Dil ne jise Chaha - 1 in Hindi Love Stories by R B Chavda books and stories PDF | दिल ने जिसे चाहा - 1

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दिल ने जिसे चाहा - 1

मैं यह कहानी दोबारा लिख रही हूँ, लेकिन इस बार बिल्कुल वैसे, जैसे मैंने इसे अपने दिल में महसूस किया था। मेरी पहले की कहानी "दिल से दिल तक: एकतरफा सफर" से यह काफी मिलती-जुलती होगी, लेकिन इस बार यह और गहरी होगी, और भी ज्यादा भावनाओं से भरी हुई।

यह वही कहानी है, लेकिन अब मैं इसे वैसे शब्दों में पिरोऊँगी, जैसे मैंने इसे अपने मन में जिया था—हर एहसास को, हर भावना को और भी खूबसूरती से व्यक्त करते हुए। कुछ किस्से वही रहेंगे, लेकिन इस बार वे और ज्यादा जीवंत होंगे, क्योंकि मैं इसे केवल लिख नहीं रही, बल्कि जी रही हूँ।

मुझे उम्मीद है कि आप इस कहानी को उतना ही प्यार देंगे, जितना मेरी पहली कहानी को दिया था। इस सफर में मेरे साथ चलिए, क्योंकि यह सिर्फ शब्दों का नहीं, बल्कि दिल से निकली भावनाओं का सफर है।

रुशाली एक सीधी-सादी, सरल स्वभाव की लड़की थी। उसके मन में हमेशा एक सवाल रहता—"प्यार क्या है?" यह कैसे होता है? और सबसे अहम—"कब होगा?" वह इन सवालों के जवाब खोजती, लेकिन उसके मन में कभी किसी लड़के को उस नजरिए से देखने का ख्याल भी नहीं आया था।

वह बस एक एहसास को जीना चाहती थी, बिना किसी बनावट के, बिना किसी दिखावे के। उसकी चाहत कुछ अनोखी थी—कोई ऐसा हो, जो उसकी मासूमियत, उसकी सरलता को पसंद करे। ऐसा नहीं कि उसे सजना-संवरना पसंद नहीं था, लेकिन उसने हमेशा यह सोचा था कि जब भी कोई उसे पसंद करेगा, वही उसे यह बताएगा कि उसे कैसे तैयार होना चाहिए। वह उसी की पसंद को अपनी पसंद बना लेगी, क्योंकि प्यार में समझने और अपनाने की बात सबसे अहम होती है।

रुशाली को यह एहसास तो था कि दुनिया में प्यार करने वाले बहुत हैं, लेकिन वह चाहती थी कि कोई सिर्फ उसके लिए हो—जो उसकी भावनाओं को समझे, उसके बिना कहे उसके दिल की बात सुन सके। उसकी छोटी-छोटी बातों में गहराई देख सके, उसकी खामोशियों को पढ़ सके। वह चाहती थी कि जो भी उसकी जिंदगी में आए, वह उसके दिल की हर धड़कन को महसूस करे।

उसे किसी भी तरह की बनावटी तारीफों की जरूरत नहीं थी। वह चाहती थी कि कोई उसकी सादगी से प्रभावित हो, उसकी मुस्कान को सबसे खूबसूरत कहे, बिना किसी दिखावे के उसे वैसा ही अपनाए जैसी वह थी।

रुशाली का यह सपना अभी अधूरा था, लेकिन उसके मन में कहीं न कहीं एक यकीन था कि कभी न कभी, कोई न कोई ऐसा जरूर आएगा जो सिर्फ और सिर्फ उसकी सादगी को पसंद करेगा।

...लेकिन क्या सच में ऐसा कोई था जो Rushali की सादगी को समझ सके?

वक़्त बीतता जा रहा था, और Rushali का यह यकीन कभी मजबूत हो जाता, तो कभी डगमगा जाता। वह हर दिन अपनी दुनिया में खोई रहती, मगर कहीं न कहीं उसके दिल के एक कोने में यह सवाल हमेशा बना रहता—क्या उसकी ये ख्वाहिश सिर्फ एक ख्वाब बनकर रह जाएगी?

और फिर, एक दिन... कुछ ऐसा हुआ जिसने उसकी जिंदगी की इस शांत बहती धारा में हलचल मचा दी। क्या यह वही मोड़ था जिसका उसे इंतजार था, या फिर यह सिर्फ एक और अधूरा एहसास बनकर रह जाने वाला था?

(आगे क्या हुआ जानने के लिए जुड़े रहिए… क्योंकि रुशाली की कहानी अब दिलचस्प मोड़ लेने वाली है!)