धनवंती यक्षिणी को धन और समृद्धि की देवी मानी जाती हैं। वह करोड़ों यक्षिणीओं में से एक विशेष देवी हैं और इनके बारे में किसी भी तंत्र किताब या वेदों में जिक्र नही है। कूल कूल कितने यक्षिणी है इसका भी वर्णन नहीं है। किसी में १०८ संख्या बताई गई है किसी में १००८ संख्या बताई गई है। कुछ तांत्रिक किताब दावा करते है इनकी संख्या लाखों करोड़ों में है।
कुछ विशेष यक्षिणीओं के नाम सभी तंत्र किताब में देखने को मिलता है। जैसेे की-रतिप्रिया यक्षिणी, कनकावती यक्षिणी और पद्मावती यक्षिणी इत्यादि।
धनवंती यक्षिणी का नाम 'धन' और 'वंती' से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है 'धन को धारण करनी वाली। धनवान व्यक्ति।भौतिक सुख जीने के लिए जिसके पास धन की कमी नहीं।
दूसरे तरीके से देखा जाए तो जो विद्या बुद्धि में प्रतिभाशाली है उनको भी विद्या बुद्धि का धनवान व्यक्ति कहा जाता है।।
यक्ष भारतीय पौराणिक कथाओं में दैवीय प्राणी हैं, जो भूमि और संपत्ति के रक्षक माने जाते हैं। यक्षिणियाँ यक्षों की स्त्री रूप होती हैं, और इन्हें भी समृद्धि और सुख-समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। यक्ष और यक्षिणियाँ पास के वातावरण, मनुष्यों और उनके कार्यों को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं।
धनवंती यक्षिणी का स्वरूप अक्सर एक सुंदर महिला के रूप में चित्रित किया जाता है। उनके शरीर पर आभूषण और वस्त्र की भरपूरता होती है, जो उनकी समृद्धि को दर्शाते हैं। एक हाथों में सोने के सिक्के, आभूषण से भरा एक कलश है दूसरे हाथ आशीर्वाद के मुद्रा में है।
उनको लाल रंग की साड़ी में दर्शाया जाता है, जिसे फूलों और आभूषणों से सजाया गया होता है।
यक्षिणी की पूजा और आराधना का विशेष महत्व है।
व्यवसायियों, व्यापारियों, और धन के अभाव से जिसके घर संसार ठीक नहीं चल पा रहा है वह यक्षिणियों की पूजा-अर्चना करने पर उनका संकट धीरे-धीरे दूर होने लगता है।
भारत में कई स्थान हैं, जहाँ यक्षिणीओं की पूजा की जाती है। जहां-जहां जैन मंदिर, है वहां-वहां यक्षिणीया भगवान जैन की सेवारत रहती हैं । ऐसा मान्यता है।
**धन की प्राप्ति**: धनवंती यक्षिणी की पूजा साधना करने पर परिणामस्वरूप उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।
**सुख -समृद्धि का वरदान**: कोई भी साधक और भक्त समर्पित होकर धनवंती यक्षिणी की पूजा करने से देवी के आशीर्वाद से साधक और उसके परिवार के जीवन में धन और समृद्धि की बरसात होती है।
**ज्ञान**: धनवंती यक्षिणी की पूजा पाठ और साधना करने से धन के साथ-साथ विद्या और बुद्धि मलती है।
धनवंती यक्षिणी के प्रति श्रद्धा रखने वाले भक्तों के अनुभव और कथाएँ हमेशा प्रेरणादायक रही हैं। भक्तों का मानना है कि यक्षिणी की कृपा से आर्थिक संकट दूर हो जाते हैं और उनके जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि का आगमन होता है। इसका उदाहरण जैन धर्म है।
यक्षिणीओ का भारतीय संस्कृति और धर्म में महत्वपूर्ण स्थान है। उनके द्वारा दिया गया आशीर्वाद न केवल वित्तीय समृद्धि लाता है, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक संतुलन भी प्रदान करता है। उनकी पूजा और आराधना करने से व्यक्ति की सोच सकारात्मक होती है और वह अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकता है।
धनवंती यक्षिणी से जुड़ी कहानियाँ और धार्मिक मान्यताएँ यह सिखाती हैं कि धन केवल भौतिक वस्तु नहीं है, बल्कि एक भावना है, जिसे सही तरीके से समझकर और साधना करके जीवन में लाया जा सकता है।
यहां तक कि यदि कोई व्यक्ति इस दिशा में सही न हो, तो धनवंती यक्षिणी उनकी राह एक नई दिशा देने का प्रयास करती हैं। इसलिए, उनकी पूजा और आराधना हमेशा किसी भी कठिनाई के समय आशा की किरण बन कर उभरती है।
धनवंती यक्षिणी का महत्व केवल आर्थिक समृद्धि तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह व्यक्ति के आत्म-सम्मान, विश्वास, और आंतरिक शांति के लिए भी महत्वपूर्ण है। उनकी आराधना से हम अपनी ऊर्जा और सकारात्मकता को बढ़ा सकते हैं, जो व्यक्तिगत और सामाजिक विकास में सहायक सिद्ध होती है।
इस साधना को करने के लिए साधक को एक शुभ मुहूर्त का दिन देखकर साधना आरंभ कर देना चाहिए। इसको शमशान ,नदी किनारे में या घर मैं किया जा सकता है। ऐसा स्थान चुनें जहां पर आपको कोई पूजा के समय रोक-टोक ना कर पाए।
कपड़े साफ सुथरा पहने शरीर पर सुगंधित इत्र का प्रयोग करें। धूप अगरबत्ती का प्रचलित करें। इसके बाद अपने आसन पर बैठकर इस मंत्र का जाप करें।
मंत्र - ॐ श्रीं ह्लीं धनवंती यक्षिणी धनेश्वरी सिद्धि दात्री ह्लीं श्रीं नमः।।
साधना जिस दिन पूरी होगा उसी दिन धनवंती यक्षिणी प्रकट होगी। प्रकट होने के बाद आपको वरदान मंगाने के लिये बोलेगी। आप अपना मन मुताबिक वरदान प्राप्त कर ले।
सिद्धि के बाद आप कभी बूढ़े नहीं होंगे। बूढ़े हैं तो जवान हो जाएंगे। शरीर स्वस्थ रहेगा। भोगविलास में आपके जीवन और आपके परिवार के जीवन व्यतित होगा।।