Bandhan - 62 in Hindi Fiction Stories by Maya Hanchate books and stories PDF | बंधन (उलझे रिश्तों का) - भाग 62

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बंधन (उलझे रिश्तों का) - भाग 62

chapter 62 



अरे यार 🙀🙀 मैं तो यह बताना भूल गई की कश्यप और उसे लड़की को कौन घूर रहा था। वह लड़की अस्पताल की स्टाफ में से एक थी और जो कश्यप और उसे लड़की को एक साथ देख कर घूर रहा था वह इंसान तरुण की बहन वीरा थी।

वीरा को कश्यप से अस्पताल में ही पहली नजर का अट्रैक्शन हो गया था लेकिन जैसे-जैसे वह कश्यप को बीते कुछ दिनों में अस्पताल में जाना था उसे कश्यप से प्यार हो गया। 

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अब आगे 

शाम का वक्त सभी लोग घर के गार्डन में बैठकर बातें कर रहे थे वनराज और शिवाय भी वापस ऑफिस से आ गए थे। दुर्गा और कार्तिक को कुछ काम आ गया था जिसकी वजह से वह लोग घर नहीं आए थे।

तीनों बच्चे मिलकर सांची के साथ खेल रहे थे और सांची भी उन तीनों के सात बच्ची बनकर खेल रही थी।

इशिता जी खुशी जी और अरनव जी से पूछती है कि मां, बापूजी क्या इस बार की राखी भी हर साल की तरह फीकी होगी क्या?

जिस पर खुशी जी बोली नहीं बेटा इस साल की राखी हम लोग धूमधाम से मनाएंगे इतने सालों बाद पूरा कपाड़िया परिवार एक हुआ है, हमें हमारी लाडो मिली है ।शिवाय लौट कर आया है। और यह साल की राखी कौरव , आर्य और संवि तीनों की पहले रखी होगी।

उनकी बात सुनकर सभी लोग खुश होते हैं ,लेकिन तभी इशिता जी बोली " पर मां पालकी यहां नहीं है तो वनराज और शिवाय को राखी कौन बांधेगा।

उनकी बात सुनकर खुशी जी कुछ सोच रही थी 
 तभी सबके कानों में एक आवाज पड़ती है..... "किसने कहा कि मैं यहां नहीं हूं ,,

सभी लोग इस आवाज की तरफ देखते हैं तो उन्हें सामने पालकी खड़ी हुई दिखती है जो अपने हाथों में कई सारे बैग्स लेकर मुस्कुरा कर सबको देख रही थी।

पालकी को सामने देखकर सभी लोग बहुत खुश होते हैं और उसके तरफ जाते हैं। पालकी अपने हाथों का बैग नीचे रखकर अरनव की और खुशी जी के पैर छूती है"जय श्री कृष्णा दादी और दादू,,
उसके बाद वह रमन जी और इशिता जी के गले लग जाती है और कहती हे आई मिस यू वेरी मच मॉम ,dad।

रमन जी और इशिता की भी उसको गले लगाते हुए बोले वी अलसो मिस्ड यू बच्चा।

उसके बाद पालकी शिवाय और वनराज को एक साथ गले लगाते हुए बोली वनराज भैया और भाई आप दोनों को कल मुझे बहुत से अच्छे-अच्छे गिफ्ट देना हो गए खासकर शिवाय भैया आप पिछले 5 साल का अकाउंट बैलेंस करना बाकी है।

पालकी की बात सुनकर वनराज कहता है "जरूर आपको क्या चाहिए बताइए हम आपके सामने एक चुटकी में हाजिर कर देंगे।

पालकी हाथ फोल्ड कर कर, अपने आंखों को छोटी-छोटी कर कर वनराज की तरफ देखते हुए बोलती है भाई गिफ्ट में क्या चाहिए यह भी मुझे बताना होगा आपको? आप जो दोगे वह मेरे लिए हमेशा बेस्ट होगा। वनराज उसके बाद पर मुस्कुरा देता है। 

