कुछ दिन बाद ...
आज का दिन बहुत खास था।
मगर रुशाली के लिए ये सुबह किसी और ही अंदाज़ में शुरू हुई।
उसकी माँ कई बार कमरे में आकर कह चुकी थीं —
माँ (धीरे से पर्दा हटाते हुए):
"रुशाली... उठ जा बेटा। आज तेरा रिज़ल्ट भी आना है।"
रुशाली (तकिये में मुँह दबाकर):
"माँ... पाँच मिनट और सोने दो ना..."
माँ हल्की हँसी के साथ चली गईं।
तभी अचानक फोन की घंटी बजी।
📱 ट्रिन... ट्रिन...
स्क्रीन पर नाम चमका — Dr. Akdu।
बस नाम देखते ही नींद उड़ गई।
उसने फटाफट फोन उठाया।
रुशाली (जल्दी से):
"हेलो सर..."
मयूर सर (खुश होकर गुनगुनाते हुए):
"🎵 हैप्पी बर्थडे टू यू... हैप्पी बर्थडे टू यू... हैप्पी बर्थडे डियर रुशाली... हैप्पी बर्थडे टू यू 🎵"
रुशाली की आँखों में चमक, होंठों पर मुस्कान और दिल में अजीब-सी हलचल।
रुशाली (हैरानी से):
"सर... आपको याद था मेरा बर्थडे?"
मयूर सर:
"बिलकुल याद था। अब जल्दी से रेडी हो जाओ... मैं तुम्हें लेने आ रहा हूँ।"
फोन कटते ही उसका दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़कने लगा।
उसने तुरंत अलमारी खोली और वही पहनने का सोचा जो मयूर सर को सबसे ज़्यादा पसंद है—नेवी ब्लू टॉप और ब्लू जीन्स।
खुले बाल, कानों में झुमके, हाथों में कुछ फैन्सी चूड़ियाँ और माथे पर छोटी-सी काली बिंदी।
तैयार होते वक्त उसके दिल ने कहा...
"आज का दिन कुछ खास बनेगा,
दिल की धड़कनें भी यही कहेंगी।
जिसे चाहा है दिल ने,
आज शायद वो भी मुझे चाहेगा।"
माँ ने आकर उसे गले लगाया।
माँ:
"हैप्पी बर्थडे बेटा... भगवान तुझे हर खुशी दे।"
रुशाली (मुस्कुराकर):
"थैंक्यू माँ... और पता है, आज मयूर सर खुद मुझे लेने आ रहे हैं।"
इतना कहते ही बाहर कार का हॉर्न बजा।
रुशाली बाहर आई तो देखा—मयूर सर दरवाज़े पर खड़े थे, हाथ में बड़ा-सा व्हाइट रोज़ेस का बुके।
मयूर सर (फिर से गाते हुए):
"हैप्पी बर्थडे टू यू..."
रुशाली (शर्माकर):
"थैंक्यू सर... ये तो बहुत खूबसूरत है।"
मयूर सर (गंभीर होकर देखते हुए):
"You look...gorgeous today. I think it's birthday glow."
दोनों हँस पड़े और कार में बैठकर हॉस्पिटल की ओर निकल पड़े।
रिसेप्शन पर डॉ. कुनाल मिले।
डॉ. कुनाल:
"ओह... हैप्पी बर्थडे रुशाली!"
रुशाली (हैरान होकर):
Thank You...."आपको कैसे पता?"
उन्होंने हल्की मुस्कान के साथ मयूर सर की ओर देखा।
रुशाली समझ गई... और मुस्कुरा दी।
फिर काम शुरू हो गया। कुछ पेशेंट्स के discharge रिपोर्ट्स बनाने का काम दोनों ने मिलकर किया।
रुशाली पूरी लगन से काम कर रही थी।
पर मयूर सर... उनकी नज़रें बार-बार उसी पर टिक जातीं।
उसके पहने नेवी ब्लू रंग ने जैसे उनकी आँखों में जादू भर दिया हो।
मयूर सर (धीरे से):
"रुशाली, आज तुम्हारे बर्थडे पर मैं तुम्हें बाहर ले जाना चाहता हूँ... रेस्टोरेंट में... लेकिन सिर्फ़ तुम और मैं।"
दिल के कोने में छुपी खुशी उसके होंठों पर मुस्कान बनकर आ गई।
रुशाली:
"ओके सर..."
