Dhun ishq ki.... Par dard bhari - 54 in Hindi Love Stories by Arpita Bhatt books and stories PDF | धुन इश्क़ की... पर दर्द भरी - 54

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धुन इश्क़ की... पर दर्द भरी - 54

तभी साहिल उसकी बात बीच में ही काट देता है और बोलता है कि;

साहिल - सिमरन प्लीज, ऐसे ना बोला करो! अब तो तुम्हे खोने के खयाल से ही डर लगता है। चलो तुम्हे एक चीज बताता हुं, और फिर साहिल अपनी अलमारी खोलता है और उसमे से एक ब्रेसलेट निकालता है। यह वही ब्रेसलेट था, जो साहिल ने कबसे संभालकर रखा था। फिर साहिल, सिमरन को उसके पीछे की पुरी कहानी बताता है, तो सिमरन दिल में बहुत खुश हो रही थी। 

साहिल - इसलिए सिमरन, हमारी destiny ही हमे मिलवाना चाहती थी। तभी से हमारे बीच में कनेक्शन जुड गया था। तभी वो देखता है कि सिमरन की आंखों में नमी थी, तो वो घबरा जाता है और पूछता है कि;

साहिल - क्या हुआ सिमरन, तुम उदास क्यों हो! तुम्हे अच्छा नही लगा क्या,मेरी बात सुनकर?

सिमरन - पता है साहिल, तुम पहले ऐसे इंसान हो, जो मुझे इतना प्यार करते हो! कभी कभी लगता है कि मैं तुम्हारा प्यार संभाल नही पाई तो? फिर वो साहिल के कंधे पर अपना सिर रखती है और बोलती है कि;

सिमरन - मुझे तुम्हारे प्यार पर पुरा भरोसा है साहिल, कि तुम मेरा साथ हमेशा निभाओगे! फिर सिमरन, साहिल की आंखों में देखती है, और साहिल तो कबसे उसे ही देखे जा रहा होता है, फिर दोनो एक दूसरे के थोड़ा और करीब आकर किस करने लगते है, और एक दूसरे को अपने साथ होने का एहसास महसूस करवा रहे है। फिर साहिल, सिमरन को किस करते हुए ही बेड पर लेटा देता है और हल्के हल्के से उसके गले मे किस करते हुए नीचे की ओर आने लगता है। और उनके बैकग्राउंड में गाना चलने लगता है;

बूंद बूंद करके मुझमें गिरना तेरा,

और मुझमें मुझसे ज्यादा होना तेरा,

भीगा भीगा सा मुझे बदन तेरा लगे,

आजा तुझको पी लूं, मन मेरा कहे,

मैं न बचा, मुझमें थोड़ा सा भी, 

देख तू न बचा तुझमें भी,

जलने लगा, गर्म सांसों से मैं,

तू पिगलने लगा मुझमें ही......

सिमरन अपनी आंखें बंद करके पूरी तरह खुद को साहिल को सौंप देती है। वो रात उन प्यार करने वालो के मिलन की रात थी, जिसमे वो मोमबतियों की रोशनी उनके एक होने की गवाह थी। दोनो एक दूसरे को अपने प्यार का एहसास दिए जा रहे थे, एक तरह से कहा जाए तो आज साहिल और सिमरन एक जिस्म एक जान बन चुके थे।

बैकग्राउंड म्यूजिक:

कतरा कतरा मैं जलूं, शर्म से तेरे मिलूं,

जिस्म तेरा मोम का पिगला दूं,

करवटें भी कम भरूं, रात भर तू संग हो,

तेरे हर एक अंग को सुलगा दूं,

भीगा भीगा सा मुझको तन तेरा लगे,

आजा तुझको पी लूं, मन मेरा कहे,

मैं न बचा....................

अगली सुबह साहिल उठता है और देखता है कि सिमरन उसकी बाहों में सुकून से सो रही है, तो वो बस उसे देखता रहता है। तभी सिमरन की आंख खुलती है, तो वो साहिल को खुद की नजरों के सामने पाकर मुस्कुरा देती है और आंखें बंद करके उसके और करीब आकर उससे लिपट जाती है। 

इधर तानिया जैसे ही तैयार होकर हॉल में जाती है, तो देखती है कि उसके मम्मी पापा टीवी में न्यूज देख रहे होते है, जिसमे रिपोर्टर बता रहे होते है कि विपिन की कंपनी के सारे शेयर्स बाजार में गिर चुके है, और उसकी कंपनी को इससे बहुत नुकसान हुआ है। अगर एक तरह से कहा जाए तो वो कंपनी अब पूरी तरह से डूब चुकी है, और उसके ऑनर यानी कि विपिन के ऊपर बहुत बड़ी मुसीबत आ चुकी है। तानिया यह देखकर ही समझ जाती है कि यह सब साहिल ने ही किया है। उसके हाथों में इतनी ताकत है कि उसके लिए यह काम बाए हाथ का खेल है। तभी सिमरन और साहिल भी नीचे आ जाते है और सिमरन यह देखकर बहुत खुश होती है। उसके बाद साहिल सभी को बता देता है कि इसमें किरण ने भी उसकी मदद करी है, इसलिए रातों रात हम विपिन को बर्बाद कर सके! 

वेदना जी - पर साहिल बेटा, अब तुम्हे संभलकर रहना होगा, और सिमरन का खास तौर पर ध्यान रखना होगा, क्योंकि हम सभी जानते है कि विपिन कैसा लड़का है। 

इधर विपिन अपने घर में पागल हो गया था कि अचानक से यह सब कैसे हुआ? उसकी समझ में नही आ रहा था तभी उसके एक खबरी का फोन आता है और वो उसे बताता है कि यह सभी साहिल मेहता का ही करवाया हुआ है। यह सब सुनकर विपिन के मन में बदले की ज्वाला जलने लगती है, पर वो साहिल का कुछ नही बिगाड़ सकता था। 

इधर किरण भी खुश थी कि विपिन को सबक मिला, और उसके मन को शांति मिली! 

पांच महीने बाद :

ऐसे ही इन सभी की जिंदगी मजे से कट रही थी, किरण अब अपने पापा की कंपनी संभालने में लगी हुई थी और उसके मम्मी पापा उसे ऐसे जिम्मेदारी उठाता देखकर खुश होते है। ईशान और तानिया ने मिलकर तानिया के बुटीक की कही ब्रांच खोल दी थी और अब वो साथ मिलकर ही काम करते थे। सिमरन अब गाने के साथ साथ साहिल की कंपनी संभालने में भी मदद करने लगी थी। वेदना जी और गोपाल जी ईशान के घर पर रिश्ता लेकर चले जाते है और ईशान के मम्मी पापा यानी कि राजीव जी और सुहाना जी इस रिश्ते को मना भी नही करते है। ईशान भी अब अपने परिवार से सही से रहने लगा होता है, लेकिन सिमरन अब भी किरण,राजीव जी और सुहाना जी से बात नही करना चाहती थी। उसके जख्म गहरे थे, जिसे भरने में शायद वक्त लगे, या वो कभी भरे ही नही! लेकिन राजीव जी और सुहाना जी ने तानिया और ईशान के रिश्ते के लिए हां कह दिया था! कहे भी क्यों नही, अब वो अपनी बेवकूफी की वजह से अपने बच्चों की खुशी के आगे नही आना चाहते थे। सब कुछ परफेक्ट चल रहा था, तभी एक दिन..............

क्रमश :