Tum Meri Ho in Hindi Love Stories by Bikash parajuli books and stories PDF | तुम मेरी हो

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तुम मेरी हो

प्रस्तावना

एक छोटे से कस्बे की मासूम, भोली और सादगी से भरी लड़की थी — सिया।
उसका बचपन मुश्किलों से भरा रहा। माँ का साया जल्दी उठ गया और पिता की बीमारी ने उसके सपनों को बोझ बना दिया। पढ़ाई में होशियार होने के बावजूद सिया किताबों से ज्यादा घर की जिम्मेदारियों में उलझी रही। वह अपने छोटे भाई‑बहनों की परवरिश करती और पिता का सहारा बनी।

सिया का सपना था कि आगे पढ़े, नौकरी करे और अपने परिवार की हालत सुधारे। लेकिन किस्मत ने उसके लिए कुछ और ही लिखा था।


अर्जुन का परिचय

दूसरी ओर था अर्जुन — शहर का सबसे अमीर और ताक़तवर घराने का बेटा।
उसके पास दौलत, शोहरत और ताक़त सबकुछ था, लेकिन दिल में सुकून नहीं। उसका स्वभाव बेहद गुस्सैल, जिद्दी और अहंकारी था। रिश्तों की अहमियत और प्यार की नर्मी उसे कभी समझ ही नहीं आई।



मजबूरी का रिश्ता

एक दिन सिया के पिता की हालत बहुत बिगड़ गई। इलाज में ढेरों पैसे लगने थे। ऐसे में अर्जुन के पिता ने प्रस्ताव रखा —

> “अगर सिया अर्जुन से शादी कर ले… तो हम इलाज का सारा खर्च उठाएँगे।”



पिता की बीमारी और परिवार की मजबूरी के सामने सिया का सपना टूट गया। आँसू पीकर उसने इस रिश्ते के लिए हामी भर दी।


शादी का सच

शादी धूमधाम से हुई, लेकिन ये बंधन प्यार का नहीं, मजबूरी का था।

पहली रात अर्जुन ने साफ कह दिया –

> “सिया… तुम मेरी बीवी हो, लेकिन सिर्फ नाम की। मुझसे ये उम्मीद मत रखना कि मैं तुम्हें अपना लूँगा। मेरे दिल में तुम्हारे लिए कोई जगह नहीं।”


ये शब्द सुनकर सिया का दिल टूट गया, लेकिन उसने चुपचाप सह लिया। उसके पास और कोई विकल्प ही नहीं था।


शादी के बाद का जीवन

अर्जुन की माँ उसे गरीब घर की बहू कहकर ताने देतीं। अर्जुन खुद उससे दूरी बनाए रखता और अक्सर गुस्से में नीचा दिखाता।

फिर भी सिया हार नहीं मानती। वह घर संभालती, सबकी सेवा करती, और अपने हिस्से की जिम्मेदारियाँ निभाती।

उसका धैर्य देखकर कभी‑कभी अर्जुन भी सोच में पड़ जाता –
“ये लड़की क्यों सबकुछ सह रही है? इसमें कुछ तो है जो बाकी सबमें नहीं…”
लेकिन अहंकार उसके दिल की आवाज़ दबा देता।

रिया की वापसी

अर्जुन की ज़िंदगी में उसकी पुरानी प्रेमिका रिया लौट आई। रिया हाई‑सोसाइटी की लड़की थी। उसने अर्जुन के सामने सिया का अपमान किया –

> “ये तुम्हारी बीवी है? इतनी साधारण? अर्जुन, तुम्हारे साथ तो कोई रानी जैसी होनी चाहिए।”


अर्जुन भीड़ के सामने बोला –

> “रिया, तुम सही कह रही हो। ये शादी सिर्फ एक समझौता है। मेरी असली पसंद तुम ही हो।”