रेस्टोरेंट की हल्की-हल्की रोशनी, हवा में तैरती जेस्मिन की खुशबू और पियानो की धीमी-सी धुन।
एक टेबल पहले से सजी हुई थी—सफ़ेद और लाल फूलों से, टेबल के बीचों-बीच एक छोटा-सा गिफ्ट बॉक्स रखा था।
रुशाली अंदर कदम रखते ही रुक गई।
उसकी आँखें चमक उठीं—उसने शायद ही कभी सोचा होगा कि उसके लिए कोई इतना सब कुछ करेगा।
रुशाली (धीरे से, जैसे खुद से ही):
"ये सब... मेरे लिए?"
मयूर सर (हल्की मुस्कान के साथ):
"हाँ... सिर्फ़ तुम्हारे लिए।"
वो बैठी। मयूर सर ने उसकी ओर गिफ्ट बॉक्स बढ़ाया।
मयूर सर:
"खोलो... और बताओ कैसा लगा।"
रुशाली ने काँपते हाथों से रिबन खोला। अंदर एक छोटा-सा लेटर और एक बेहद प्यारी wrist watch थी।
लेटर पर लिखा था—
"Dear Rushali, wishing you a very Happy Birthday...
May you always shine like this forever."
उसकी आँखें भर आईं, लेकिन मुस्कान छुपी रही।
उसने घड़ी तुरंत पहन ली।
रुशाली (होंठ दबाते हुए):
"बहुत सुंदर है सर... सच कहूँ तो... ये सिर्फ़ घड़ी नहीं, मेरे लिए एक याद है।"
मयूर सर (गंभीर होकर):
"मुझे पता था... तुम्हें पसंद आएगी।"
मयूर सर ने बिना पूछे ही खाना ऑर्डर कर दिया था—South Indian Thali।
रुशाली ने हँसकर कहा—
रुशाली:
"अरे सर... आपने मुझसे पूछा भी नहीं!"
मयूर सर (थोड़ा शरारती अंदाज़ में):
"कभी-कभी सरप्राइज़ का मज़ा पूछे बिना ही आता है। और वैसे भी... मुझे पता है तुमको ये पसंद है।"
रुशाली ने उसकी आँखों में देखा। सच में... वहाँ एक अजीब-सी सच्चाई छुपी थी।
प्लेट आ गई। दोनों खाना खाने लगे।
बीच-बीच में हल्की-फुल्की बातें होती रहीं।
रुशाली (धीरे से):
"सर, एक बात कहूँ?"
मयूर सर:
"हाँ, कहो।"
रुशाली (हिचकते हुए):
"आज तक किसी ने मुझे इतना स्पेशल feel नहीं करवाया... आप पहले हो, जिन्होंने मुझे मेरी अहमियत दिखाई।"
उसकी आवाज़ धीमी थी, लेकिन शब्दों का बोझ भारी।
मयूर सर उसकी आँखों में देखते रहे।
मयूर सर:
"रुशाली, तुम बड़ी बेटी हो... पापा के जाने के बाद घर की जिम्मेदारियाँ तुम्हारे कंधों पर आ गईं।
तुमने अपने अरमान दबा दिए।
शायद आज का ये सरप्राइज़ इसलिए ज़रूरी था... ताकि तुम्हें याद रहे—तुम बहुत स्पेशल हो।" और यह बात हमेशा याद रखना।
रुशाली की आँखों में नमी थी, पर उसने मुस्कान ओढ़ ली।
कुछ देर बाद मयूर सर ने गहरी साँस ली और बोले—
मयूर सर (धीरे से):
"रुशाली, शायद तुम्हें ये सुनकर अच्छा न लगे और लगे कि यह सब आज ही क्यों बताना है... लेकिन अगले हफ़्ते मेरी सगाई है।"
उसके दिल पर जैसे किसी ने भारी पत्थर रख दिया।
लेकिन उसने हिम्मत करके कहा—
रुशाली (आवाज़ संभालते हुए):
"ओह... बहुत अच्छी बात है सर।
आप खुश हैं? आपको वो पसंद हैं?"