उसके बाद पालकी अपने एक आईब्रो को ऊपर उठाते हुए अपने आंखों को गोल-गोल घूमते हुए शिवाय की तरफ देख कर बोली अब बताइए आप मुझे कल गिफ्ट में क्या दोगे और वह भी मुझे पूरे 5 साल के गिफ्ट चाहिए (लास्ट वाली लाइन बोलते वक्त उसकी आवाज धीमी हो गई थी और एक्साइटमेंट थोड़ा सा काम हो गया था)

जिसे शिवाय भी महसूस कर रहा था। पर वह कुछ नहीं बोलता और उसके सर पर हाथ रख कर बोला आपको आपका गिफ्ट के बारे में कल ही पता चलेगा। आई प्रॉमिस आपके पिछले 5 साल के गिफ्ट्स आपको कल मिलेंगे। 

शिवाय की बात सुनकर  पालकी बहुत ही ज्यादा एक्साइटेड हो जाती है और शिवाय को फिर से गले लगा लेती है।

उसके बाद वह रुचिता के पास जाती है उसके पैर छूते हुए बोली कैसी हो भाभी आप जिस पर रुचिता जी ठीक हूं बोल देती है।
तभी खुशी की बोली सभी लोग ऐसे ही खड़े होकर बातें करोगे क्या चलो बैठ जाओ इतना बोलकर वह वापस गार्डन के चेयर पर बैठ जाते हैं।
 
इशिता जी और रमन जी के  बीच में पालकी  बैटी हुई थी, रमन जी के बाजू में अरनव की और अरनव जी के बाजू में खुशी जी फिर वनराज, रुचिता, शिवाय , बैठे हुए थे।
 (इस समय सांची बच्चों के साथ गार्डन के दूसरी तरफ खेल रही थी जिसकी वजह से उसे पालकी की आने की बात नहीं पता थी और मोहिनी जी सांची के साथ थी तो उन्हें भी नहीं पता था)

रमन जी पालकी से पूछते हैं बेटा आपको आने में इतना समय क्यों लगा आपने तो कहा था की कंपटीशन, बस एक हफ्ते का है।

पहले तो पालकी उनकी बात सुनकर खामोश हो जाती है उसके चेहरे पर अजीब  से भाव आते हैं पर वह जल्दी से अपने भावों को वापस पहले जैसे कर कर बोलती है..... वह पापा एक्चुअली कंपटीशन कुछ दिनों के लिए पोस्टपोन हो गया था। जिसकी वजह से आने के लिए देरी हो गई।

उसकी बात सुनकर सभी लोग सर हाँ में हिला  देते हैं। पालकी इधर-उधर देखते हुए सबसे पूछती है बच्चे कहां है वह दिखाएं क्यों नहीं दे रहे हैं।

उसकी बात सुनकर इशिता जी बोलती है वह लोग गार्डन की दूसरी तरफ खेल रहे हैं रुको मैं अभी उन्हें बुलाती हूं इतना बोलकर वह सर्वेंट को तीनों को लाने के लिए कह देती है।

कुछ देर में वह तीनों आ जाते हैं जब तीनों पालकी को वहां देखते तो वह लोग भी एक्साइटेड हो जाते हैं और पालकी को गले लगाने के लिए दौड़ते हैं पालकी भी उन्हें गले लगाने के लिए उठकर उनकी तरफ जाने लगती है।

पालकी घुटनों के बल बैठकर तीनों को एक साथ गले लगाते हुए बोली  "बुआ ने आप सबको बहुत ही ज्यादा मिस किया है, क्या अपने भी बुआ को मिस किया? 

