unknown connection - 29 in Hindi Love Stories by Heena katariya books and stories PDF | अनजान रीश्ता - 29

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अनजान रीश्ता - 29

अविनाश तेज़ी से रोड पर ड्राइव करते हुए अपना गुस्से को काबू में करने की कोशिश करता है। लेकिन बार बार उसके सामने सेम और पारुल का चित्र उसके आंखो के सामने आ जाता है । गुस्से की वजह से उसकी आंखे लाल हो चुकी थी। वह अपनी कार की रफ्तार ओर तेज़ कर देता है । वह बस इस रियलिटी से दूर भागना चाहता था । इतनी दूर की जहा उसे ये सब चीजें महसूस ना हो। वो खुद समझ नहीं पा रहा था कि उसे इतना गुस्सा क्यों आ रहा है । आखिर उसके दिल में इतना दर्द क्यों हो रहा था । वह अपने घर के सामने कार पार्क करता है । और गुस्से में ही अपने रूम की ओर बढ़ता है। उसका मोबाईल बार बार बज रहा था । तभी वह गुस्से में मोबाइल को दीवाल पर फेक देता है । पहली बार उसे इतना दर्द महसूस हो रहा है । इतना दर्द जब सोफिया ने उसे धोखा दिया था तब भी नहीं महसूस किया था । पर क्यों इतना दर्द क्यों उसके मन में बस यही सवाल घूम रहा था । पर जवाब नहीं था इसी वजह से ही शायद उससे ज्यादा गुस्सा आ रहा था । तभी उसके ख्याल आता है कि उसे जानना है कौन है ये पारुल जो इस तरह उसके दिलो दिमाग पर असर कर रही है। तभी वह ड्रोर में से एक रेड कलर की फाइल निकालता है और उसे ओपन करता है । तभी उस फाइल में पारुल की एक मुस्कुराती हुई तस्वीर और उसकी डिटेल्स थी । पारुल की तस्वीर देखते ही मानो अविनाश का दिल और दिमाग दोनों ही थम गया था । वह एक पल के लिए सांस लेना भूल गया था । वह फिर खुद को संभालते हुए उसकी सारी डिटेल्स काउंटर पर बैठे बैठे पढ़ रहा था । तभी उसकी नजर पारुल की बचपन की एक तस्वीर पर जाती हैं । मानो जैसे उसके सारे सवालों के जवाब उसी एक तस्वीर में था। अविनाश में अब ओर कुछ पढ़ने की हिम्मत थी ही नहीं । वह फाइल को जमीन पर फेकते हुए खुद के लिए एक ड्रिंक बनाता है । और बडबडा रहा होता है । " नो.. नो... शी कांट बी हर .."। वह खुद को समझाने की कोशिश कर रहा था । पर वह जानता था कि सच क्या है वह सच से भाग नहीं सकता । वह गुस्से; दुख; अफसोस; में पूरा पेक एक ही शॉट में लगा लेता है । तभी वह शराब पीते हुए जोर जोर से हंसने लगता है । एक ऐसी हंसी जिसमें दर्द भी छुपा हुआ था गुस्सा भी और फ्रस्टेशन भी । वह ऐसे ही हंसते हुए काउंटर के सारे ग्लास अपने हाथो से नीचे फेंक देता है । उसके हाथ में से खून निकल रहा था । पर को घाव उसके दिल पे था शायद ये दर्द उसके सामने कुछ नहीं था । वह फिर से एक ओर बॉतल पीना शुरु करता है तभी उसके कान में एक आवाज आती हैं। "गोलू गोलू" अविनाश उसके हाथ में जो बॉटल थी वो दीवाल पर जोर से फेक देता है । उसके सारे कमरे में सारा सामान बिखरा हुआ पड़ा था । वह जोर से चिल्लाता है " स्टॉप ईटटटट.... प्लीज .. फकी*ग स्टॉप इटस " । तभी उसके दरवाजा खुलता है । अविनाश ऐसी हालत में ही था ही नहीं की वह कुछ देख सके या महसूस कर सके । वह तो बस एक अलग ही दुनिया में था। रोहन अविनाश की और उसके कमरे की हालत देखकर चौंक जाता है । वह जल्दी से अविनाश की ओर जाता है । वह अविनाश को संभालने की कोशिश करता है । और कहता है ।

