जंगल और तालाब
बहुत समय पहले एक शांत और सुंदर तालाब था। उसके चारों ओर पेड़-पौधे, फूल और हरी-भरी घास फैली हुई थी। उस तालाब में अलग-अलग तरह के पक्षी और जलचर रहते थे। उनमें से एक था — सफेद, सुंदर और शांत स्वभाव का हंस।
हंस बहुत सुंदर था। उसके पंख बर्फ जैसे सफेद और चमकीले थे। तालाब में आने वाले सभी जानवर उसकी सुंदरता की तारीफ करते थे।
तालाब के पास ही एक काला कौआ भी रहता था। कौआ बुद्धिमान तो था, लेकिन थोड़ा ईर्ष्यालु और लालची स्वभाव का भी था।
कौए की ईर्ष्या
हर दिन जब कौआ देखता कि लोग हंस की तारीफ कर रहे हैं, तो उसे जलन होती।
वह सोचता –
“सब इस हंस की तारीफ क्यों करते हैं? क्या मैं कम हूँ? मेरी आवाज़ सबसे अलग है, मैं उड़ने में तेज़ हूँ। अगर चाहूँ तो इस हंस को हरा सकता हूँ।”
एक दिन कौआ हंस के पास गया और बोला –
“अरे मित्र, तुम्हारी सुंदरता की चर्चा तो हर जगह है। लेकिन क्या तुम उड़ने में उतने ही अच्छे हो जितने दिखने में हो?”
हंस मुस्कुराकर बोला –
“मित्र, मैं बहुत ऊँचा या तेज़ नहीं उड़ता। मैं पानी में तैरना जानता हूँ और शांत जीवन पसंद करता हूँ।”
कौआ हँसते हुए बोला –
“हा हा! तो इसका मतलब तुम उड़ान में मुझे कभी हरा नहीं सकते। आओ, आज हम एक उड़ान प्रतियोगिता करें। देखते हैं कौन श्रेष्ठ है।”
प्रतियोगिता की शुरुआत
हंस ने कहा –
“मित्र, मैं प्रतियोगिता में विश्वास नहीं रखता। लेकिन अगर तुम्हें खुशी मिलती है तो ठीक है, हम कोशिश कर सकते हैं।”
कौआ ने चिल्लाकर कहा –
“तो तय रहा। कल सुबह हम दोनों दौड़ेंगे। देखते हैं कौन आसमान का राजा है।”
अगले दिन सभी पक्षी इकट्ठा हुए। कौआ आत्मविश्वास से भरा था। उसने सोचा –
“यह हंस तो मेरे सामने टिक ही नहीं पाएगा।”
प्रतियोगिता शुरू हुई।
उड़ान का संघर्ष
शुरुआत में कौआ बहुत तेज़ उड़ने लगा। उसने कई कलाबाज़ियाँ दिखाईं। कभी ऊपर जाता, कभी नीचे आता।
वह हंस से चिल्लाकर बोला –
“देखा? मेरी उड़ान कितनी शानदार है!”
हंस शांति से धीरे-धीरे उड़ रहा था। वह कौए की बातों पर ध्यान नहीं दे रहा था।
कौआ ने सोचा कि वह हंस को और परेशान करेगा। उसने और ऊँचा उड़ना शुरू कर दिया। लेकिन जैसे-जैसे ऊँचाई बढ़ती गई, हवा पतली होने लगी और उसका दम फूलने लगा।
कौए की मुश्किल
काफी देर बाद कौआ थक गया। उसकी साँसें तेज़ होने लगीं और पंख कमजोर पड़ गए।
वह बड़बड़ाया –
“अरे! यह क्या हो रहा है? मैं तो नीचे गिर जाऊँगा।”
हंस अब भी स्थिर और आराम से उड़ रहा था। उसने कौए की हालत देखी और कहा –
“मित्र, हर किसी की अपनी ताकत होती है। मेरी ताकत तैरना है, तुम्हारी उड़ान। लेकिन घमंड करना ठीक नहीं।”
इतना कहकर हंस ने धीरे-धीरे कौए को अपनी चोंच से सहारा दिया और उसे तालाब की ओर वापस ले आया।
कौए का पछतावा
तालाब किनारे पहुँचकर कौआ शर्मिंदा हो गया। उसने स्वीकार किया –
“मित्र, आज मैंने समझा कि हर जीव की अपनी विशेषता होती है। मुझे तुमसे जलना नहीं चाहिए था। अगर तुम सुंदर हो तो मैं तेज़ हूँ। लेकिन तुलना और घमंड ने मुझे मूर्ख बना दिया।”
हंस मुस्कुराया और बोला –
“कोई बात नहीं। सच्चा मित्र वही है जो अपनी गलती से सीख ले। अब तुम भी अपनी खूबियों को पहचानो और उनका सही उपयोग करो।”
कौआ ने वचन दिया कि अब वह कभी ईर्ष्या नहीं करेगा।
संवाद (कहानी को जीवंत बनाने के लिए)
कौआ: “सब तुम्हारी सुंदरता की तारीफ क्यों करते हैं? उड़ान में तो मैं तुमसे अच्छा हूँ।”
हंस: “मित्र, हर किसी की अपनी ताकत होती है। मैं पानी में अच्छा हूँ, तुम हवा में।”
कौआ (प्रतियोगिता के दौरान): “हा हा! देखा मेरी तेज़ी?”
हंस: “घमंड मत करो। उड़ान लंबी है।”
कौआ (थककर): “आह! मैं गिर जाऊँगा!”
हंस: “चिंता मत करो, मैं तुम्हें बचा लूँगा।”
कहानी से सीख (Moral of the Story)
1. हर किसी की अपनी-अपनी विशेषता होती है। तुलना करना बेकार है।
2. घमंड और ईर्ष्या हमेशा विनाश की ओर ले जाते हैं।
3. सच्चा मित्र वही है जो मुश्किल समय में सहारा देता है।
4. अपनी ताकत पहचानकर उसी का सही उपयोग करना चाहिए।