Adakaar - 16 in Hindi Crime Stories by Amir Ali Daredia books and stories PDF | अदाकारा - 16

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अदाकारा - 16

अदाकारा। 16*

    "चलो उर्मी जल्दी से तैयार हो जाओ।"
"नहीं सुनील।मेरा अभी कहीं भी जाने का मन नहीं है।"
उर्मिला ने उदास और ठंडी आवाज़ में कहा।
"अरे यार मन क्यों नहीं है?मुझे तो बहुत जोरो की भूख लगी है।और मैंने कैफ़े सिफारिशमें टेबल भी बुक कर ली है।तो बिना कोई यस नो के तैयार हो जाओ।"
सुनील ने प्यार से उर्मिला के बालों से खेलते हुए कहा।
"आज बेचारी शर्मीने कितने दिन बाद सामने से फ़ोन किया था?उसने सॉरी भी कहा था और तुने उसके साथ कैसे बात की?"
"ठीक है।ठीक है।इसके लिए सॉरी?अब तैयार भी हो जाओ,बाबा।"
सुनील ने हाथ जोड़ते हुए कहा।
लेकिन सुनील की माफ़ी सुनकर उर्मिला का अफ़सोस और दुःख ज़रा भी कम नहीं हुआ। उसने उदास स्वर में कहा।
"सुनील तेरी बातों ने उसके दिल को ज़रूर दुखाया होगा।आज उसका जन्मदिन भी था। चलो उसे शुभकामनाएँ देने की बात तो छोड़ो, बल्कि उसके साथ तेरा बिहेवर कैसा था।"
"इसीलिए तो मैंने तुम्हें सॉरी कहा है ना?ओर अब हम रेस्टोरेंट और मूवी से लौटने के बाद इस विषय पर और बात करेंगे ठीक है।"
सुनील ने इस बार थोड़ी ऊँची आवाज़ में कहा।तो जवाब में उर्मिला ने फिर से उसी धीमी आवाज़ में कहा।
"अभी मेरा मूवी देखने का मूड नहीं है।हम सिर्फ खाना खाकर ही घर लौट आयेंगे।"
"ओके!ठीक है हम ऐसा ही करेंगे।तुम तैयार तो हो जाओ।"
उर्मिला ने कपड़े बदलने के लिए अलमारी खोलते हुए सुनील से कहा।
"सुनील क्या खाना खाने का सोचा है?"
सुनील ने मुस्कुराते हुए कहा।
"तुम ही गैस करो रानी।"
"मुझे कुछ हिंट तो दो राजा।"
यह कहकर उसने सुनील की ओर पीठ कर ली और कहा।
"पहले ब्लाउज़ के हुक लगा दो फिर मुझे हिंट दो।"
सुनील ने ब्लाउज़ के हुक लगा दिया।और फिर उर्मिला के दोनों बाजू ओ को पकड़कर उसे अपनी ओर घुमाते हुए उसके होठों पर एक ज़ोरदार चुम्बन दिया।और फिर उसने कहा।
"वो तेरी सबसे पसंदीदा डिश है।"
"वाव! चिकन मुमताज़!"
उर्मिला के गले से खुशी भरी चीख निकली।
"बिल्कुल सही जवाब।लो एक चुंबन ओर"
यह कहते हुए सुनील ने उर्मिला के होठों पर एक और चुम्बन कसा। लेकिन इस बार उर्मिला को गुस्सा आ गया।उसने सुनील को धक्का देते हुए कहा।
"अब चुप चाप सीधे खड़े रहो ना।दूर रहो।मुझे चैन से तैयार होने दो।"
"सुनो मेरी बात उर्मि।वो क्या हैं ना मुझे पता है कि तुम अभी अपने होठों पर लिपस्टिक लगाने वाली हो।तो अगर तुम्हारे होंठ गीले होंगे तो लिपस्टिक अच्छे से लगेगी,"
सुनील ने मुस्कुराते हुए कहा। 
उर्मिला ने भी मुस्कुराते हुए कहा।
"तूने काफी यह अनुभव किया लग रहा है?"
यह सुनकर सुनील झेंप सा गया त त प प करते हुए कहा।
"नहीं।नहीं।ऐसा नहीं है ये तो मैंने यह कहीं पढ़ा था उसके आधार पर कहा है।"
उर्मिला तैयार हो गई।सो वह दोनों हाथो मे हाथ डाल कर मरोल के उस कैफ़े सिफ़ारिश मे पहुँचे।

मेतो दीवानी हो गई

प्यार में तेर खो गई
शर्मिला का फ़ोन बजा और गहरी नींद में बृजेश के सपने देख रही शर्मिला की आँखें खुल गई।चूँकि वह अभी भी नींद मे थी इसलिए उसने स्क्रीन पर नाम देखे बिना ही फ़ोन कान से लगा लिया और नींद भरी आवाज़ में बोली।
"हैलो कौन?"
"उफ़!नींद मे तो तुम्हारी आवाज़ तुमसे भी ज्यादा सेक्सी लग रही है।"
दूसरी छोर से एक शरारती आवाज़ मे बृजेश ठंडी आह भरता हुआ बोला।
"कौन बृजेश?कल सारी रात जन्मदिन की शुभकामनाए देने के बहाने तुने मुझे पूरी रात सोने नहीं दिया।और अब भी मेरी नींद खराब कर दी।"
शर्मिला ने बड़े प्यार भरे लहजे से कहा।
"मैडम।ये क्या आप कंप्लेंट कर रही हो? कंप्लेंट तो मुझे करनी चाहिए।"
"क्या?क्या?क्यों"
शर्मिला का सवाल सुनकर बृजेश शरारती लहजे में बोला।
"मेरा कौमार्य।जिसे मैंने इकतीस साल तक संजोकर रखा था उसे बीती रात को तुने लुट लिया।ओर मुझे किसी को अपना चेहरा दिखाने लायक नही छोड़ा।"
"जा..जा नौटंकीबाज।"
बृजेश की बातें सुनकर शर्मिला शर्मा गई।
"तुजे तो फिल्मों में होना चाहिए।"
"क्या मैं सचमुच इतना हेंडसम हूँ?"
बृजेशने अपना कॉलर टाइट करते हुए पूछा।
"बिलकुल नहीं।लेकिन हां! नौटंकी बाज़ तो ज़रूर हो।"
"अच्छा?तो आज रात फिर आ जाऊ?"
बृजेश ने धड़कते दिल से पूछा।जवाब में शर्मिला ने साफ़-साफ़ मना करते हुवे कहा।
"नहीं हा।नो वे।बिल्कुल नहीं।"
शर्मिला के मुंह से साफ़-साफ़ ना सुनने से निराश होकर,बृजेश ने पूछा।
"क्यों?"
"क्यों मतलब?रोज़ रोज़ क्या है?"

(शर्मिला और बृजेश की प्रेम कहानी क्या रंग लाएगी? क्या दोनों को सच में प्यार हो गया था या यह एक भ्रम था।)