जिस पर तीनों एक साथ अपना सर हमें हिला  देते हैं जिसे देखकर पालकी और भी ज्यादा कसकर उन्हें गले से लगाती है। और कहती है आपको पता है बुआ ने आप सबके लिए बहुत सारे गिफ्ट्स लाए हैं, इतना बोलकर वह उन तीनों से अलग होती है। 
तभी उसकी नजर पीछे खड़ी हुई सांची और मोहिनी जी के ऊपर जाती है तो वह जल्दी से उठकर मोहिनी जी के पैर छूकर बोली जय श्री कृष्णा मासी मां, आप कैसी हो?
उसकी बात सुनकर मोहिनी जी पहले उसे आशीर्वाद देती है मुस्कुरा कर बोली मैं अच्छी हूं तुम कैसी हो। पालकी भी ठीक हूं का कर जवाब देती है। 

उसके बाद वह सांची की तरफ जाती है और उसे कसकर गले लगाते हुए बोली "कैसी हो तुम? उसके चोट को देखकर कहती है यह अच्छा हालत बना रखी है अपनी। 

जिस पर सांची कहती है कुछ नहीं बस छोटी-मोटी चोट लगी है तू बता तेरा कंपटीशन कैसा था? तेरे रिजल्ट क्या है।

अर्नव जी भी बोले हां बच्चा जब से आप आई हो आपने बताया नहीं की आपके कंपटीशन के क्या रिजल्ट्स है।

पालकी उनकी बात सुनकर उन सबको उदासी से देखती हैं जब सब लोग देखते हैं की पालकी का चेहरा उदास हो गया है तो वह लोगों को लगता है की पालकी कंपटीशन हार गई है जिसकी वजह से उसने अपना चेहरे को उदास बना लिया है । लेकिन शिवाय के चेहरे पर कोई भाव नहीं था वह बस पालकी को देख रहा था। 

खुशी जी कहती है कोई बात नहीं पालकी हर और जीत तो जिंदगी में होती रहती है यह कंपटीशन हार गई हो तो कोई बात नहीं मुझे तुम पर भरोसा है तुम आगे के कंपीटीशन जरुर जीतोगे। ऐसे उदास नहीं होते हैं बच्चा। 
खुशी जी की बात सुनकर सभी लोग उनकी बातों को सपोर्ट करते हैं और पालकी को हारने पर उदास होने को मना कर कर आगे की जीत के लिए तैयार होने की भरोसा देते हैं। 

जब पालकी यह देखी है कि सभी लोग उसके लिए कितना परेशान हो रहे तो वह एकदम चिल्ला कर बोली" में कंपटीशन जीत गई हूं,,।

और तभी पीछे से उन सब के कानों में प्रणय की आवाज आती है सिर्फ जीती नहीं है बल्कि इंडिया की पहली यंगेस्ट फैशन डिजाइनर का किताब हासिल किया है।

 प्रणय की बात सुनकर तो उनकी खुशी को दुगना कर दिया था। तभी रुचिता जी एक सर्वेंट को स्वीट लाने के लिए कहती है और सबका मुंह मीठा करती है। 

सभी लोग पालकी को जीतने के लिए बधाई दे रहे थे। इस वक्त रमन जी और अरनव जी के चेहरे पर घमंड भार मुस्कान था। 

तभी पालकी सबसे कहती है 1 मिनट 1 मिनट बातें बहुत हो गई है चलो अब मैं आप सबको आप सबके गिफ्ट देती हूं जो मैंने अमेरिका से लाया है। इतना कहकर वह उन बाग की तरफ जाती है जो कुछ देर पहले उसने जमीन पर रखा था।
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पर वह बैक को उठाती उससे पहले ही उसने एक सर्वेंट को उसके कानों में कुछ कहा जिस पर सर्वेंट हां बोलकर वहां से चली गई। सर्वेंट के जाते ही पालकी सभी को उनका गिफ्ट देने लगती है।
सभी के हाथों में उनका गिफ्ट था लेकिन मोहिनी और सांची एक साइड खड़े  हुए  थे ।

 उन्हें थोड़ा बुरा लगा पर उन लोगों ने खुद को यह कह कर समझा लिया कि पलकी को थोड़ी ना पता है कि वह लोग कपाड़िया हाउस की बजाय कपाड़िया‌ मेंशन में रह रहे हैं इसलिए उसने उन लोगों के लिए गिफ्ट नहीं लाया होगा।

