("मेरा प्यार" – जिसे उसने ठुकरा दिया, पर मैं अब भी उससे प्यार करता हूँ...)
भूमिका
ये कहानी है उस गरीब लड़के की, जिसे दुनिया ने कमज़ोर समझा, लेकिन उसके इरादे कभी कमजोर नहीं हुए। और उस अमीर लड़की की, जो किसी ज़माने में उसकी पूरी दुनिया थी। कहानी है प्यार, ठोकर, संघर्ष और सफलता की — एक लड़का जो "बिकाश" से "IAS अधिकारी" बना, लेकिन जिसे आज भी उसका अधूरा प्यार याद आता है।
भाग 1: शुरुआत – दो दुनिया, एक स्कूल
बिकाश एक छोटे से गांव का लड़का था। उसके पिता एक राजमिस्त्री थे और मां खेतों में मजदूरी करती थी। घर में कई बार खाना नहीं मिलता था, लेकिन किताबें बिकाश की दुनिया थीं।
वहीं शहर से थोड़ी दूर एक अंग्रेज़ी मीडियम स्कूल में रिया पढ़ती थी — एक अमीर बिज़नेस फैमिली की इकलौती बेटी। सुंदर, स्टाइलिश और स्मार्ट।
किस्मत ने दोनों को एक ही स्कूल में ला दिया। बिकाश स्कॉलरशिप से वहां पढ़ रहा था। पहले तो रिया ने कभी ध्यान नहीं दिया, लेकिन जब एक दिन क्लास में बिकाश ने पूरे स्कूल के सामने एक डिबेट प्रतियोगिता जीत ली, तब उसकी नजरें बदलीं।
भाग 2: दोस्ती और प्यार
धीरे-धीरे रिया और बिकाश के बीच बातचीत शुरू हुई। वह उसे "बिक्कू" कहने लगी, और बिकाश उसे "रिया मैम" कहकर चिढ़ाता था।
रिया को अच्छा लगने लगा था कि कोई ऐसा है जो उसके पैसों से नहीं, दिमाग और सच्चाई से जुड़ा है। एक दिन स्कूल के गार्डन में, रिया ने कहा:
"तू बहुत अलग है बिक्कू, तू मुझे अच्छा लगता है..."
बिकाश चौंका, फिर मुस्कराया "रिया, तू मेरी दुनिया है, लेकिन मेरी दुनिया बहुत छोटी है।"
रिया बोली, "मैं उस दुनिया में फिट हो जाऊंगी।"
भाग 3: प्यार की कसमें और वादे
उनकी दोस्ती गहराई में बदलने लगी। रिया ने बिकाश से वादा किया — "मैं तुझे छोड़ूंगी नहीं, तू बस आगे बढ़ता जा।" बिकाश ने IAS बनने की ठान ली थी, और रिया उसकी सबसे बड़ी ताकत बन गई।
रात को मोबाइल पर घंटों बात होती थी, किताबों के बीच प्यार की चिट्ठियाँ छुपती थीं।
लेकिन जैसे ही स्कूल खत्म हुआ, उनकी दुनिया भी बदलने लगी।
भाग 4: समाज और सच्चाई का थप्पड़
रिया को बाहर पढ़ाई के लिए भेज दिया गया — दिल्ली। और बिकाश गांव में रहकर अपने आप को IAS की तैयारी में झोंक दिया। दोनों की बातों में अब धीरे-धीरे दूरी आने लगी।
फिर एक दिन रिया ने मैसेज किया:
"बिक्कू, मम्मी-पापा को पता चल गया है। वो बहुत गुस्से में हैं। उन्होंने मेरा रिश्ता तय कर दिया है एक NRI से..."
बिकाश ने पूछा:
"और तू...?"
रिया बोली:
"माफ कर दे बिक्कू, मैं तेरे लायक नहीं... तू भूल जा मुझे।"
उस दिन बिकाश ने फोन तोड़ा नहीं — उसने खुद को तोड़ दिया।
भाग 5: टूटकर बनने की कहानी
रिया के जाने के बाद बिकाश बिखर गया था, लेकिन उसने रोना नहीं चुना। उसने लड़ना चुना — खुद से, हालात से, समाज से।
वह दिन-रात मेहनत करता रहा। पांव में चप्पल नहीं थी, लेकिन आंखों में सपने चमकते थे। उसने चाय की दुकान पर बैठकर भी पढ़ाई की, दूसरों की किताबें उधार लीं, और 4 साल बाद...
वो दिन आया जब बिकाश का नाम UPSC टॉपर लिस्ट में था।
बिकाश अब IAS ऑफिसर बन चुका था। अखबारों में उसका नाम था, टीवी चैनलों पर उसका इंटरव्यू।
भाग 6: आमने-सामने... सालों बाद
एक बार वह एक सेमिनार में गया, जहां पब्लिक फिगर के रूप में रिया भी आमंत्रित थी — अब वह एक सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर बन चुकी थी।
रिया ने उसे देखा, उसकी आंखें भर आईं। वो वही बिक्कू था, लेकिन अब सूट-बूट में, नाम और सम्मान में चमकता हुआ।
रिया ने धीमे से कहा:
"मैंने तुम्हें खो दिया बिक्कू..."
बिकाश मुस्कराया, लेकिन उस मुस्कान में बहुत दर्द था:
"नहीं रिया, तूने खुद को खो दिया मैं तो आज भी वहीं हूं, जहां तूने मुझे छोड़ा था... यादों में..."
सीख
प्यार केवल पाने का नाम नहीं है, बल्कि निभाने का नाम है।
बिकाश ने रिया को प्यार किया, लेकिन रिया ने समाज को चुना।
आज बिकाश के पास सब कुछ है, पर रिया के पास सिर्फ पछतावा।