सिया चुपचाप आँसू पी गई।


सिया का आत्मसम्मान

एक पार्टी में रिया ने फिर उसका अपमान किया। इस बार सिया चुप नहीं रही। उसने कहा –

> “रिया जी, आप चाहे जितना भी मुझे नीचा दिखाएँ, लेकिन अर्जुन की पत्नी होने का हक़ सिर्फ मेरा है। आप कभी मेरी जगह नहीं ले सकतीं।”



यह सुनकर अर्जुन हैरान रह गया। उसने पहली बार सिया को अलग नज़र से देखा।


धीरे‑धीरे बदलाव

अर्जुन को अब रिया की बनावटी बातें परेशान करने लगीं। वहीं सिया का धैर्य और सादगी उसे खींचने लगी।
उसके पिता और दादी भी सिया को बेटी मानने लगे।

अर्जुन के मन में सवाल उठने लगे –
“क्यों मैं इस लड़की को नज़रअंदाज़ करता हूँ? क्यों इसका ख्याल बार‑बार आता है?”

रिया की चालबाज़ी

रिया ने अर्जुन को भड़काने की कोशिश की। उसने झूठे सबूत दिखाकर कहा कि सिया का किसी और से रिश्ता है।

अर्जुन गुस्से में बोला –

> “क्या ये सच है?”


सिया ने आँखों में आँसू लिए कहा –

> “अर्जुन, मैंने हमेशा सिर्फ तुम्हें अपना माना है। अगर तुम्हें मुझ पर भरोसा नहीं तो ये रिश्ता यहीं खत्म कर दो।”


उसकी साफ नज़रों में अर्जुन को पहली बार सच्चाई दिखी।


साज़िश का पर्दाफ़ाश

जाँच में पता चला कि रिया ने ही ये झूठ रचा था। अर्जुन ने गुस्से में कहा –

> “रिया! तुमने मुझे धोखा दिया। अब मेरी ज़िंदगी में तुम्हारी कोई जगह नहीं।”


रिया को हमेशा के लिए निकाल दिया गया।

अर्जुन का पछतावा

रिया की असलियत सामने आने के बाद अर्जुन को अपनी हर गलती याद आई। उसने सिया से कहा –

> “मैंने तुम्हें बहुत दुख दिया। क्या तुम मुझे माफ़ कर दोगी?”


सिया की आँखों में आँसू थे –

> “अर्जुन, मैंने तुम्हें हमेशा अपना माना है। तुमसे नफ़रत करना कभी सीखा ही नहीं।”

सच्चे प्यार की शुरुआत

अब अर्जुन ने सिया को दिल से स्वीकार किया।

वह उसका ख्याल रखने लगा।

उसे सम्मान देने लगा।

दोनों के बीच प्यार पनपने लगा।

घर का माहौल भी बदल गया। अर्जुन की माँ भी धीरे‑धीरे सिया की कायल हो गईं।

क्लाइमैक्स – हादसा

एक दिन बिज़नेस डील में अर्जुन पर हमला हुआ। वह गंभीर रूप से घायल हो गया।

सिया अस्पताल में दिन‑रात उसके पास रही। उसने उसका हाथ पकड़कर कहा –

>“अर्जुन, मुझे अकेला मत छोड़ना। तुम मेरी दुनिया हो। अगर तुम्हें कुछ हुआ तो मैं भी जी नहीं पाऊँगी।”


अर्जुन की आँखें खुलीं। उसने पहली बार पूरी शिद्दत से कहा –

“सिया, अब मैं समझ गया हूँ… Tum Meri Ho, और हमेशा मेरी रहोगी।”
अंत

अर्जुन ठीक हो गया। अब उसकी और सिया की ज़िंदगी बदल चुकी थी।

न कोई अहंकार,

न कोई दूरी,

सिर्फ प्यार और विश्वास।


सिया आईने में खुद को देखती और मुस्कुराती –

 “शायद यही मेरी जीत है… कि मैंने नफ़रत और अहंकार के सामने प्यार से जीत हासिल की।”

🌹 संदेश 🌹

“Tum Meri Ho” यह सिखाती है कि सच्चा प्यार कभी हारता नहीं।
धैर्य, विश्वास और समर्पण किसी भी अहंकार से बड़ा होता है।