रोहन: अवी वॉट्स रोंग? व्हाट ध हेल रोंग विथ यू??
अविनाश: ( अविनाश रोहन की ओर बिना देखे एक ओर बॉटल पी रहा होता है ।) व्हाय? व्हाय ? क्यों किया तुमने एसा?
रोहन: ( अविनाश की ओर देखते हुए ) क्या? मैंने क्या किया ? किस बारे में बात कर रहे हो? मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है । और ये शराब की बोतल लाओ मुझे तुम और पीने की हालत में नहीं हो । ( अविनाश के हाथ में से बोतल लेने की कोशिश करता है ।)
अविनाश: ( चिल्लाते हुए) डोंट डोंट!!!! डोंट ट्राय टू मैक मी अंडरस्टैंड बिकोज यू *कीग डोंट नो हाऊ आई एम् फिलिंग । हाहाहाहाहा.. शी... शी.... ( एक ओर बोतल को जमीन पर फेकते हुए ) ।
रोहन: अविनाश जस्ट स्टॉप ऑल्ल... धिज ( चिल्लाते हुए)।
अविनाश: ( गुस्से में ) उपस... सोरी सोरी मै तो डर गया प्लीज डोंट लीव मी वर्ना मै जी नहीं पाऊंगा । ( जोर जोर से हंसते हुए ) हाहाहाहा!!! जस्ट लीव रोहन आई डोंट केर इफ लीव मी एंड अफकोर्स धीस इस नोट फर्स्ट टाइम धेट पीपल लीव मी । सो जस्ट गो । आई एम मॉन्स्टर .... यूं नो शी सेड मी वेन आई वेंट टू हर फॉर ध लास्ट टाइम ओल आई वांट इस वांटेड टू शी हर फेस । एंड शी शी...… ( एक ओर बोतल को फेकते हुए) ।
रोहन: ( अविनाश की ओर देखते हुए वह सोच रहा था ।इतना दर्द पर क्यों किस लिए किसके लिए ? ) अवि यू नो धेट राइट वी आर ब्रदर्स वी नेवर हाइड एनीथिंग फ्रॉम इचअधर राइट ।
अविनाश: ( रोहन की ओर देखते हुए कुछ बोल नहीं पाता ।सिर्फ अपने सिर को हा में हिलाता है ।)
रोहन: धेन प्लीज़ नेवर टेल मी टू लीव यू नो मेटर वोट वी आर ओलवेयस ब्रधर । एंड आई डोंट केर वोट वर्ल्ड शी । बट आई नो यू । आई नो यू आर नॉट मॉन्स्टर । आल यू वांट इस लव एंड केर । धेर इस नथिंग रोंग इन धेट ।
अविनाश: ( रोहन की ओर देखते हुए जोर जोर से हंसते हुए अपने दर्द को छुपाते हुए । ) हनहाहहाहा!!! इतनी चीजी बाते हानहाहाहाहा । ( लेकिन जब रोहन कि ओर देखता है तो वह सीरियस था । जिससे अविनाश हंसना बंद कर देता है ।)
रोहन: ( अविनाश की और देखते हुए ) हो गया ? क्या लगता है तुम्हे ? पागल हूं मै? ये जो बात बदलने की कोशिश कर रहे हो और ये जो झूठी हंसी के पीछे दर्द छुपाने कोशिश कर रहे हो । दोनों ही मुझ पर वर्क नहीं करेगा तो बहतर हैं कि तुम जो भी सच है वो बताओ । और हा बिना सच जाने में नहीं जाने वाला । ( यह कहते हुए वह अविनाश की बगल वाली चेर पर बैठ जाता है ।)
अविनाश: ( रोहन की ओर देख रहा होता है और कहता है ।) यूं नो रोहन कभी कभी तो मै सोचता हूं कि मै इस दुनिया में आया क्यूं? जिससे भी मै चाहता हूं वह मुझे धोखा देकर अकेले मरने के लिए छोड़ जाते हैं । पहले मां ... ( आंसू को रोकते हुए पर वह ना चाहते हुए भी उसकी आंखो से बह रहे थे ।) फिर जब में थोड़ा समजदार हुआ तो लगा कि सोफिया मेरे सारे घाव का मरहम है । पर हाहाहाहाहा.... फिर से में गलत निकला । और आज उसने .... हाहहाहा । तुम्हे पता है जब मा चलीं गई थी तब वहीं एक थी जिसने मुझे संभाला था । लेकिन उसने भी धोखा दिया । और तो और मॉन्स्टर समझती है ।

अविनाश की आंखो से आंसू बह ही रहे थे । वो जितना बता रहा था उससे कहीं ज्यादा दर्द उसकी आंखो में दिख रहा था । मानो जो मुखौटा पहन के वो दुनिया के सामने घूमता था वह आज चूरचूर हो गया था । और एक पूरी तरह से बिखरा हुआ अविनाश दिखाई दे रहा था। जो अपनी इस बदकिस्मती को छुपाने के लिए खुद को मशीन बना चुका था । बिना किसी फिलिंग के बिना दिल के खुद को पत्थर बना दिया था । लेकिन फिर से मानो जैसे पारुल ने उसे वहीं घसीट के ले गई जहां वह अपने आपको किसी डरावने सपने में भी नहीं देखना चाहता था । रोहन कुछ कहता नहीं और बस अविनाश की बात सुन रहा था । एक तरह से रोहन खुश था कि अविनाश फिर से जिंदा इंसान लग रहा था । वर्ना तो वह पत्थर ही बन चुका था । लेकिन फिर उसे रोते हुए देखकर अच्छा भी नहीं लग रहा था । लेकिन जो दर्द इतने सालो से भरा था वह देखकर रोहन खुद को गुनेहगार मान रहा था । की वह अविनाश का दोस्त होते हुए भी उसके बुरे वक्त में उसके साथ नहीं था । तभी वह खुद भी रोते हुए अविनाश को गले लगा लेते हुए कहता है । " सब कुछ ठीक हो जायेगा अवि डोंट वरी आई एम् हयर । योर बड़ी ओल वेयस सपोर्ट यू । " यह सुनते ही मानो अविनाश के आंखो से और भी आंसू बहने लगते हैं । पहली बार ऐसा है की कोई उसके साथ अंधेरे में खड़ा हो । वह रोहन को गले लगाते हुए थैंक्यू कहता है ।