Adakaar - 17 in Hindi Crime Stories by Amir Ali Daredia books and stories PDF | अदाकारा - 17

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अदाकारा - 17

अदाकारा 17*

     "बहुत बढ़िया।सुनील बहुत मज़ा आया। थैंक्यू सो मच। आज कितने दिनों के बाद ये इतना स्वादिष्ट चिकन मुमताज़ खा रहे हैं। तुजे यह कैसे याद आया?फिर से इक बार थैंक्यू सुनील।"

उर्मिला ने डकार लेते हुए कहा।

"शुक्रिया तो मुझे तुझसे कहना चाहिए डार्लिंग।कि आज दिन तु पैदा हुई।अगर तु आज पैदा नहीं होतीं उर्मि।तो आज मुझे भी चिकन मुमताज़ कहाँ से खाने मिलता?और अगर मुझे तेरी पसंद-नापसंद की समझ नहीं होगी तो ओर किसे होगी?"

सुनील ने मज़ाकिया लहजे में कहा।

"तु भी ना सुनील?"

"तु भी का क्या मतलब?बताओ अब आगे क्या कहना है?"

"तुजे तो हर वक्त बस मस्ती ही मस्ती सूझती है।"

उर्मिला के लहजे में शिकायत थी।लेकिन सुनील को उर्मिला की शिकायतों से कोई फर्क कहा पड़ता था।वह तो बस अपनी ही मस्ती मे मस्त रहता था।

"उर्मि।ज़िंदगी में आखिर रक्खा क्या है?पता नहीं कब ये सांसे रुक जाए?तो क्यों न हम खुशी-खुशी अपनी ज़िंदगी बिताई जाए?"

दोनों बातें करते हुए हाथों मे हाथ डाले सड़क पर चल रहे थे।

"अब तु मुझे यूंही लेफ्ट राइट करवाकर घर ले जाने वाला है या रिक्शा करने वाला हे?"

उर्मिला ने पूछा।

"संगम टॉकीज़ पास ही है।उर्मि चलो ना फ़िल्म भी देख लेते हैं।"

"नहीं सुनील मैंने घर पर ही बता दिया था कि मेरा फ़िल्म देखने का मूड नहीं है।"

"अरे तो चल मूड बना ले ना।आज सुबह जो कुछ भी हुआ उसे भूल जाओ।अमिताभ की शहंशाह फ़िल्म चल रही है।"

 "अमिताभ शहंशाह हो या आमिर की गुलाम। मैंने कहा था नही देखना तो नहीं देखना हे।"

उर्मिला थोड़ी ऊँची आवाज़ में बोली।और उसकी ऊँची आवाज़ सुनकर सुनील सचमुच चौंक गया।उसने तुरंत हाथ दिखाकर एक रिक्शा रुकवाया।और कहा।

"बीमानगर ले लो।"

दोनों रिक्शे में बैठ गए।

"क्या तेरा सड़क पर ही तमाशा करने का बिचार था?"

सुनीलने कटुता से पूछा 

उर्मिला और सुनील की शादी को तीन साल हो गए थे।आज पहली बार दोनों के बीच इतना मनमुटाव हुआ था।बात इतनी बिगड़ी हुवी थी। के उर्मिला ने सुनील की तरफ देखे बिना ही जवाब दिया।

"जब हम घर से निकले थे तब मने साफ़-साफ़ कहा था कि हम सिर्फ खाना खाकर ही वापस आ जाएँगे।हमने बात की थी है ना?"

"हाँ,बात तो हुई थी।लेकिन उससे पहले सुबह हमने फिल्म देखने का फैसला भी तो किया था है ना,उर्मि?"

सुनील ने ठंडे स्वर में पूछा।

"हाँ लेकिन तुने उस पर पानी फेंर दिया था।"

उर्मिला ने तीखे स्वर में कहा।

"तुजे मेरी ही गलती नज़र आ रही है लेकिन क्या तुम भूल गई हो कि तेरी बहन ने हमारे साथ क्या किया था?"

"हा मैं वो मानती हूँ कि उसने जो किया था वो पूरी तरह से ग़लत था।और इसीलिए हमने पिछले तीन सालों से उससे बात करना बिल्कुल बंद कर दिया था है ना?लेकिन आज उसने खुद मुझे फ़ोन करके अपनी ग़लती के लिए माफ़ी माँगी।तो अब हमें भी उसे माफ़ कर देना चाहिए।"

"माफ़ी माँगने से उसका गुनाह खत्म नहीं हो जाता उर्मि।मेरे दिल में उसके लिए बस नफ़रत है।और मैं उसे कभी भी माफ़ नहीं कर पाऊँगा।"

सुनील ने उर्मिला से साफ़ शब्दों में कहा।

"अगर तुम उससे नफ़रत करना चाहते हो तो ठीक है।ओर अगर तुम उसे माफ़ नहीं करना चाहते तो वो भी ठीक है।लेकिन तुम मुझे उसके साथ रिश्ता रखने से नहीं रोक सकते, सुनील।आख़िरकार वो मेरा खून है।वो मेरी बहन है।"

"लेकिन तेरे उस खूनने तेरे साथ कैसा सुलूक किया था तु कैसे भूल सकती हो?तेरी बहन ने क्या तेरी पीठ में छुरा घोंपने की कोशिश नहीं की थी?"

सुनील ने उत्तेजित स्वर में कहा।

और सुनील की ये बात सुनकर उर्मिला के ऊपरी दाँत अपने आप उसके निचले होंठ पर गड़ गए।तीन साल पहले उसके ओर शर्मिला के बीच जो कुछ भी हुआ था वह दृश्य उसकी आँखों के सामने एक चल चित्र की तरह उभरने लगा।

(दोनों बहनों के बीच ऐसा क्या हुआ था कि वे तीन साल तक एक दूसरे से रिश्ता तोड़ रखा था?जानिए अगले एपिसोड में)