वीर बहुत प्रकार के होते हैं।। जैसे की वीर हनुमान , वीर बेताल और भी वीर नाम है जैसे-
0१.क्षेत्रपाल वीर
0२. कपिल वीर
0३. बटुक वीर
0४. नृसिंह वीर
0५. गोपाल वीर
0६. भैरव वीर
0७. गरूढ़ वीर
0८. महाकाल वीर
0९.काल वीर
१०. स्वर्ण वीर
११. रक्तस्वर्ण वीर
१२. देवसेन वीर
१३. घंटापथ वीर
१४. रुद्रवीर
१५. तेरासंघ वीर
१६. वरुण वीर
१७. कंधर्व वीर
१८. हंस वीर
१९. लौन्कडिया वीर
२०. वहि वीर
२१. प्रियमित्र वीर
२२. कारु वीर
२३. अदृश्य वीर
२४. वल्लभ वीर
२५. वज्र वीर
२६. महाकाली वीर
२७. महालाभ वीर
२८. तुंगभद्र वीर
२९. विद्याधर वीर.
३०. घंटाकर्ण वीर
३१. बैद्यनाथ वीर
३२. विभीषण वीर.
३३. फाहेतक वीर
३४. पितृ वीर
३५. खड्ग वीर
३६. नाघस्ट वीर
३७. प्रदुम्न वीर.
३८. श्मशान वीर
३९. भरुदग वीर
४०. काकेलेकर वीर
४१. कंफिलाभ वीर
४२. अस्थिमुख वीर
४३. रेतोवेद्य वीर
४४. नकुल वीर
४५. शौनक वीर
४६. कालमुख
४७. भूतबैरव वीर
४८. पैशाच वीर
४९. त्रिमुखवीर
५०. डचक वीर.
५१. अट्टलाद वीर
५२. वास्मित्र वीर।
इस तरह और भी वीर है। वीरभद्र शिवाजी के वीर रूपी अंश है। इसके साथ जो भी वीर पुरुष वीरगति को प्राप्त करते है और उनकी आत्मा इसी धरती पर रह जाती है जो सद्गति प्राप्त नहीं कर पाते वह भी एक तरह के वीर है। इनको भी साधना किया जता है। जीस मंत्र में इन ५२ वीरों का नाम नहीं होता -उस मंत्र को जाप करने पर किसी भी वीर पुरुष की आत्मा प्रकट होती है।। यह भी वही कर सकते हैं जो अन्य वीर कर सकते हैं। थोड़ा इनका शक्ति कम होता है किंतु अन्य वीर की तरह यह भी साधक की सभी मनोकामना पूर्ण कर सकते हैं।
किसी भी वीर की सिद्धि प्राप्त हो जाए उस में साधक को फर्क नहीं पड़ता क्यों कि साधक की हर इच्छा को पूर्ण करने में यह सक्षम होते हैं। वीर साधना करने के लिए साधक को निडर होना चाहिए। कमजोर हुदय वाला यह साधना करने के कोशिश ना करें। यह सब साधना रात्रि कालीन होता है। वीर साधना श्मशान में या एकांत स्थान पर किया जाना चाहिए । शब साधना भी वीर साधना अंतर्गत आता है। जिसमें किसी का ताजा मुर्दा लाश लाकर उसमें बैठकर साधना संपन्न किया जाता है।
ऐसे ही एक वीर साधना है जो एक दिवसीय है किंतु साधक के ऊपर निर्भर करता है वह इसको कितने दिन में सिद्ध कर पता है। इसके लिए साधना से पूर्व कुछ खास समग्री व्यवस्था कर लेना चाहिए। एक मीठा पान जिसमें लौंग लगा हो। चार इलायची आठ लौंग और एक सुपारी। इतने सामग्री व्यवस्था हो जाने पर आप यह साधना कर सकते हैं। किसी भी शुभ दिन या फिर नऐ चांद के बृहस्पतिवार दिन में उपवास रखें और शाम को खीर बनाकर खाए। रात्रि को अपनी साधना स्थल पर जाए और घेरा लगा कर बैठ जाए। आंखों के सामने सभी सामग्री और सुपारी को अपनी दाएं और रखें और एक दिया जलाएं वातावरण को सुगंधित करने के लिए अगरबत्ती जलाएं, लोबान जलाएं इसके साथ अपने सिर पर एक टोपी पहन ले। यह साब हो जाने पर बैठकर मंत्र जाप आरंभ करदे। मंत्र जाप के बीच में आसन से उठाना नहीं है। यह मंत्र जाप एक ही बैठक पर ५००० जाप पूरा होना चाहिए। मंत्र जाप पूरा होने पर वीर प्रकटीकरण होगा। जब वीर प्रकट हो तब अपने मन मुताबिक वरदान प्राप्त कर ले।।
मंत्र -जय तारा तूरी स्वाहा।।