्माइल का भी मालिक था।
खुद को मंडप में उस लडकी के साथ इमेजिन कर ते हुए, वो खुद का सर पकड़ लेता हे और एक नजर बिक्रम जी पी डाल , वहां से लगभग भाग ते हुए वो राजवीर के कमरे के तरफ चला जाता हे।
वहां दूसरे तरफ ....
सांध्य जी विजय जी के तंज कसे बातों के जवाब देते हुए बीना उनके तरफ दिखे अपना कदम मोड़ लेती हैं।
इस वक्त उनकी जहन में बस राजवीर की चिंता घूम रहि थी। राजवीर के बारे में सोच ते सोच ते कब उनके कदम उसिके रूम तक पहुंच जाते है उन्हे पता नहीं चलता।
रूम नॉक करने ही जा रहे थे की उनके हाथ खुद ब खुद रुक जाते हैं। फीर वो खुद से ही सवाल पूछने लग ते हैं..
"क्या कर रही है संध्या, इस वक्त तेरी सकल देख ते ही तेरे बेटे के अंदर दबी हुई चिंगारी को हवा मिल जाएगी। और वोह आग बनकर तेरे साथ साथ खुद को भी जलाएगा।"
फीर थोड़ा आंखे बन्द कर उन्होंने गहरे सांस ली और वहा से जाने लगी।
"आंटी आप यहां "सामने अमन खडा उन्हे ही देख रहा था।
"मां हूं ना खुद को रोक नहीं पाई... उसे एक नजर देख ने चली आई।"सांध्य जी ने कहा तो..
"तो चलिए अंदर... किस ने रोका हे आप को।"बोल ते हुए अमन उनके हाथ पकड़ ते हुए उन्हें कमरे के अंदर लेजाने लगा।
"और... नहीं नहीं"... बोल ते हुए संध्या जी उसे अपना हाथ छुड़ाने लगी।
"पर क्यूं आंटी।"अमन थोड़ा असमंजस में पुछा।
"क्यों के जब वो मुझे देखेगा जान बुझ कुछ एसा करेगा जिससे के मुझे तकलीफ पहंचे।"फीर आंसू पोंछ वो अमन के तरफ देख बोले...
"पर मुझ से ज्यादा दर्द वो खुद को पहंचाएगा।"ये बोलते हुए वो वहा से जानें लगे तो अमन उनको रोक ते हुए बोला...
"कुछ नहीं होगा आंटी... वो वर्कोहोलिक जब काम में घुस ता हे कहीं और उसको नज़र नहीं होती... इसलिए आप धीरे से जाकर अपने हैंडसम बेटे को नजर भर देखिए और अजाइए।"अमन की कार्ड देते हुए संध्या जी के तरफ मुसकुराते हुए बोला।
संध्या जी जब रूम के अंदर पहुंचे सच मुच राजवीर एक टक लैपटॉप को देख अपना काम कर रहा था। वो थोड़ी देर वहीं खड़ी उसे निहार ने लगे। फीर खुद को संभाल ते हुए बोलि...
"क्या कर रही हे संध्या ,तेरे खुद की ही नजर तेरे बेटे को लग जाएंगी ..... बस .....घूर ना बन्द कर, और इस वोलकानो के फट ने से पहले यहां से चली जा"।
मन ही मन ये बोल ते हुए संध्या जी मुड़कर जानें वाले थे के एक रौबदार आवाज कुछ नफरत भरे अंदाज़ के साथ उनके कदमों को रोक लिया। उन्होंने कुछ डर और कुछ अफसोस के साथ अपनी आंखे बन्द करली।
क्यूं की इसके बाद जे होने वाला था,ना वो सुन सकते थे और नाही बर्दास्त कर सकते थे।
"Mrs संध्या विजय राठोड़"... राजवीर वैसे ही लैपटॉप के कीबोर्ड पर अपने उगलियां थिरकाते हुए पुकारा।
"क्या बात हे.... बीना विश किए जा रही है"। बोल ते हुए उसने लैपटॉप साइड में रखा और बार में से एक शराब की बॉटल निकाल कर खोलते हुए संध्या जी के तरफ बढ़ ने लगा।
संध्या जी तो बस खुद को ही कोस रही थी के क्यूं अमन की बात मानकर वो राजवीर के रूम में आई।
संध्या जी के तरफ आते आते वो बॉटल ऑलमोस्ट खत्म करचुका था। राजवीर कुछ लड़खड़ाते कदमों से संध्या जी के तरफ आए उनके पिछे ही खडा होगया। संध्या जी वैसे ही बुत बने खड़ी थी। राजवीर अपने चीन को संध्या जी के कंधे पर रख बेहद स्वीट अंदाज़ और मजाकिया लहज़े से बोला....
"क्या मदर इंडिया.... रोज तड़प ते थे मेरे एक नजर को .... मेरे आवाज सुननेको ... और मां होने का फर्ज अदा करने केलिए..." फीर सन्ध्या जी को अपने तरफ घुमाते हुए उनके चेहेरे को निहार ते हुए बोला...
