with you in Hindi Love Stories by Rohan Beniwal books and stories PDF | तुम्हारा साथ

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तुम्हारा साथ

बरसात की बूँदें टीन की छत पर एक लयबद्ध संगीत पैदा कर रही थीं। बाहर अँधेरा घिर चुका था, लेकिन अंदर कमरे के एक कोने में रखे छोटे से दीये की पीली रोशनी में एक अजीब सा सुकून था।
अस्सी साल के मोहन लाल अपनी पुरानी लकड़ी की आराम कुर्सी पर बैठे थे। उनके बगल में बैठी थीं उनकी पत्नी, राधा। साठ साल से ज़्यादा की यह जोड़ी अब एक-दूसरे की आत्मा का हिस्सा बन चुकी थी।
राधा गर्म ऊन से मोहन के लिए एक और स्वेटर बुन रही थीं। सुइयों की खट-खट और बूँदों की टप-टप मिलकर एक अजीब सी मन को सुकून देने वाली धुन बना रही थीं।
अचानक, तेज़ हवा के झोंके से खिड़की खटकने लगी। मोहन चौंककर उठे, “अरे! मैं इसे बंद करना भूल गया।”
“रुकिए,” राधा ने धीरे से कहा। “ठंड लग जाएगी आपको। मैं करती हूँ।”
राधा की बात में आदेश के लिबादे में स्नेह था। राधा उठीं, उनकी चाल अब धीमी हो चली थी, मगर उनमें अब भी एक सहजता थी। उन्होंने खिड़की को बंद किया, और वापस आकर बैठ गईं।
मोहन ने एक गहरी साँस ली, “राधा, अब ये छोटी-छोटी चीज़ें भी मुश्किल लगने लगी हैं।”
राधा ने बुनाई रोक दी। उनकी नज़रें धागों से हटकर मोहन के झुर्रीदार चेहरे पर टिक गईं। उसने हँसते हुए कहा, “जैसे जवानी में बहुत आसान लगती थी! आज से साठ साल पहले, जब मैं पहली बार इस घर में आई थी, तब भी एक गिलास पानी लेना आपको पहाड़ खोदने जैसा लगता था।”
मोहन मंद-मंद मुस्कुराए। “हाँ, मुझे याद है। तुम किचन में खड़ी रहती थी और हर चीज़ के लिए मेरी तरफ़ देखती थी, जैसे पूछ रही हो कि अब क्या करूँ।”
राधा हँस पड़ीं। यह हँसी सालों की पुरानी यादों की तरह मीठी थी। “और आप! आप बस दरवाज़े पर खड़े रहते थे। और सच पूछिए, बस आपका साथ ही काफ़ी था। किचन में पहली बार काम करने से लेकर, बच्चों को स्कूल भेजने तक... हर काम आसान हो जाता था, क्योंकि मुझे पता था कि अगर कुछ भी ग़लत हुआ, तो आप हाथ थामने के लिए हमेशा मौजूद रहेंगे।”
मोहन ने धीरे से अपना हाथ बढ़ाया। राधा ने बिना देरी किए, उस बुढ़ापे की झुर्रियों वाले हाथ को थाम लिया। बुनाई का काम रुका रहा, और दोनों एक दूसरे की आँखों में खो गए।
बाहर बारिश अब भी हो रही थी। एक बिजली चमकी और कमरे में पल भर के लिए रोशनी भर गई। उस रोशनी में, राधा और मोहन एक-दूसरे को देखते रहे। न कोई बड़ी उपलब्धि थी बताने को, न कोई तूफ़ानी प्रेम कहानी। बस एक सामान्य, सादी ज़िंदगी थी, जिसे उन्होंने साथ मिलकर जिया था।
राधा ने अपना सिर उनके कंधे पर टिका दिया, “हमारा जीवन किसी बड़ी कहानी जैसा नहीं है मोहन। हमारे पास न महल है, न दौलत, न दुनिया में पहचान, पर जब भी मैं थककर बैठ जाती हूँ और देखती हूँ कि आप बस मेरे पास हैं, तो मुझे लगता है कि मैंने सब कुछ पा लिया। आपका साथ... बस यही मेरे लिए सब कुछ है।”
मोहन ने धीरे से उसके बालों को सहलाया। दीये की लौ शांत जलती रही, जैसे उन्हें बता रही हो कि कुछ कहानियाँ इसलिए भी ख़ास होती हैं क्योंकि उनमें सादगी होती है। वे दोनों चुपचाप बैठे रहे। पर दोनों शायद एक दूसरे को मन ही मन एक ही बात कह रहे थे, "मेरी जिंदगी का सबसे बड़ा सुख यही है, कि इस जीवन की यात्रा में मेरे पास तुम्हारा साथ है।"

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