जंगल का दृश्य
एक घना जंगल था जहाँ कई तरह के जानवर रहते थे। उस जंगल का राजा था – एक विशाल और शक्तिशाली सिंह (शेर)। उसकी दहाड़ से पूरा जंगल गूँज उठता। सभी जानवर उससे डरते और उसकी इज़्ज़त भी करते।
लेकिन जंगल के बाहर एक गाँव था, जहाँ कुछ लोग शिकार करके अपनी ज़िंदगी गुज़ारते थे। उनमें से एक था चालाक लेकिन निर्दयी शिकारी। वह हमेशा किसी बड़े शिकार की तलाश में रहता।
शिकारी का जाल
एक दिन शिकारी ने तय किया कि वह जंगल का राजा यानी सिंह को ही पकड़ लेगा।
उसने लोहे का एक मजबूत जाल बनाया और जंगल के रास्ते पर बिछा दिया। फिर उसने उस पर कुछ ताज़ा माँस रख दिया ताकि कोई बड़ा जानवर लालच में आकर उसमें फँस जाए।
सिंह उसी रास्ते से रोज़ गुजरता था। जैसे ही उसने माँस देखा, वह रुक गया। उसे माँस का लालच हुआ और वह जाल के पास पहुँच गया। लेकिन जैसे ही उसने मुँह माँस पर डाला, उसके पैर जाल में फँस गए।
सिंह ने ज़ोर से दहाड़ा –
“आआऽऽऽर्र्ह्ह! कौन है जिसने मुझे धोखा दिया?”
पूरे जंगल में उसकी दहाड़ गूँज उठी।
सिंह की परेशानी
सिंह ने पूरी ताकत से जाल तोड़ने की कोशिश की। उसने अपने पंजों से खींचा, दाँतों से काटा, लेकिन जाल बहुत मजबूत था।
धीरे-धीरे वह थक गया और ज़मीन पर बैठ गया।
उसने सोचा –
“मैं जंगल का राजा हूँ, लेकिन आज मैं असहाय हूँ। अगर मुझे कोई मदद न मिली, तो शिकारी मुझे मार देगा।”
चूहों की मदद
इसी बीच, जाल के पास कुछ चूहे खेल रहे थे। उन्होंने सिंह की दहाड़ सुनी और डरते-डरते पास आए।
उनके सरदार चूहे ने कहा –
“महाराज, चिंता मत कीजिए। हम छोटे ज़रूर हैं, लेकिन आपकी मदद कर सकते हैं।”
सिंह ने थकी हुई आवाज़ में कहा –
“क्या तुम इतने मजबूत जाल को काट पाओगे?”
चूहा मुस्कुराया और बोला –
“महाराज, हमारी ताकत छोटी है, लेकिन हमारे दाँत तेज़ हैं। हम मिलकर इस जाल को काट देंगे।”
चूहों का परिश्रम
सभी चूहे मिलकर जाल काटने लगे। उनके छोटे-छोटे दाँत धीरे-धीरे लोहे के तारों को काटने लगे।
काफी देर तक मेहनत करने के बाद आखिरकार जाल ढीला हो गया और सिंह बाहर निकल आया।
सिंह ने राहत की साँस ली और खुशी से दहाड़ा।
“धन्यवाद, मेरे छोटे मित्रों। आज तुमने मुझे बचाकर यह साबित किया कि छोटा या बड़ा होना मायने नहीं रखता, सच्चा मित्र वही है जो मुसीबत में साथ दे।”
शिकारी का आना
उसी समय शिकारी दौड़ता हुआ आया। लेकिन जैसे ही उसने सिंह को आज़ाद और गुस्से में खड़ा देखा, उसके होश उड़ गए।
सिंह ने जोर से दहाड़ मारी और शिकारी डरकर भाग गया। उसने कसम खाई कि अब वह कभी सिंह का शिकार नहीं करेगा।
संवाद (कहानी को जीवंत बनाने के लिए)
सिंह (जाल में फँसकर): “आह! यह क्या हो गया? मैं असहाय हूँ।”
चूहा: “महाराज, चिंता मत करो। हम आपकी मदद करेंगे।”
सिंह: “तुम इतने छोटे होकर मेरी मदद कैसे कर सकते हो?”
चूहा: “मित्रता में बड़ा-छोटा कुछ नहीं होता। बस भरोसा होना चाहिए।”
सिंह (मुक्त होकर): “आज मैंने सीख लिया कि हर किसी की अपनी अहमियत होती है।”
कहानी से सीख (Moral of the Story)
1. किसी को छोटा समझकर कभी उसका मज़ाक मत उड़ाओ।
2. संकट के समय सच्चा मित्र वही है जो काम आता है।
3. हर जीव का महत्व होता है, चाहे वह कितना भी छोटा क्यों न हो।
4. अक्ल और सहयोग से सबसे बड़ी मुश्किलें भी हल हो सकती हैं।