तभी सर्वेंट अपने हाथों में कुछ और बैग लती है जिसे पाल की अपने हाथों में लेकर मोहिनी जी और सांची की तरफ कर देती है , जिसकी वजह से सांची और मोहिनी की एक दूसरे की तरफ देखते हैं। 

पालकी की उन दोनों को देखकर बोली "आप लोग ऐसे क्या देख रहे हो यह आपका गिफ्ट है इतना बोलकर वह उन दोनों के हाथों में गिफ्ट का बैग रख देती है,,। और बोलती है इसमें बड़ी दादी दादू चाचा कश्यप भैया अद्वितीय का भी गिफ्ट है।

पालकी की बात सुनकर मोहिनी जी की आंखों में नमी आती है और वह अपने नमी भरी आंखों से ही पालकी से कहती है थैंक यू बेटा पर आपको कैसे पता चला कि हम लोग यहां आए हैं?

जिस पर पाल की मासूमियत से बोली मुझे नहीं पता आप लोग यहां आए हो मैंने तो यह गिफ्ट्स पहले ही पूरे परिवार के लिए लिया था।

खुशी जी और अनूप जी रमन और इशिता और बाकी सब को पालकी की बात सुनकर उसे पर बहुत ही ज्यादा गर्व हो रहा था।

गिफ्ट्स का सिलसिला खत्म होने के बाद सभी लोग हाल में आते हैं, तो पालकी की शिवाय को आज  डिनर कुछ स्पेशल बनाने के लिए कहती है। क्योंकि आज उसे शिवाय के हाथों का बना हुआ खाना खाना था। 

तभी वहां कश्यप भी आ जाता है, जिससे पालकी थोड़ा सा फॉर्मल ही मिलती है और उसे ग्रीट करती है। तभी सांची के दिमाग में कुछ खुराफाती आता है और वह कश्यप और वनराज की तरफ देखकर बोलती है  "डियर ब्रदर्स आपको नहीं लगता कि आज का डिनर आप लोगों को बनाना चाहिए?
तभी उनके कानों में दुर्गा की भी आवाज आती है जो सांची का साथ देते हुए बोली बात तो सही है आज का डिनर हमारे डियर छोटे और बड़े भाई लोग ही बनाएंगे। 

आखिर हम सबको भी पता चले की इनके यह हाथों में स्वाद है या नहीं इतना बोलकर वह सांची के हाथों पर ताली मार देती है। उनकी बात सुनकर वनराज और कश्यप अपने हाथों को कॉल करते हुए बोल क्यों नहीं आज का डिनर हम लोग ही बनाएंगे। इतना कह कर बोलो पहले रूम में जाकर फ्रेश होकर किचन की तरफ चले जाते हैं। अर्णव जी और रमन जी अपने बच्चों का साथ देने के लिए किचन में चले जाते हैं। 

यहां बाहर हाल में खुशी की सबको राखी की तैयारी करने के लिए बोल देती है और सबको यह कहती है कि कल की राखी सब लोग धूमधाम से मनाएंगे सबको इनवाइट करेंगे कल सब राखी कपाड़िया मेंशन में ही मनाएंगे। उनकी बात सुनकर सभी लोग हां कर देते है।

खुशी की सबको उनका उनका काम बता रही थी,
तभी संवि खुशी जी से मासूमियत से पूछती है... ग्रैनी यह राखी क्या होती है और इसे हम लोग क्यों सेलिब्रेट करते हैं? आर्य भी इस सवाल का जवाब जानना चाहता था जिसकी वजह से वह भी खुशी जी की तरफ देखने लगता है। 

