Kinkari Sadhana in Hindi Spiritual Stories by RAVI KISHAN books and stories PDF | किंकरी साधना

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किंकरी साधना

साल १९९०  की बात है, एक छोटे से गाँव में एक लड़का रहता था जिसका नाम अर्जुन था। अर्जुन एक साधारण किसान था, लेकिन उसके मन में गहरी आध्यात्मिक जिज्ञासा थी। वह हमेशा से यह जानना चाहता था कि जीवन के रहस्यों को कैसे समझा जाए और कैसे अपनी इच्छाओं को पूरा किया जाए। गाँव में एक पुराना मंदिर था, जहाँ लोग अपनी समस्याओं के समाधान के लिए आते थे। अर्जुन ने सुना था कि वहाँ रवि किसान नाम का सिद्ध योगी रहता है। जो भूतों और आत्माओं की सहायता से लोगों का इच्छाओं की पूर्ति करता है और उनके समस्याओं का समाधान करता है।

एक दिन, अर्जुन ने तय किया कि वह सिद्ध योगी रवि किसान से साक्षात्कार करेगा। दूसरे दिन रविवार था उसके पास इस दिन कुछ काम धाम नहीं था इस लिए उसने गाँव के पुराना मंदिर में सिद्ध योगी से साक्षात्कार करने चला गया। वहां रवि किसान से अर्जुन का भेंट हुआ और दोनों बातचीत में मग्न हो गए। इस बीच अर्जुन ने साधना के विषय में कुछ जानकारी मांगा तब रवि किसान ने उसे बताया कि इन दिव्य शक्तियों को प्रसन्न करने के लिए विशेष मंत्रों और अनुष्ठानों का उपयोग किया जाता है। उसने अर्जुन को बताया कि साधना के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार रहना अति आवश्यक है। सारी जानकारी हासिल करने के बाद वह उनसे बिदा लिया।

अर्जुन ने अपनी साधना की तैयारी शुरू की। उसने एक शांत स्थान का चयन किया, जहाँ वह बिना किसी विघ्न के साधना कर सके। उसने आवश्यक सामग्री इकट्ठा की, जैसे दीपक, फूल, चंदन, और विशेष मंत्रों की एक सूची। उसने अपने मन को शांत करने के लिए ध्यान करना शुरू किया और अपने इरादों को स्पष्ट किया।

एक अमावस्या की रात, अर्जुन ने अपनी साधना शुरू की। उसने दीप जलाया और फूलों को दिव्य शक्ति को अर्पित किया। उसने मंत्र का उच्चारण करना शुरू किया:

ॐ ह्लीं क्लीं क्ली....

हर बार जब उसने मंत्र का उच्चारण किया, तो उसे एक अद्भुत अनुभव हुआ। उसे लगा जैसे चारों ओर एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो रहा है। उसने अपनी इच्छाओं को स्पष्ट रूप से व्यक्त किया, जैसे कि वह अपने परिवार के लिए समृद्धि और स्वास्थ्य चाहता था।साधना के दौरान, अर्जुन ने महसूस किया कि उसके चारों ओर एक हल्की सी ठंडक है। अचानक, उसे एक अद्भुत आवाज सुनाई देने लगी।"ठंडी हवा बहने लगे।"चारों ओर मंत्र मुक्त करने वाला सगंधित  खुशबू की धारा आने  लगी।

अर्जुन इन सब अनुभव को देखकर थोड़ा सा डर गया फिर भी वह मन ही मन  हिम्मत जुटाई और कहा, "मैं तैयार हूँ।"

दिव्य शक्ति ने अर्जुन को एक के बाद एक भयानक दृश्य दिखाने लगी। समय बीतने के साथ-साथ और भी भयानक से भयानक दृश्य दिखने  लगे।एक रात के भीतर इस कठिन साधना को जैसे भी पूरा करना था।  यदि वह सफल होता है, तो उसकी इच्छाएँ पूरी होंगी। अर्जुन ने पूरी रात इन वाधाओ को सामना करने की कोशिश की। उसने अपने हिम्मत दिखाई और डर को काबू किया और अंततः वह सारे वाधाओ को पर कर गया।

जब  अर्जुन ने सारे परीक्षा पास कर ली  तो अर्जुन के सामने वाला पेड़ से एक दिव्य शक्ति प्रकट हई।

अर्जुन की मेहनत और साधना का फल मिला। उसके परिवार में समृद्धि आई, और उसके जीवन में खुशहाली छा गई। उसको  स्टील अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया लिमिटेड पर नौकरी मिला। नौकरी करने के साथ-साथ वह  साधना को जारी रखा और दूसरों का भी भिलाई का काम अब भी वह करता है।साधना ने अर्जुन को न केवल भौतिक समृद्धि दी, बल्कि उसे आध्यात्मिक रूप से भी जागरूक किया। इस प्रकार साधना के माध्यम से हम अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकते हैं, बशर्ते हम सच्चे मन से प्रयास करें।

इस साधना को करने के लिए ग्रहणकल श्रेष्ठो  होता है। तंत्र साधना मंत्र साधना इस दिन करने पर १०० गुना लाभ प्राप्त होता है। यह एक भूत साधना है। चंद्र ग्रहण या सूर्य ग्रहण इसी दिन करने पर यह साधना सफल होता है। साधना को करने के लिए साधक को मजबूत मनोबल  बाले होना चाहिए। डरपोक साधक इसको ना करे तो अच्छा है। वरना उनकी जान भी जा सकती है। शारीरिक नुकसान पहुंच सकता है। पागल भी हो सकते हैं। तंत्र मंत्र साधना कोई खेल नहीं है इसके अंदर का सच आती भयंकर होता है। इसकी अनुष्ठान करने के लिए चंद्र ग्रहण या सूर्य ग्रहण से पहले कुछ सामग्री प्रबंध कर लेनी चाहिए। इसके लिए चाहिए अक्षत फूल धूप दीप। पहले एक चावल के ढेर पर एक सुपारी रखें उसके बाद उसको किंकरी रूप में अक्षत फूल दीप उसको देकर पूजा करें। यह सब हो जाने के बाद गणेश जी का पूजन करें सात बार उनकी मंत्र पढ़ें और उसके बाद मुल मंत्र को १०००० बार  जाप करें।  चंद्र ग्रहण पर कर रहे हैं तो चांद को देखकर मंत्र पाठ करते रहना चाहिए। सूर्य ग्रहण पर कर रहे हैं तो मंत्र पाठ आंख बंद करके  जाप करते रहना चहिए। चंद्र ग्रहण सूर्य ग्रहण में जितने भी जाप हो जाए वह पर्याप्त है। यह सब क्रिया एक ही बैठक में पूरा करना चाहिए। चंद्रग्रहण आरंभ से लेकर समाप्ति तक मंत्रपाठ होना चाहिए।

मंत्र :-ॐ नमो भगवती शमशानबासनी सर्व भूत समेविते एहि एहि शमशान किंकरी महामहिष भक्षिणि आगच्छ आगच्छ हृंकरीं हृं हृं स्वाहा।

मंत्र जाप पूरा होने पर किंकरी प्रकट होगी। वह कौन से रूप में प्रकट होगी वह कहां नहीं जा सकता। जो भी रूप हो उसके लिए साधक को तैयार रहना चाहिए। वह जब वरदान मांगने के लिए कहे तब बेझिझक बिना डरे उसे वरदान मांग लेना चाहिए। इस साधना को कोई अमावस्या या किसी शुभ  दिन से आरंभ करना चाहे  तो भी किया जा सकता है।।