अगले दिन किरण सुबह उठकर और तैयार होकर नीचे आती है,और जल्दी से बाहर की और चली जाती है। पीछे से सुहाना जी उसे आवाज लगाती है लेकिन वो बिना सुने ही जल्दी में खुद की गाड़ी लेकर निकल जाती है।
इधर सुबह सिमरन तैयार होकर अपने रूम से निकलती है और देखती है कि मम्मी पापा हॉल में ही बैठे हुए है। फिर वो तानिया को देखने के लिए उसके कमरे की तरफ जाती है। तानिया अपने कमरे में बुटीक जाने के लिए तैयार हो रही होती है, और साथ में गाना गुनगुना रही थी। आज उसे संवरना बड़ा अच्छा लग रहा था इसलिए वो अच्छे से धीरे धीरे तैयार हो रही थी।
मेरी नजर का सफर, तुझ पे ही आ कर रुके,
कहने को बाकी है क्या, कहना था जो के चुके,
मेरी हंसी तुझसे, मेरी खुशी तुझसे, तुझे खबर क्या बेखबर
जिस दिन तुझको ना देखूं, पागल पागल फिरती हुं,
कौन तुझे यूं प्यार करेगा, जैसे मैं करती हुं!
सिमरन जैसे ही तानिया के कमरे के बाहर आती है, तो वो तानिया को इस तरह देखकर, थोड़ी देर तो बस देखती ही रह जाती है। तानिया जिस तरह से मग्न होकर खुद में खोई हुई थी, और गुनगुना रही थी, सिमरन यह देखकर बहुत खुश होती है! तभी अचानक से तानिया की नजर सिमरन पर पड़ती है, जो मुस्कुराते हुए उसे ही देखे जा रही होती है।
तानिया - सिमरन, तुम यहां? बाहर क्यों खड़ी हो लेकिन, अंदर आओ ना, हम बस तैयार होकर नीचे ही आ रहे थे।
सिमरन - आज आप बहुत खुश है ना दीदी! मुझे बहुत खुशी हुई यह देखकर सच्ची में!
तानिया - खुश तो रोज ही रहना चाहिए, सिमरन!
सिमरन - पर आज आप अलग ही चमक रही है। तभी सिमरन तानिया के चेहरे की और देखती है और पूछती है कि;
सिमरन - दीदी, यह चेहरे पर मुंह के आसपास किसकी चोट लगी है? उसने चिंता करते हुए पूछा!
जैसे ही सिमरन यह पूछती है तो तानिया पहले तो कल रात वाली यादों में खो जाती है, फिर सिमरन को बोलती है कि;
तानिया - कुछ नही सिमरन, वो हल्का सा लग गया था , छोड़ो ना तुम वो सब! तुम यह बताओ कि मम्मी पापा से मिलकर कैसा लगा तुम्हे? तानिया ने बात बदलने के इरादे से पूछा।
सिमरन समझ गई थी कि तानिया दीदी बात को घुमा रही है, पर वो कुछ नही बोलती है और उसकी बातों का जवाब देती है;
सिमरन - बहुत अच्छे है, मम्मी पापा! उन्होंने मुझे अपनी बेटी की तरह माना है दीदी! एक अंजान लड़की पर आपके पूरे परिवार ने जो इतना प्यार और भरोसा दिखाया है, पता नही मैं इसका कर्ज कब उतार पाऊंगी!
तानिया - अच्छा, तुमने उन्हे बताया है क्या तुमने , तुम्हारे और साहिल के रिश्ते के बारे में?
सिमरन - अब से मैं साहिल के कमरे में ही रहती हुं दीदी! सिमरन ने तानिया का सवाल सुनकर उसे बताना सही समझा!
तानिया - वाह, मतलब अब तुम्हारे बीच कोई कॉन्ट्रैक्ट नही है ना! तुमने साहिल के प्यार को अपना लिया है ना! तानिया ने एक्साइटेड होते हुए पूछा! सिमरन इसका कोई जवाब नही देती है और बोलती है कि;
सिमरन - मम्मी पापा नीचे हॉल में ही बैठे हुए है, तो हम दोनो भी वही चलते है दीदी! तानिया समझ जाती है कि अभी भी उनके बीच सब सही नही है पर वो कुछ नही कहती है और फिर दोनो नॉर्मल बातचीत करते हुए नीचे चले जाते है। अभी तानिया और सिमरन दोनो खुद के रिलेशन के बारे में नही बल्कि एक दूसरे के रिलेशन के बारे में सोच रहे होते है। फिर वो नीचे जाकर थोड़ी देर गोपाल जी और वेदना जी से बात करते है और फिर तानिया अपने बुटीक के लिए निकल जाती है।
इधर सिमरन भी कमरे में साहिल को देखने आती है, जो तैयार हो चुका होता है।
साहिल - सिमरन, तुम तैयार नही हुई, आज जाना नही है क्या रिकॉर्डिंग के लिए?
