कलयुग में हनुमान जी एक जागृत देव हैं । इस युग में भी बहुत सारे साधक हनुमान जी का दर्शन प्राप्त करने का दावा करते हैं । भारत के हर राज्य में इनका मंदिर है। मंगलवार और शनिवार को इनकी पूजा हर प्रांत में देखने को मिलता है। हनुमान जी का पूजा और ध्यान से साधक के अंदर वीर भाव जागृत होता है। जीवन से आलस्य दूर होता है, कुछ कर गुजरने का चाहत जागरूक होता है इसके साथ मन से निराशा दूर होकर जीवन आनंदमेंय से गुजरने लगता है। जो साधक इनकी सिद्धि पाना चाहते हैं उनकी दर्शन करना चाहते हैं उनको पूर्णरूप से स्वयं को हनुमान जी के प्रति समर्पित करना होता है। हनुमान जी के ऊपर पूर्ण श्रद्धा और विश्वास से इनकी साधना करने पर सिद्धि अवश्य ही प्राप्त होती है। पूजा के समय या साधना करते समय लाल वस्त्र का उपयोग करना चाहिए। उनको पूजा और साधना के समय फल , फूल अर्पण करें।
मंत्र -ॐ नमो हनुमंत वीर प्रत्यक्ष दर्शन देही देही शिव मंत्र गुरु की शाक्ति फुरो मंत्र ईश्वरोवाचा।।
साधना के ४१ दिन तक और सिद्धि प्राप्त तक ब्रह्मचारी से रहना अति आवश्यक है। जो पारिवारिक सांसारिक लोग हैं बह सिर्फ साधारण पूजा करें तांत्रिक पूजा करने की चेष्टा ना करें। इस साधना को करने के लिए किसी भी मगंलवार को चुने। साधना सुबह या रात्रि को कर सकते हैं। आपका समय के अनुसार चुनाव करें ।किस समय में प्रभु वीर हनुमान को आप सेवा कर सकते हैं। जिस कमरे में आपको साधना करना है, पहले उस कमरे को साफ-सुथरा कर ले। पूजा के समय साधना के समय धूप -अगरबत्ती प्रज्वल्लित करें। सात बार गुरुमंत्र पढे और गणेश जी का सात बार मंत्र पढ़कर सिद्धि के लिए प्रार्थना करें। इसके बाद रुद्राक्ष माला से इस मंत्र का जाप आरंभ कर दे।
आप अपने सामर्थ्य के अनुसार मंत्र जप की संख्या निर्धारित कर सकते हैं।
प्रतिदिन १० माला मंत्र जाप करने की चेष्टा करें। इस साधना के आरंभ होने के कुछ दिन बाद आपको हनुमान जी आपको विचलित करने के लिए कुछ अनुभव करा सकते हैं। इस सब को ध्यान ना दे और अपना साधना पूर्ण करने की चेष्टा करें। । साधना में मंत्र जप की संख्या एक समान रखे और प्रतिदिन एक ही समय पर मंत्र जप करें।
मन में द्रढ़ संकल्प और हनुमान जी के प्रति भाव सच्चा होना चाहिए। इस साधना की प्रभाव से हनुमान जी ७ से ४१ दिन के अंदर आपको दर्शन जरूर देगें और आपकी हर मनोकामना पूर्ण करेंगे। हनुमान जी प्रकट होकर वरदान मांगने के लिए कहे तब बिना डरे उनसे अपनी मन मुताबिक वरदान मांग ले। एक बात ध्यान दें हनुमान वीर कभी भी सौम्य रूप में दर्शन नहीं देते। जब वो किसी को दर्शन देते है तो उनका रूप विकराल होता है। हनुमान जी को देखकर कभी भी डरे नहीं और कभी भी आसान छोड़कर भागना नहीं चाहिए। जब भक्त बिना डरे उनके सामने हाथ जोड़ कर विनती करता है तभी हनुमान जी सौम्य रूप धारण करते हैं और सौम्य रूपधारण करने के बाद हसमुख से आपको प्रश्न करेंगे आपको क्या चाहिए क्यों उनको बुलाया है। इस प्रश्न के जवाब में आपको उनको उत्तरदेना है। आप अपनी किस इच्छा को पूर्ति करने के लिए आप उनको कष्ट दिया है। एक बात और मंत्र जाप जब तक पूरा ना हो अपनी सुरक्षा चक्र रेखा से बाहर कभी ना आए चाहे दुनिया इधर की उधर हो जाए। मंत्र जाप पूरा होने के बाद घेरे के अंदर कुछ समय विश्राम ले फिर बाहर आए। मंत्र जाप के समय अगर कुछ डरावनी दृश्य देखने को मिले इससे डर कर अगर आप आसन छोड़कर भागते हैं तो आपको घोर दुष्परिणाम भोगने को पड़ेगा।।