"भाभी यह गोल्डन बार्डर वाली लाईट पिंक कलर की साड़ी अच्छी लग रही है। और यह ज्यादा हैवी भी नहीं है मैं संभाल भी लूंगी और ज्यादा सिंपल भी नहीं है जो मामी जी या मम्मी आपको कुछ बोले। " त्रिशा ने अपने सामने पड़ी चार साड़ियों में से एक उठाकर दिखाते हुऐ कहा।
"हां यही ठीक लगेगी भाभी इसपर और तो और इसकी यह झुमकियां भी चल जाएगी इस साड़ी पर।" महक ने दांत दिखाकर हंसते त्रिशा के छेड़ते हुए कहा।
उसकी बात सुनकर त्रिशा भी खुद को हंसने से रोक ना पाई और वह भी हंस पड़ी। उन दोनों को हंसता देख कर मोनिका बोली," ओहो तुम दोनों यह हंसी ठिठोली बाद में कर लेना अभी थोड़ा जल्दी कर लो।।।।।।। नहीं तो तुम दोनों के चक्कर में मेरी डांट पड़नी है।।।।।।।।"
मोनिका की बात सुनकर दोनों ने हंसना बंद किया और फिर त्रिशा को फटाफट उस साड़ी का मैचिंग पेटीकोट और ब्लायूज पकड़ाकर भाभी ने बाथरुम की ओर भेज दिया।
त्रिशा भी मौके की नजाकत और मामी और मम्मी के खौफ से फटाफट चेंज करके आ गई। बाहर आते ही तुरंत मोनिका ने उसकी साड़ी बांधनी शुरु की और शायद उनकी प्रैक्टिस ही थी कि दस मिनट में उन्होनें त्रिशा को तैयार कर दिया।
साड़ी बांधने के बाद मोनिका महक से बोली," महक इसके बाल सही कर दो थोड़े से इधर उधर हो गए है और हा बाकी देख लेना। मैं अब नीचे जाकर देखती हूं नहीं मम्मी जी और बुआ जी को कोई हेल्प चाहिए हो तो उन्हें।"
"ठीक है भाभी ।।।। आप जाओ मैं ठीक लूंगी।।।।" महक ने जवाब दिया और फिर मोनिका रुम से बाहर चली गई। उसके जाने के बाद महक ने फिर से एक बार त्रिशा के बाल बनाए और चेहरे का मैकअप थोड़ा सा ठीक किया।
सब कुछ करने के बाद महक त्रिशा से बोली," लाओ दो!!!!!!!!!!!"
"क्या दूं?????" त्रिशा ने कहा।
"अरे झुमकी दो मुझे अपने राजन जी वाली।।।।।।।। अब मिली है तुम्हें तो पहन लो ना।।।।।। अपने राजन जी को भी तो दिखा दो पहन कर वो।।।।।।।।" महक ने आंख मार कर दांत दिखा कर कहा।
"हम्मममममम!!!! " कहकर त्रिशा ने शर्माते हुए उसे वो झुमकियां निकाल कर दी और महक ने उसके कानों में वो झुमकियां डाल दी।
त्रिशा के पूरी तरह से तैयार होते ही कल्पना तुरंत आई बोली," चलो चलो!!!!!! जल्दी नीचे चलो!!!!!!!!!"
"महक बेटा पल्ला डाल इसके सिर पर!!!!!! सिर खोल के कोई जाएगी यह बाहर!!!!!! तुम लड़कियां भी ना बिल्कुल सोचती नहीं हो।।।।।। बिना सिर ढकें आ जाती अभी यह बाहर तो बताओ क्या जवाब देते हम उनको।।।।।।। वो तो यही बोलते ना कि कुछ सिखाया नहीं हमने!!!!!!!!" कल्पना महक और त्रिशा को बोली और नीचे जाने की जल्दी करने लगी।
उस टाईम कमरे में इतनी भड़भड़ हो गई थी कि कुछ समझ ही नहीं आ रहा था। फिर भी महक ने जल्दी जल्दी में त्रिशा के सिर पर पल्लू रखा और फिर कल्पना और महक त्रिशा को बाहर ले आए।
कमरे से बाहर आने नीचे हॉल तक जाने के पूरे रास्ते में कल्पना अपनी बेटी को सीख देती जा रही थी," बेटा सुन पल्लू पकड़ कर रखिओं, पीन नहीं लगी है इसलिए सरक सकता है लेकिन ध्यान रखना पल्लू सरकना नहीं चाहिए।"
" बेटा सुन उन लोगों को कुछ जल्दी थी इसलिए आज ही गोद भराई कर रहे है और उन्होनें अपने कुछ रिश्तेदार और बुला लिए है तो बाहर जाकर पैर छू लिओ सबको।।।।।।"
" बेटा सुन मुंह लटका के ना बैठिओ वहां नहीं तो वो कहेंगे कि लड़की खुव नहीं है शादी से।।।।।।।।"
"बेटा सुन ज्यादा ना हंसना भी मत नहीं बोलेंगे कि देखो कैसी लड़की है शर्म लाज है नहीं दांत दिखा दिखा कर हंस रही है।।।।।।।।"
"बेटा सुन कोई भी तेरे पास आए और कुछ भी बोले जवाब ना देना और ना ही ज्यादा हंसी मजाक करना। नहीं तो बोलेंगे कि लड़की कितनी तेज है पटर पटर बोलती है।।।।।।।।"
त्रिशा अपनी मां की हर एक बात पर बस हां में सिर हिलाए जा रही थी। मां कि इतनी सारी बात एक साथ सबको समझना और उनको मानना कठिन था। पर मानना उससे भी ज्यादा जरुरी था। लेकिन इस समय उससे भी ज्यादा कठिन था इस साड़ी को पहन कर चलना और सीढ़िया उतरना।
त्रिशा ने जीवन में पहली बार साड़ी पहनी थी आज इसलिए बड़ी मुश्किल हो रही थी उसे चलने में पर फिर भी मां और महक की मदद से वह जैसे तैसे सीढ़ी उतर कर नीचे पहुंची।
नीचे आकर त्रिशा ने देखा कि नीचे का माहौल तो एकाएक बदल गया है। नीचे एक छोटा सा स्टेज टाईप लगा दिया गया है। जहां हल्की फुल्की सजावट है और उसके तीनों भाई कुछ लोगों के साथ वहीं लगे है काम पूरा करने में। वहीं उस स्टेज के आगे दस बीस कुर्सियां पड़ी है जिनपर बहुत से लोग बैठे है जिनमें से बहुत को वह जानती नहीं है।
उसके मामा और मामी उन लोगों को नाश्ता पानी देने में लगे है।