सिमरन - हां, बस मैं थोड़ी देर में तैयार होकर आती हुं साहिल! और वो बाथरूम में चेंज करने चली जाती है। और फिर जल्दी से तैयार होकर साहिल को बोलती है कि चले साहिल! सिमरन के दिमाग में अभी भी तानिया वाली बात ही चल रही होती है तो वो उसी बात को सोचे जा रही होती है। तभी साहिल, सिमरन को यूं खोया हुआ देखकर बोलता है कि;
साहिल - क्या हुआ सिमरन, तुम कुछ परेशान लग रही हो?
सिमरन - नही साहिल, कुछ नही! चलो हम चलते है। फिर वो दोनो कंपनी के लिए निकल जाते है। सिमरन सिर्फ अपने शक के आधार पर साहिल को कुछ नही बताना चाहती थी, लेकिन उसे लग गया था कि तानिया दीदी की जिंदगी में एक बार फिर से प्यार ने दस्तक दे दी है। और वो इसके लिए दिल से खुश थी।
इधर किरण एक सुनसान सी सड़क पर गाड़ी चलाए जा रही होती है और थोड़ी देर बाद एक फार्म हाउस आता है,जिसे देखकर किरण वहां पर गाड़ी रोक देती है और सीधा अंदर घुस जाती है।
किरण - मुझे पता था कि तुम यही पर मिलोगे मुझे! उसने विपिन को देखते हुए कहा जो कि हॉल में ही सोफे पर बैठकर कॉफी पी रहा होता है।
विपिन - क्या हुआ बेबी, मेरे बिना रहा नही गया क्या?
किरण - यह डाइवोर्स पेपर्स पर अपने हस्ताक्षर करो,उसने उसके सामने पेपर्स फेंकते हुए कहा।
विपिन - यह तो इस जिंदगी में कभी नही होने वाला है जान! अपनी जाना को कोई खुद से अलग करता है, भला!
किरण - मुझे पता था कि तुम यही कहोगे, पर अब मैं तुम्हारे सामने रिक्वेस्ट नही करूंगी, लेकिन तुम खुद बहुत जल्दी मेरे पास चलकर आओगे कि तुम इन पेपर्स पर सिग्नेचर करने के लिए तैयार हो!
विपिन - तुझे क्या लगता है, तु बोलेगी और मैं डर जाऊंगा! जा, जो करना है, कर ले! तूझे और तेरी बहन से तो मैं बदला लेकर रहूंगा! किरण अब और नही रुकना चाहती होती है,और वो पीछे मुड़ जाती है जाने के लिए! तभी वो रुककर पीछे मुड़े हुए ही एक सवाल करती है कि;
किरण - तुमने यह सब क्यों किया मेरे साथ विपिन?
विपिन - पैसा स्वीटी, तेरे बाप की कंपनी जो तेरे नाम पर थी। पर कोई नही, उसे तो मैं हासिल करके रहूंगा!
किरण जैसे ही यह सुनती है, तो उसे बहुत बुरा लगता है और ना चाहते हुए भी उसकी आंखों से आंसू गिर जाता है, जिसे वो जल्दी से साफ करती है, और बिना विपिन की तरफ देखे, चली जाती है।
इधर तानिया बुटीक में अपने केबिन में होती है, तभी पूजा उसके केबिन में आती है।
पूजा - मैम, क्या मैं अंदर आ सकती हुं।
तानिया - हां पूजा, आओ ना! उसके बाद पूजा, तानिया को कल की सारी डिजाइन और काम का सारा ब्योरा तानिया को दे देती है। फिर थोड़ी देर बाद पूजा बोलती है कि;
पूजा - मैम, क्या मैं आपसे दो मिनट कुछ बात कर सकती हुं।
तानिया - हां बोलो! वैसे तानिया को लग गया था कि पूजा कही न कही ईशान के बारे में ही बात करना चाहती हो।
पूजा - मैम, मैं आपके और ईशान के बारे में जानती हूं। ईशान बहुत अच्छा लड़का है, और आपको बहुत प्यार करता है। आप कभी भी मुझे लेकर इनसिक्योर फील मत कीजिएगा। मैं अब ईशान को समझ चुकी हुं, और अब हम सिर्फ अच्छे दोस्त है। पूजा ने हिम्मत करके एक ही सांस में सब कह दिया!
