May your blessings be upon me - Nova part in Hindi Fiction Stories by MASHAALLHA KHAN books and stories PDF | रहे तेरी दुआ मुझ पर - नोवा हिस्सा

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रहे तेरी दुआ मुझ पर - नोवा हिस्सा

{नोवा हिस्सा ( भाग )}

{नूर के घर मे दाखिल}


फलेशबेक जारी है.......

जाहिद नूर के घर के सामने खड़ा था वह सोच रहा था कैसे उसके घर मे दाखिल हो या फिर नूर को घर से बाहर बुलाये 

हालकि उसकी तबीयत ठीक नही थी , उसका सर चकरा रहा था ,उसे तेज बुखार और बदन दर्द ने घेर रखा था , मगर इश्क के बुखार के आगे उसे कुछ दिखाई नही दे रहा था वह बस किसी तरह नूर से मिलना चाहता था तभी उसके कंधे पर किसी ने पिछे से हाथ रखकर उसे पुकारा .

कौन हो बरखुददार और यहा किसका इन्तेजार कर रहे हो ,
पहले तो तुम्हे यहा नही देखा , क्या तुम्हे किसी से काम है यहा “ये सवाल करने वाला शख्स कोई और नही नूर के अब्बा थे .

जाहिद उनके सवाल से थोड़ा हड़बड़ा गया था वह हड़बड़ाकर कहता है “ नही मै वो वो हकिम जी से दद दवा के मुतल्लिक आया था .

अरे बरखुददार घबरा क्यू रहे हो मैने कही तुमको चोर या लुटेरा थोड़ा ही समझ रहा हूं वैसे भी यहा अक्सर बाहर से लोग आते है मुझसे दवा लेने … उस आदमी ने मुस्कुराकर कहा .

जाहिद ने कहा,, दवा लेने , क्या आप ?

हां मै ही हूं हकिम , हकिम सुलेमान … उस आदमी उसकी बात का जवाब दिया .

जाहिद डरते हुए पूछता है,, आप नूर के अब्बा है ?

नूर के अब्बा ने पूछा,, तुम नूर के अब्बा ने पूछा ?

मगर जाहिद उनको जवाब देने से पहले , उसका सर जो चकरा रहा था और उसका शरीर अब जवाब दे गया , वह धड़ाम से नीचे गिर पड़ा, उसको यू जमीन पर गिरता देख कर नूर के अब्बा उसे उठाते है तो वह देखते है कि उसका शरीर बहुत गर्म हो रहा था , उसका बदन आग की तरह तप रहा था , कमजोरी के कारण उसकी आंखे भी बन्द होने लगी थी तब नूर के अब्बा उसका एक हाथ अपने कंधे पर रख कर उसे अपने घर ले आते है और उसको बरामदे मे पड़े तखत पर लिटा देते है , फिर वह अपनी बीवी को बुलाते है जो रसोई मे दोपहर का खाना बना रही थी , वह जल्दी से बरामदे मे पहुंच जाती है तो देखती है कि कोई शक्स तखत पर पड़ा है और उसके शोहर उसकी जांच कर रहे है .

नूर की अम्मी पूछती है,,ये कौन है जी और यहा तखत पर क्यू लेटा हुआ है .

नूर के अब्बा ने कहा ,,अरे बेगम ये सवाल जवाब बाद मे करना पहले जल्दी से ठंडा पानी और कोई सूती कपड़ा लाओ , इस बच्चे को बड़ी तेज बुखार है इसका बदन आग की भट्टी की तरह तप रहा है .

अपने शोहर की बात सुनकर नूर की अम्मी जल्दी से रसोई मे जाती है , एक मग मे पानी भरती है और पलास्टिक के डब्बे मे रखे बर्फ के कुछ तुकड़े उस मग मे डालकर अपने कमरे मे सूती कपड़े का एक हिस्सा लेकर बरामदे मे पहुंच जाती है , फिर नूर के अब्बा उनके हाथ से मग और कपड़ा लेकर जाहिद के सर पर ठंडे पानी की पट्टी रखते है .

नूर की अम्मी,, ये शक्स कुछ देखा देखा सा लग रहा है मगर कहा देखा है याद नही आ रहा .

नूर के अब्बा,, हां शायद ये शक्स नूर को जानता है , मै इससे पूछने वाला ही था कि यह नीचे जमीन पर गिर पड़ा तो मै इसे उठा लाया .

