Disgrace in Hindi Horror Stories by Kanchan Singla books and stories PDF | बेइज्जती

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बेइज्जती

यह कहानी है रमन की। रमन एक कंपनी में चपरासी का काम करता था। वह अपने परिवार को पालने वाला अकेला था, उसकी आमदनी कम और खर्चे जायदा थे। उसकी बेटी भी अब शादी के लायक हो गई थी। वह हरदम इसी चिंता में रहता था कि वह अपनी बेटी की शादी कैसे करेगा। 

उसकी बेटी का रिश्ता पक्का हो गया था। वह खुश तो था लेकिन उसके पास शादी करवाने के लिए कोई बचत नहीं थी। लड़के वालों ने दहेज नहीं मांगा था फिर भी वह अपनी बेटी को कुछ तो देना चाहता था। वह इस बात को लेकर चिंतित था कि उसके पास मेहमानों की आवभगत करने लायक भी पैसे नहीं है।

वह अब बूढ़ा हो चला था। अब उसके रिटायर होने का वक्त भी आ गया था। उसका मालिक उसे पहले ही नौकरी से निकलने का सोच रहा था। 

वह बेटी की शादी की चिंता में एक दिन अपने मालिक के घर चला जाता है। उसका मालिक उस वक्त अपने दोस्तों के साथ पार्टी कर रहा था। रमन उसके पास जाकर उससे कुछ पैसे उधार मांगता है।

पैसे की बात सुनकर उसका मालिक बहुत गुस्सा हो जाता है। वह गुस्से में रमन से कहता है...तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरे घर आने की ???? मैं तुम्हें उधार पैसा दूं ताकि तुम पैसे लेकर भाग जाओ, तुम्हारी उम्र रिटायर होने की हो गई है अब और तुम चाहते हो कि मैं तुम्हारी सैलरी से उधार चुकता कर लूं। जाओ यहां से।

उसके मालिक के दोस्त भी रमन को बहुत तुच्छ दृष्टि से देखते हैं। 

रमन अपने मालिक के पैरों में पड़ता हुआ कहता है....मालिक थोड़ी मदद कर दीजिए, मेरी बिटिया की शादी है।

उसका मालिक उसे अपने पैरों से दूर लुढ़काते हुए कहता है....दूर हट गंदे आदमी, तुम्हारे जैसे गरीबों से यह दुनियां भरी पड़ी है, अगर ऐसे ही हम मदद करने लगे तब हम भी तुम्हारी तरह कंगाल हो जाएंगे, अगर बच्चे पालने की औकात नहीं रखता है तो तूने उन्हें पैदा ही क्यों किया ??? तुम्हारे जैसे गरीब, किसी गंदी नाली के कीड़े की तरह हम लोगों के पास मंडराने लगते हैं ताकि हम इनका भरण पोषण करते रहें। इतना कहकर वह रमन को दूर धक्का देते हुए घर से बाहर फिंकवा देता है। उसके मालिक के सारे दोस्त रमन की इस हालत पर हंसने लगते हैं और उसका मज़ाक उड़ाने लगते हैं।

अपमानित रमन सड़क पर चलता जा रहा था। वह कहने लगता है....इस अपमान का बदला मैं लेकर रहूंगा देखना तुम। इतना कहकर वह सामने से आ रहे ट्रक के नीचे आकर जान दे देता है।

रमन जा चुका था लेकिन उस आदमी यानी की उसके मालिक को इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता। किसी को फ़र्क पड़ता है तो वह रमन का परिवार था जो उस पर निर्भर था। रमन की बेटी की शादी टूट गई थी। उसकी पत्नी बीमार पड़ गई थी। उनकी आर्थिक हालत बद से बदतर हो गई थी। 

ऐसे ही कुछ दिन गुजर जाते हैं। उसके मालिक की बेटी की शादी की पार्टी चल रही थी। बहुत सारे मेहमान वहां आए हुए थे। 

पार्टी में खाने के इतने इंतजाम थे, साथ ही डांस और शराब का भी इंतजाम था। अभी खाने का वक्त नहीं था। सब शादी की छोटी मोटी रस्मों के बाद जैसे ही सब वहां खाने के लिए जाते हैं और उन ढके हुए खाने के बर्तनों को खोल कर देखते हैं उनके मुंह से चीख निकल जाती है। 

उन खाने के स्टॉल में लगे बर्तनों के अंदर कहीं कटा हुआ सर, कहीं खून से लथपथ मांस, कहीं किसी बर्तन में खून, कहीं किसी में इंसानों की उंगलियां, किसी में हड्डियां भरी हुई थी, कही आधी कटी लाश रखी हुई थी। यह देख सब डर कर वहां से भागने लगते हैं।

जो लोग शराब पी रहे थे उनके गिलास में खून भरा हुआ था। वह यह देख अपने अपने गिलास नीचे फेंक देते हैं।

सब लोग रमन के उस मालिक को बुरा बुरा कहने लगते 
हैं। उसने वहां सबको बुलाकर उनकी बेइजत्ती की थी। सब उसे इसके लिए माफ़ नहीं करने का बोलकर वहां से चले जाते हैं। बाकी सब लोग जा चुके थे। कल तक उसके जो दोस्त उसका साथ देकर दूसरों पर हंसते थे, वह आज उस पर हंस रहे थे और उसे इसकी कीमत चुकाने का बोलकर घूर रहे थे। 

वह सब जैसे ही वहां से जाने के लिए निकल कर बाहर आते हैं वहां उनके ऊपर खून की बारिश होने लगती है। वह खून की उस बारिश से पूरी तरह खून से सन चुके थे।

वह भागने की कोशिश करते हैं लेकिन भाग नहीं पाते और उस खून की बारिश में फिसल कर गिर पड़ते हैं। खून की बारिश में भीगने से उनके शरीर पर फफोले पड़ गए थे। वह सब दर्द से चिल्ला रहे थे। 

तभी रमन की आत्मा वहां आते हुए उनके सामने खड़े होकर वह उनके ऊपर हंसते हुए कहता है....तुमने मेरी गरीबी का मजाक उड़ाया था आज के बाद तुम सब मजाक बन कर रह जाओगे। एक कर्कश हंसी के साथ वह गायब हो गया था साथ ही उसके वहां से जाते ही खून की बारिश भी रुक गई थी लेकिन वह बारिश उनके ऊपर दाग के साथ कुरूपता के वो निशान छोड़ गई थी जिससे वह नफरत करते थे। 

वह सब जिंदा थे लेकिन तड़पते हुए। सब उनकी इस कुरूपता हर आज हंसते हैं और उनकी हंसी रमन की आत्मा को ठंडक देती है।

अर्णव गाड़ी चलाते हुए एफएम पर इस कहानी को सुन कर कांप गया था क्योंकि उसके सामने ही आज फिर से खून की वही बारिश शुरू हो गई थी। उसे याद आया आज ही उसने अपने एक कर्मचारी का कितना अपमान किया था। अब वह माफ़ी मांगने की हालत में नहीं था क्योंकि यह खून की बारिश उसकी गाड़ी की छत में छेद करते हुए उसके ऊपर बरस पड़ी थी।

वहीं एफएम पर आर जे रेवांश के हंसने की ध्वनि गूंज रही थी। हंसने के बाद उसने कहा....घमंड में की गई किसी की बेइज्जती तुम्हें कभी इज्जत नसीब नहीं होने देगी। 

कहानी समाप्त!
~बेइज्जती ~