तानिया - हम जानते है, ईशान से बात हुई थी हमारी उसके बाद! हमे उस पर पूरा भरोसा है, और तुम ऐसे चिंता मत करो पूजा! हम जानते है कि तुम बहुत अच्छी लड़की हो। वैसे नक्ष भी अच्छा लड़का है! उसने पूजा को छेड़ते हुए कहा।
पूजा - हां मैम, आपको ईशान ने बताया होगा ना! अभी मैं जाती हुं मैम! थैंक्यू मेरी बात सुनने के लिए!
तानिया - हां बिल्कुल जाओ, लेकिन अब से हमे मैम मत बुलाना यार, हम दोस्त है अब से! तब तक ईशान भी तानिया के केबिन में आ जाता है।
ईशान - बिल्कुल सही कहा तानिया ने! पूजा, अब हम दोस्त है, तो ऐसी फॉर्मेलिटी छोड़ दो!
पूजा - अच्छा ठीक है, अब से नही बोलूंगी! अब मैं चलती हूं, और पूजा, वहां से बाहर चली जाती है।
पूजा के जाते ही ईशान, तानिया के पास जाता है और उसके सिर पर हल्के से किस करके पूछता है कि;
ईशान - मिस किया क्या मुझे ?
तानिया (थोड़ा शरमाते हुए )- नही तो, ऐसा किसने कहा तुमसे!
ईशान - अच्छा, तो फिर मुझे यहां क्यों बुलाया? ईशान ने थोड़ा नाराज होते हुए बोला! और वो तानिया के सामने वाली चेयर पर बैठ गया। तानिया देखती है कि ईशान थोड़ा सा नाराज हो गया है, तो वो अपनी जगह से उठती है और जाकर ईशान की गोदी में बैठ जाती है, और बोलती है;
तानिया - मिस तो उसे किया जाता है ना, जिसे भुला गया हो! तुम तो हरदम मेरे दिल में रहते हो! यह सुनकर ईशान खुश हो जाता है और बोलता है कि;
ईशान - अब ऐसे मनाओगी तो कोई कैसे नाराज रह सकता है तुमसे! और तानिया की कमर पर हाथ रख उसे खुद के और करीब कर लेता है, और दोनो एक दूसरे को देखते रह जाते है और बैकग्राउंड में यह गाना चलने लगता है;
दिल से सुन पिया, यह दिल की दास्तां,
जो लब्जों में नही हो बयां,
अब जैसा भी रास्ता, टूटेगा ना वास्ता,
ना रहेगा फासला दरमियां,
हो.... नैनो ने बांधी कैसी दूर वे,
मुंसिफ ही मेरा मेरा चोर वे,
दिल पे चले ना कोई जोर वे,
हो.... खींचा चला जाए तेरी और वे......
थोड़ी देर तक ऐसे ही दोनो एक दूसरे में खोए रहते है और फिर बातें करने लगते है। उन्हे समय का पता ही नही चलता है, तभी अचानक से तानिया के केबिन का दरवाजा खुलता है। उस दरवाजे की आवाज से दोनो उस तरफ देखते है और शॉक्ड हो जाते है, और दोनो के मुंह से एक साथ निकलता है कि;
ईशान - सिमरन दीदी!
तानिया - सिमरन तुम!
पर सिमरन ने अभी जो खुद के सामने देखा, उस पर दो मिनट उसे विश्वास करने में लगे! तब तक तानिया और ईशान दोनो खड़े हो गए थे। फिर सिमरन बोलती है कि;
सिमरन - मैं तो आपसे अपने लिए नई डिजाइनर ड्रेस लेने आई थी तानिया दीदी! पर आप दोनो इस तरह से? कही मैं जो सोच रही हुं, वो सच तो नही है ना!
क्रमश :