नूर के अम्मी ने दिमाग पर जोर देकर कहा,, हा याद आया उस दिन ये ही लड़का था जो नूर को रात को घर पर छोड़ कर गया था .

नूर के अब्बा,, अच्छा वो लड़का फिर तो ये बड़ा नेक लड़का है इसने हमारी नूर बेटी की मदद भी करी थी और औरतो के लिए भी इसकी सोच सुनकर मुझे बड़ा अच्छा लगा था .

क्या अच्छा लगा था अब्बा और ये घर मे शोर शराबा कैसा… नूर जो उपर अपने कमरे मे थी नीचे चल रही हलचल को सुनकर नीचे उतरती हुई पूछती है .

नूर की अम्मी,, खुद ही आ के देख लो बेटी क्या चल रहा है और कौन आया है घर मे .

अपनी अम्मी की बात सुनकर नूर बरामदे मे पहुंच जाती है तो उसे तखत पर लेटा हुआ जाहिद दिखाई पड़ता है जिसे देखकर वह चोक जाती है और सोचती है कि यह कैसे उसके घर मे दाखिल हो गया इसे उसने सक्त मना किया था उसके घर करीब आने तक के लिए मगर ये तो घर मे ही घूस गया , फिर उसका ध्यान उसके सर पर रखी जा रही पानी की पट्टियो पर जाता है जो उसके अब्बा जाहिद के सर पर रख रहे है .

आप ये क्या कर रहे है और ये जाहिद हमारे घर पर क्या कर रहा है… नूर ने बेसबरी से पूछा .

नूर के अब्बा ने कहा,, तो इस लड़के का नाम जाहिद है बड़ा प्यारा नाम है .

नूर,, अब्बा मैने आपसे सवाल किया महरबानी करके ये बताये ये यहा कैसे और इसको क्या हुआ है .

नूर के अब्बा,, बेटी ये मुझे बाहर मिला था मैने इससे पूछा की ये यहा क्या कर रहा है तो इसने कहा कि ये यहा दवाई लेने आया है , इसने तुम्हारा नाम भी लिया , मै इस से कुछ और पूछता उससे पहले ही ये जमीन पर गिर पड़ा तो इसको यहा ले आया और इसकी हालत बड़ी खराब हो रखी है , बहुत तेज बुखार है इसे .

अब्बा की बात सुनकर नूर जाहिद के करीब आती है और उसको हाथ लगाकर देखती है तो उसका बदन आग बना पड़ा था , उसकी सांसे भी धीमी चल रही थी , उसके दिल की धड़कने भी हल्की हो रखी थी , उसका चेहरा पीला पड़ गया था , यह देखकर नूर को जाहिद के लिए बहुत चिन्ता होती है , वो उसको इस हालत मे नही देखना चाहती थी तो वह अपना हाथ उसके सर पर रख कर अपनी जादूई ताकत की मदद से उसका इलाज करने लगती है तो उसके अम्मी उसे टोकती है .

नूर की अम्मी,, ये क्या कर रही हो बेटी तुम्हे अपनी जादूई ताकत इंसानो पर इस्तेमाल नही करना चाहिए .

मुझे करने दो अम्मी मै इसे इस हालत मे नही देख सकती इसने मेरी मदद की है तो मै भी इसकी मदद करूंगी … नूर उदासी भरा चेहरा बना कर कहती है .

उसकी अम्मी आगे कुछ नही बोलती , फिर वह अपनी जादूई ताकत से उसे ठीक करने लगती है , धीरे धीरे उसका बुखार उतर जाता है उसका सांसे सही तरहा काम करने लगती है , उसकी धड़कने नोरमल हो जाती है , मगर थकावट वजाह से उसे 2, 3  घंटो के बाद उसे होश आता है , नूर तब तक उसी के पास बैठी हुई उसे ही देख रही थी और उसके होश मे आने का इंतेजार कर रही थी , और ठोड़ी परेशान भी थी जाहिद के लिए, नूर के अब्बा बाहर की तरफ खुलने वाले कमरे मे मरीज को देख रहे थे , वही उन्होंने मरीजो को देखने और उनका इलाज करते थे, नुर की अम्मी रसोई मे काम कर रही थी .

