अदाकारा 6*
बृजेशने ड्रग्स का बैग हाथ में लिया और पुलिस वैन में आकर पिछली सीट पर बैठी शर्मिला के बगल में बैठ गया। और बैग शर्मिला को दिखाते हुए उसने पूछा।
"यह क्या है,शर्मिला जी?"
शर्मिला उस सामान याने ड्रग्स के साथ रंगे हाथों पकड़ी गई थी।वह समझ गई थी कि अब वह खुद को बचाने के लिए कोई भी बहाने बाज़ी नहीं कर सकती थी।
इसलिए,
अपने बचाव मे कुछ भी कहने के बजाय, शर्मिलाने शर्म से अपनी आँखें नीची करके ज़मीन मे गढ़ाली।
"आप मानो या न मानो,मैडम। लेकिन मुझे आप बहुत पसंद थीं।मैं आपको अपना आदर्श मानता था।"
बृजेश निराश होकर बोला।
"आई एम सॉरी,अधिकारी।मैंने सचमुच बहुत बड़ी गलती कर दी।"
शर्मिला के गले से एक धीमी ओर दबी हुई आवाज़ निकली।
"लेकिन..प्लीज़..मैं अपनी लत छुड़ाने की कोशिश करूँगी।"
शर्मिलाने दयालु स्वर में बृजेश के सामने हाथ जोड़ते हुए कहा।
और यह सुनकर बृजेश को हैरानी का झटका लगा।
बृजेश शर्मिला को ड्रग्स की केरियर समझ रहा था।उसने सोचा था कि शर्मिला ड्रग के धंधे में किसी के साथ शामिल होगी। या किसीको मदद करती होगी।लेकिन उसे यकीन नहीं हो रहा था कि शर्मिला खुद भी ड्रग्स ले रही होगी।शर्मिला के इस खुलासे से परेशान होकर उसने पूछा।
"तो क्या तुम यह ड्रग लेती हो?"
बृजेश के सवाल के जवाब में शर्मिला की गर्दन अपने आप सहमति में झुक गई।
"शर्मिला जी,आज पहली बार मुझे अपनी पसंद पर शर्म आ रही है।मैंने तुम्हें क्या समझा था और तुम क्या निकलीं?मेरी चहती।मेरी पसंदीदा हीरोइन और वह ड्रग की गुलाम?"
बृजेशने उदास स्वर में कहा।लेकिन फिर उसने अपना मन बनाया और सख्ती से बोला।
"मुझे अफ़सोस है कि मुझे तुम्हारे खिलाफ कानूनी कार्रवाई करनी पड़ेगी।"
शर्मिलाने करुणा भरी निगाहों से बृजेश की ओर देखा और कांपती आवाज़ में बीनती करते हुवे कहा।
"क्या तुम मेरी एक गलती माफ़ नहीं कर सकते?"
"माफ़ करना मैडम।आपने अगर कोई और अपराध किया होता तो शायद आप मेरी पसंदीदा हैं इसलिए मैं इसे नज़रअंदाज़ कर भी लेता।लेकिन यह ड्रग का मामला है।ओर ड्रग लेने वाले ओर बेचने वालों दोनों से ही मुझे सख्त नफरत हे मुझे इस लिए आप पर मुझे कार्रवाई करनी ही होगी।"
बृजेश की बातें सुनकर शर्मिला मानो पूरी तरह टूट गई।और अपना चेहरा दोनों हथेलियों में छिपाकर फूट फूट कर रोने लगी।
और बृजेश कुछ देर तक उसे रोता हुआ देखता रहा।शर्मिला का रोना मानो उसके दिल को कचोट रहा था।
उसने हिचकिचाते हुए अपना काँपता हुआ हाथ शर्मिला के कंधे पर रखा।और कहा।
"अब रोने का क्या मतलब है,शर्मिला जी? आपने तो अपराध कर ही लिया है।"
"प्लीज़ मुझे बचा लीजिए,ऑफिसर।"
यह कहते हुए शर्मिला अचानक से बृजेश को लिपट गई और सिसकने लगी।
बृजेश ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि शर्मिला उससे इस तरह लिपट जाएगी।ऐसे वक्त में भी बृजेश को एक रोमांच का एहसास हुआ।
उसके शरीर में एक अजीब सी झनझनाहट सी फैल गई।
अगर आगे ड्राइवर की सीट पर बैठे कॉन्स्टेबल जयसूर्या न होते,तो वह भी शर्मिला को अपनी बाहों में भर लेता। उसने सपनों में उससे कई बार प्यार किया था।आज तो वह उसे सचमुच मसल ही देता।
उसके सपनों की हसीना।जिसे उसने सिर्फ़ सिनेमा हॉल के पर्दे पर या सपनों में ही देखा था।वो उसके सपनों की रानी।वो हसीन परी। उसके इतने करीब थी कि आज उसके आँसू उसकी वर्दी को भिगो रहे थे।उसकी साँसें उसकी साँसों से टकरा रही थीं।और इसी वजह से उसे अपनी बढ़ती साँसों पर काबू पाना मुश्किल हो रहा था।
बृजेश से लिपटी हुई शर्मिला बच्चों की तरह रो रही थी।
"मेरा करियर खत्म हो जाएगा,अफसर।मैं।मैं कहींकी नहीं रहूंगी।"
शर्मिला रो रो कर मिन्नते कर रही थी जो बृजेश के दिल को जैसे पिघला रही थी।
शर्मिला अब बृजेश से अलग होते हुवे।अपने दोनों हाथ जोड़कर करुणा भरे स्वर में यह कह रही थी।
"बस मुझे एक मौका दे दो अफसर।आज के बाद मैं इस नशे को कभी हाथ तक नहीं लगाऊँगी। और... और मैं जीवन भर तुम्हारी अहसान मंद ओर ऋणी रहूँगी।"
(क्या बृजेश शर्मिला को छोड़ देगा?या वह अपना फ़र्ज़ निभाएगा।जानने के लिए पढ़ते रहें *अदाकारा*)