मयूर सर:
"हाँ... डॉक्टर हैं। परिवार ने पसंद किया है। मुझे भी पसंद आ ही जाएँगी।"
खाना खत्म हो गया था।
टेबल पर प्लेटें खाली थीं, लेकिन दोनों के दिल भरे हुए।
रुशाली (धीरे से):
"सर, जबसे आप मेरी ज़िंदगी में आए हैं, मैंने न किसी और के लिए ऐसा महसूस किया, न सोचा।
आप ही मेरे लिए soulmate हैं।
लेकिन शायद किस्मत में हमारा साथ नहीं लिखा।
खैर... आप हमेशा खुश रहिए।
वैसे भी... आज मेरा रिज़ल्ट है। अगर पास हुई तो ट्रेनिंग के लिए जाना होगा।
दो साल बाद लौटूँगी तो शायद आपकी शादी हो चुकी होगी... और शायद... एक बच्चा भी।"
उसकी हँसी नकली थी।
मगर मयूर सर समझ गए।
मयूर सर (धीरे से, गहरी नज़र से देखते हुए):
"रुशाली, याद रखना...
मैं तुम्हारी ज़िंदगी में नहीं भी रहूं जैसे तुम चाहती हो लेकिन में हमेशा तुम्हारे कॉन्टैक्ट में रहूंगा, और एक बात तुम्हारी जिंदगी में कोई ऐसा आएगा... जो सिर्फ़ तुम्हारे लिए बना होगा।
तुम्हें वही खुशियाँ देगा... जो तुम deserve करती हो।" और हां एक बात हमेशा याद रखना तुम खास हो।
ये सुनकर उसकी आँखें भर आईं, लेकिन उसने आँसू गिरने नहीं दिए।
वो उठकर जाने लगी।
मयूर सर (आवाज़ लगाते हुए):
"रुशाली..."
वो पलटी।
दोनों की आँखें मिलीं।
नज़रों ने ही कह दिया—
"मैं जानता हूँ... तुम मुझे समझोगी।"
और रुशाली की नज़रों ने जवाब दिया—
"हाँ, समझती हूँ... इसलिए ही दूर जा रही हूँ।"
उस रात डायरी में...
"आज का दिन...
सबसे खूबसूरत भी था और सबसे दर्दनाक भी।
जन्मदिन था...
मगर उपहार में मिला जुदाई का दर्द।
शायद यही सच्ची चाहत है—
मिलकर भी... न मिल पाना।"
"तुम्हें चाहा दिल ने, मगर किस्मत ने रोका,
हर मुस्कान के पीछे आज ग़म का झोंका।
तुम खास हो... उसने ये कह तो दिया,
पर मेरे हिस्से में तन्हाई का ही सिला।"
⏳ अगली कड़ी की झलक...
"रुशाली तो मुस्कुरा दी, पर उसकी आँखें सब कह गईं।
मयूर सर चुप थे, लेकिन उनके दिल में भी तूफ़ान था।
क्या सचमुच उनका रिश्ता यहीं खत्म हो जाएगा?
या फिर किस्मत एक नया मोड़ लाएगी...?"
"वक़्त के पन्ने पलटेंगे या वहीँ रुक जाएँगे,
ये चाहत अधूरी रहेगी या मुकम्मल हो जाएगी?
जवाब... अगली कड़ी में।"