जब जाहिद को होश आता है तो सबसे पहले उसे नूर का ही चेहरा दिखाई देता है , जिसे देखकर उसके चेहरे पर मुस्कान आ जाती है , उसके दिल की धड़कन जो नोरमल हुई थी अब वो जोरो से धड़क उठी थी , उसकी आंखो मे एक अलग ही चमक आ गयी थी , नूर जो जाहिद के होश मे आ जाने से सकुन की सांस लेती है , लेकिन जाहिद के इस तरह उसे देखने से उसकी नजरो को पड़ती है तो उसे समझ आता है कि जाहिद उसे पसंद करने लगा तभी वह इस हालत मे भी यहा तक आ गया , मगर वह नही चाहती थी कि वह आगे बड़े इस लिए उसे जल्द से जल्द घर से भेजना चाहती थी .

नूर ने गुस्से से कहा,, मैने तुम्हे मना किया था ना कि मेरे घर के करीब मत आना फिर भी तुम आ गए , बड़े बेशर्म हो .

जाहिद उसके सवाल का जवाब देते हुए कहता है,,  वो नूर जी मे यहा से गुजर रहा था तो तुमने बताया था ना  कि तुम्हारे अब्बा हकिम है तो मैंने सोचा उन से ही दवाई ले लू
मगर तभी मेरा सर जोरो से चकराया मेरी आंखे भारी होने लगी और मुझे पता ही नही चला मे बेहोश हो गया, अब तुम्हारे सामने हूं बिल्कुल तंदरूसत मानो कुछ हुआ ही नही मुझे मेरा बुखार भी गायब हो गया और मेरा सर दर्द भी चला गया , कमाल के हकिम है तुम्हारे अब्बा मुझे इतने जल्दी ठीक कर दिया , मेरे यहा आने का इरादा सही साबीत हुआ,लगे हाथ तुम्हे भी देख लिया तो मेरी तबीयत और ठीक हो गई .

अब नूर उसको क्या जवाब देती कि ये कमाल उसके हकिम अब्बा का नही बल्कि उसका है लेकिन वह नही कहे पायी तभी उसकी अम्मी रसोई मे जाहिद के लिए खिचड़ी बना लाती है उसे देती है जाहिद जो सुबह से भुखा था वह उनसे वो खिचड़ी ले बड़े चाओ से खाने लगता है मानो खिचड़ी नही बिरयानी खा रहा हो , इस सब मे नूर कुछ नही बोलती वह बस उसके वहा से जाने का इंतेजार कर रही थी , खिचड़ी खा कर वह नुर की अम्मी का शुक्रिया अदा करता है, फिर वह सामने लग रही घड़ी मे टाइम देखता है तो शाम के पांच बज रहे थे , वह जल्दी से तखत से उठकर जाने लगता है तभी नूर के अब्बा वहा आ जाते है .

नुर के अब्बा ने कहा,, तो बरखुददार अब तुम्हारी तबीयत ठीक है , काफी सही दिखाई दे रहे हो .

जाहिद ने कहा,, जी मै बिलकुल ठीक हूं आपका बहुत बहुत शुक्रिया आपने मुझे इतनी जल्दी ठीक कर दिया .

नूर मे अब्बा ने कहा,, शुक्रिया मेरा नही नुर बेटी का करो उसने ही तुम्हे इतनी जल्दी ठीक किया वरना तुम अब तक चरपाई पर ही होते .

क्या नूर जी भी हकिमी जानती है उन्हे भी जानकारी है हकिमि दवाइयो की और अगर ऐसा है तो ये तो बड़ी अच्छी बात है … जाहिद ने नुर की ओर देखकर मुस्कुराकर कहा .

नूर बस शांत खड़ी उसे ही देख रही थी हालाकि वह उससे दूर रहने चाहती थी मगर फिर भी वह उसकी ओर खीच रही थी, ना चाहते हुए भी उसके दिल मे जाहिद अपनी जगह बना रहा था, फिर नूर के अब्बा जाहिद को एक दवाई का पैकेट देते है और उसे टाइम टू टाइम खाने की सलाह देते है, 
जाहिद उनसे पैसे के बारे मे पूछता है तो वह हंसकर मना कर देते है फिर जाहिद वहा से घर चला जाता है , जाहिद घर जाते हुए सोचता है कि आज उसकी तबीयत कैसी भी रही हो मगर नूर का दिदार कर उसके दिल को बहुत सुकुन मिला और अब उसे यकिन हो चला था कि वह नूर से मोहब्बत करने लगा है.




कहानी जारी है.....✍️