"और आज जब आप के बेटे केलिए इतना बड़ा दिन हे आप इस कदर मुं फेरे जा रहें हैं।... नॉट फेयर मदर इंडिया।"
फीर दोनो हाथो को हवाओं में उठाए किसी राजा को तरह बोला....
" राठोड़ खानदान का एक लौता जायज वारिस और आप का एक लौता बेटा राजवीर राठोड़ की शादी हे आज... और आप के चेहेरे पे इतनी उदासी..... खुस नहीं हे आप???"
"तुम खुस हो ??"राजवीर जो आंखे बन्द किए अपने ही धुन में बोले जा रहा था सन्ध्या जी के सवाल सुन वैसे ही जम गया।
"क्या अपने इस फैसले से तुम खुस हो???"राजवीर को चुप देख कार संधा जी अपने सवाल दुबारा दहराए... राजबीर के तरफ बीना किसी भाव देख ने लगे ।राजवीर एक नजर डाल अपने मां के तरफ देख फिर एक डेविल स्माइल दिए बोला....
"खुश ??????बहत.... बहत... बहत...खुस हूं।"फीर थोड़ा रुक.. अपने दांतों को मिंज ते हुए बेहद नफ़रत भरे लहजे से बोला...."इस शादी के साथ में आप के पति विजय राठौड़ और उनके उस नाजायज फैमिली के बरबादी का दास्तां लिखने वाला हूं ।"ये बोल राजवीर सन्ध्या जी को कुछ नफ़रत और कुछ आंसू भरे नज़रों से देख ने लगा।
पर सन्ध्या जी तो बस अपने बेटे को आंखो में वो दर्द और बेचैनी ही देख पा रहे थे।
कुछ पल केलिए सबकुछ भूले बस मां को ममता में लिपटी,धीरे से अपना हाथ उठाए वो राजवीर के आंसू पोंछ ने जा ही रहे थे के राजवीर मजबूती से उनके हाथ पकड़ ते हुए बोला....
"डोंट यू डेयर Mrs राठोड़ ..... गलती से भी मुझपर अपने ये so called ममता लूटा ने की कोसीस मत कीजिएगा। ये प्यार आप अपने पति के नाजायज बेटे केलिए रखिए। फ्यूचर में उसे इसकी बेहद ज़रूरत पड़ने वाली ही ... जब में उसे पाई पाई का महुताज बनाडूंगा।"
इतना बोल वो सन्ध्या जी के तरफ पीठ कर खडा हो गया।
सन्ध्या जी बीना कुछ कहे वहां से जानें लगे तो राजबीर बेहद थके हुए अंदाज़ ओर धीमे सुर से बोला...
"Mrs राठोड़..... प्यार, ममता, केयर कि जरुरत ९ साल के बचे को होती हे...२६ साल के फौलाद को नहीं।.......आप के उस ९साल के बेटे और आज के २६ साल के राजवीर राठौड़ के बीच १७ साल का फासला है....."।
फीर थोड़ा खामोश हुए उसने अपनी आंखे बन्द कर दी। जेसे के उन कुछ पलों में वो उन १७ सालों को याद कर रहा हो। फिर खुद को संभाल ते हुए वो बोला..
"नहिं उस ९ साल के राजबीर का बचपन आप वापस कर सकते हैं और नहिं २६ साल के राजबीर का सुकून । आप अगर कुछ कर सकतें हैं ... तो चुप चाप बैठे तमासा देख आंसू बहा सकते हैं...... तो वही कीजिए।"
ये सुन सन्ध्या जी सिसकते हुए और कुछ बोल ते... राजवीर अपने एक गहरी आवाज़ से बोला...
"विल यू प्लीज लीव Mrs राठोड़??... मुझे अपने शादी केलिए रेडी होना हे।"
फिर भी सन्ध्या जी वही खड़ी रहीं ....
कुछ वक्त रुक राजवीर उसके तरफ पलट ते हुए चिल्ला कर बोला...
"आई सेड लीव......"।
ये बोल ते हुए राजवीर गुस्से से कांप रहथा। सन्ध्या जी उसके आंखो में दर्द भरे आंसुओ के साथ साथ इतनी नफरत की आग देख रहे थे के.... उसको उन नज़रों से ही आस पास सब कुछ जल कर तहस नहस हो जाए।
सन्ध्या जी उससे नज़रे घुमाते हुए अपने कदम रूम से बाहर लेने लगे। जाते हुए बस उन्हे चीजें टूट ने को आवाजें सुनाई दे रही थी। लेकिन फिर से मुड़ अपने बच्चे को वो रूप देखनेकी ताकत नहीं थी उनमें।
To be continued
१७ साल पहले उस रात ऐसा क्या हुआ था के राजवीर के जेहेन में इतना दर्द और नफरत भरता चला गया????
राजवीर करेगा ये शादी या कहानी में आएगा कोई नया मोड़?