तभी उर्मिला जी वहां अपने चश्मे को ठीक कर कर वहां आते हुए सोफे पर बैठी है और उन दोनों को अपने करीब कर कर बोली हम लोग राखी इसलिए मानते हैं क्योंकि इस  इस दिन सारे बहन अपने भाई को राखी मां बंद कर उनसे यह वादा लेती है कि वह लोग उसकी रक्षा करेंगे। और भाई अपनी बहन को गिफ्ट देकर यह वादा करता है कि वह लोग उसकी रक्षा हमेशा करेगा। 
यूं तो राखी के बहुत सारे कहानी है पर सबसे ज्यादा लोग रक्षा बंधन मनाने के पीछे इस कहानी को मानते हैं। कृष्ण जी के हाथ पर चोट लगी थी जिसे देखकर द्रोपदी जी अपनी साड़ी के पल्लू का एक हिस्सा फाड़ कर उनके चोट पर लगा देती है। 
जिसे देखकर कृष्ण जी द्रौपदी जी से वादा करते हैं कि वह इस कपड़े के टुकड़े के हर धागे  कीमत उनकी रक्षा कर कर चुकाएंगे। 
इसके बाद से पूरे देश में राखी का प्रचलन शुरू हो गया। 
 उर्मिला जी की बातें सुनकर संवि अपना सर ऐसे हिलती है जैसे उसे समझ में आ गया हो। 
तभी पालकी और दुर्गा अपने हाथों में कुछ लेकर आती है जिसमें अलग-अलग प्रकार मोती होती है, रंग बिरंगी फूल होती है गोट और आदि की चीज। 

जिसे देखकर संवि बोली बूआ आपने यह क्यों लाया इसे आप क्या करोगी?

दुर्गा संवि को अपने गोद में बिठाकर बोली कल सभी को राखी बांधना है तो आज हम सारी रात बैठकर सभी के नाम का राखी बनाएंगे जिसके लिए यह सामान लगेगा।
 
रुचिता जी तीनों बच्चों को देखकर बोलती है आपको पता है आपके पापा बड़े पापा और चाचू दादू सब लोग किचन में खाना क्यों बना रहे हैं? 

जिस पर दोनों ना में सर हिलते हैं , क्योंकि हर साल राखी के एक दिन सभी भाई अपनी बहन के लिए खाना बनाते हैं और वही बहन अपने भाई के लिए रखिए अपने हाथों से बनाती है।

उनकी बात सुनकर तीनों बहुत एक्साइटेड हो जाते हैं आर्य और कार्य तो किचन की तरफ भाग जाते हैं क्योंकि उन्हें भी अपनी बहन के लिए कुछ बनाना था।
तो वही संवि भी कौरव और आर्य को राखी अपने हाथ से बनाने की कोशिश करती है जिसका साथ इशिता जी और मोहिनी जी देती है। 

वही पालकी और दुर्गा तो राखी बनाना शुरू कर चुके थे। पर सांची को राखी सही से बनानी नहीं आ रही थी क्योंकि उसने कभी रखी अपने हाथ से नहीं बनाई थी उसका भी यह पहली बार था उसे से राखी को बनाते वक्त परेशान देखकर उर्मिला जी उसकी मदद करने के लिए जाती है। यह हाल में सभी लेडिस राखी बना रही थी तो वही किचन का हाल कुछ अलग ही था। 

सभी में लिए डिसाइड कर रहे थे कि वह लोग डिनर में क्या बनाएंगे, उन लोगों ने डिसाइड करने के बाद तैयारी करना शुरू कर देते हैं। तभी वहां कौरव और हर आते हैं और उन लोगों से जिद करते हैं कि वह भी खाना बनाएंगे। 
उनकी ज़िद देकर अरनव की उन्हें अपने पास बुलाकर सब्जी को अच्छे से तोड़ने के लिए बोल देते हैं।तो वह लोग भी अच्छे से आनंद जी की बात मानकर अर्णव जी की नकल कर रहे थे।

आगे कहानी में क्या होगा जाने के लिए पड़ी है अगला चैप्टर। आज का चैप्टर आपको मजेदार लगा होगा प्लीज रिव्यू और कमेंट देना मत भूलना।