Wo Jo me Nahi tha - 14 in Hindi Classic Stories by Rohan books and stories PDF | वो जो मैं नहीं था - 14

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वो जो मैं नहीं था - 14

✍️ भाग 14 - "टूटे हुए विश्वास"

📍 स्थान: दिल्ली - वही पुराना रेल टनल, Phase II लैब की ओर जाने वाला रास्ता
📅 तारीख: 25 फ़रवरी 2031 - शाम 4:20


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⏳ पिछला भाग:
जसकरण सिंह "जस्सी" टीम से मिला और PROJECT RAAHAT का असली चेहरा दिखाया।
स्क्रीन पर मास्टरमाइंड "सिस्टम" पहली बार सामने आया।
भागते समय आरव ने देखा कि स्क्रीन पर उसका नाम "Prototype 01" लिखा है।


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🌀 भारी ख़ामोशी

टीम दौड़ते-दौड़ते एक खाली चेंबर में पहुँची।
दरवाज़ा ज़ोर से बंद हुआ और एक पल को सन्नाटा छा गया।

सबकी साँसें तेज़ चल रही थीं, लेकिन कमरे के भीतर हवा मानो और भी भारी हो गई थी।

आरव अभी भी सदमे में था।

> "Prototype 01… मैं?
इसका मतलब… मैं भी उसी सिस्टम का हिस्सा हूँ?"



अनन्या ने उसका हाथ पकड़ा।

> "आरव, ध्यान मत बँटने देना। यही वो चाहते हैं- कि तू खुद पर शक करे।"



लेकिन जस्सी चुपचाप दोनों को देख रहा था।
उसकी आँखों में वो दर्द था… जो सिर्फ़ सच्चाई जानने वालों के पास होता है।


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⚡ जस्सी का खुलासा

जस्सी ने धीरे से कहा:

> "आरव, जब तू छोटा था… तुझे भी कुछ समय के लिए PROJECT RAAHAT के Phase I में रखा गया था।
लेकिन तुझे बाहर निकाल लिया गया- पता नहीं क्यों।
तेरा नाम Prototype 01 पर अभी भी दर्ज है।
मतलब… सिस्टम ने तुझे कभी छोड़ा ही नहीं।"



आरव की आँखें सुर्ख़ हो गईं।
उसका दिल तेज़ी से धड़कने लगा।

अरमान ने बीच में कहा:

> "मतलब आरव के साथ जो हो रहा है, वो सब प्लान किया गया है?
क्या वो… सच में उनके प्लान का हिस्सा है?"



विराट गरजा:

> "काफ़ी हुआ!
आरव हमारी टीम का हिस्सा है।
कोई काग़ज़ या स्क्रीन हमारे रिश्ते को नहीं बदल सकती।"



लेकिन रघु और बाली ने एक-दूसरे की तरफ़ नज़र डाली।
दोनों के चेहरे पर एक अजीब-सी बेचैनी थी।


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🕵️‍♂️ शक और सन्नाटा

हिना ने रघु से पूछा:

> "तुम दोनों इतने चुप क्यों हो?
जब से जस्सी आया है, तुम दोनों का चेहरा अजीब लग रहा है।"



रघु ने जबरदस्ती मुस्कान बनाई।

> "कुछ नहीं… बस हालात बिगड़ रहे हैं, इसलिए…"



लेकिन सिया तुरंत बोल पड़ी:

> "नहीं, कुछ तो गड़बड़ है।
मैंने देखा… जस्सी तुम्हें पहचान गया था।
वो कह रहा था- 'तुम वो नहीं हो जो दिखते हो।'
इसका मतलब क्या है?"



कमरे में तनाव और गहराने लगा।
सबकी नज़रें अब रघु और बाली पर थीं।


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🎭 सच का बोझ

रघु ने भारी साँस ली।
उसने बाली की ओर देखा, जैसे इजाज़त मांग रहा हो।
बाली ने सिर हिलाया।

फिर रघु ने धीरे से कहा:

> "सच ये है…
हम सिर्फ़ इस टीम का हिस्सा नहीं हैं।
हमारा असली मिशन PROJECT RAAHAT को भीतर से बचाना नहीं… बल्कि उसकी रक्षा करना है।"



अनन्या की आँखें फैल गईं।

> "क्या कहा तुमने?"



रघु की आवाज़ काँप रही थी लेकिन उसके शब्द साफ़ थे:

> "हाँ… हम दोनों उसी सिस्टम के वफ़ादार हैं।
हमें यहाँ भेजा ही इसलिए गया था कि अगर कोई इस राज़ तक पहुँचे…
तो हम उन्हें खत्म कर दें।"




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💥 टूटन

जैसे ही ये शब्द निकले, पूरी टीम हिल गई।

सिया का चेहरा सफ़ेद पड़ गया।
हिना ने गुस्से में कदम आगे बढ़ाए:

> "तुमने… हमारे साथ ये ग़द्दारी की?"



जस्सी ने सिर झुका लिया।

> "मुझे शक था… पर मैंने उम्मीद की थी कि मैं ग़लत साबित होऊँगा।"



आरव ने दाँत पीसते हुए कहा:

> "तो ये था तुम्हारा असली चेहरा…"




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⚔ टकराव की तैयारी

रघु ने आगे बढ़कर कहा:

> "आरव… मैं तुझे भाई मानता था।
लेकिन सच्चाई ये है-
तेरी पहचान भी सिस्टम से बंधी है।
तुझे बचाने की कोशिश बेकार है।
तेरा नाम Prototype 01 यूँ ही नहीं लिखा गया।"



बाली ने भारी आवाज़ में जोड़ा:

> "और अब वक़्त आ गया है।
या तो तुम सब हमारी बात मान लो…
या हम वो करेंगे, जो हमें करना चाहिए।"



विराट ने पिस्तौल मज़बूती से थाम ली।
उसकी आँखों में सिर्फ़ एक ही चमक थी- ग़ुस्सा।

> "तो कर लो कोशिश।
आज तुम्हें कोई सिस्टम नहीं बचाएगा।"




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🔥 पहले वार से पहले

दोनों तरफ़ हथियार तन गए।
अरमान का दिल तेज़ी से धड़क रहा था।
उसे लगा जैसे हवा भारी हो गई हो, मानो ये टनल अब युद्ध का मैदान बनने वाला है।

जस्सी ने धीमी आवाज़ में कहा:

> "यही है वो लम्हा… जब दोस्त और दुश्मन में कोई फर्क नहीं बचता।"



आरव ने अनन्या की ओर देखा।
उसकी आँखों में सिर्फ़ एक संकल्प था।

> "अगर ये मेरा सच है… तो मैं उसी से लड़कर आगे बढ़ूँगा।
क्योंकि मैं Prototype नहीं, इंसान हूँ।"




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🎬 भाग 14 समाप्त - "टूटे हुए विश्वास"



📖 Part 15: "मूल और मुखौटा"  जल्द ही...