कहानी का नाम:
🌑 "वो जो मैं नहीं था"
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🔥 भाग 1: “जहाँ सपने रहते हैं”
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स्थान: नासिक, महाराष्ट्र
वर्ष: 2031
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नासिक के एक शांत मोहल्ले में सुबह की चाय की भाप के साथ एक नाम हवा में गूंजता है —
"आरव… उठ जा बे! आज फिर लेट हो जाएगा!"
22 साल का आरव मोहिते, एक सीधा-साधा, हँसमुख, और ज़मीन से जुड़ा लड़का। B.Sc फाइनल ईयर का छात्र। माँ सरकारी स्कूल में टीचर और छोटा भाई शिवा 10वीं में पढ़ता है।
आरव की दुनिया बहुत सीधी है —
सुबह मॉर्निंग रन, फिर कॉलेज, दिन में ट्यूशन पढ़ाना, और रात को छत पर बैठकर तारों को निहारना।
उसकी पूरी दुनिया बस दो बातों पर टिकी थी —
"माँ का मान" और "अनन्या का साथ"।
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🌸 अनन्या देशमुख
आरव की क्लासमेट और पड़ोसी।
एक शांत स्वभाव की लेकिन भीतर से बेहद तेज़ लड़की, जो अपने पापा के राजनीति में भ्रष्ट होने के बावजूद एक ईमानदार पत्रकार बनना चाहती है।
आरव और अनन्या एक-दूसरे को 5 सालों से जानते हैं।
दूसरों की नज़र में वे "बस दोस्त" थे,
लेकिन उन दोनों की नजरों में हर बात अधूरी रह जाती अगर वो एक-दूसरे से ना होती।
आरव जब भी अनन्या से मिलता, उसकी मुस्कान थोड़ी और साफ़ हो जाती, जैसे वो दुनिया का सबसे सुरक्षित लड़का हो।
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🎨 सपनों का शहर
उनकी दुनिया प्यारी थी—
RC कॉलेज में पढ़ाई, स्टेशन पर चाय के साथ घंटों की बातें,
वो पुराना वॉकमैन जिसमें दोनों एक ही ईयरफोन शेयर करते,
और अनन्या का सपना—
"एक दिन मैं सच्चाई दिखाऊंगी इस देश को… बिना डरे, बिना झुके।"
आरव हर बार मुस्कराता और कहता—
“अगर तू लड़ेगी, तो मैं तेरे पीछे ढाल बनके खड़ा रहूँगा…”
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☁️ छोटे सपने, बड़ी उम्मीदें
एक दिन अनन्या ने आरव से पूछा—
“अगर एक दिन तू मेरी वजह से ख़तरे में पड़ गया, तो क्या करेगा?”
आरव हँसते हुए बोला—
“तेरे लिए? जान दे सकता हूँ… बस तू जिंदा रहना… क्योंकि मेरी मौत से अगर तुझे जिंदगी मिलती है, तो वो सौदा मुझे मंज़ूर है।”
अनन्या हँसी, लेकिन उसकी आँखों में एक पल को डर भी तैर गया।
उसे नहीं पता था, वो मज़ाक एक दिन सच बन जाएगा।
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🌅 एक शाम की झलक
आरव ने अनन्या को पहली बार अपने पुराने अलमारी से एक डायरी दिखाई—
“बस यूँ ही, इसमें मेरे कुछ सपने हैं… और कुछ ऐसे राज़… जो कभी खुलें तो ज़िन्दगी बदल जाए।”
अनन्या ने मुस्कराकर कहा—
“फिर कभी पढ़ूंगी… जब तू खुद पढ़ाना चाहे।”
उन्हें क्या पता था, वो दिन जब आएगा… तब पढ़ना मजबूरी होगा, मोहब्बत नहीं।
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🎭 छोटा सा संकेत, बड़े तूफ़ान का
एक रात आरव छत पर बैठा था। अनन्या नीचे से चुपचाप देख रही थी।
वो बड़बड़ा रहा था—
"बस थोड़ा और वक़्त… फिर सब खत्म कर दूंगा… सब सही कर दूंगा…"
अनन्या घबरा गई… लेकिन खुद को समझाया,
“शायद कोई सपना होगा… शायद कोई चिंता…”
पर नहीं…
ये बस शुरुआत थी।
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💔 कहानी अब शुरू होती है…
एक सीधा-सादा लड़का।
एक आम प्रेम कहानी।
एक खुशहाल परिवार।
पर इस कहानी का हीरो वो नहीं है जो दिखता है।
और उसका अंत किसी और की नई शुरुआत बनेगा।
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🔜 अगला भाग (Part 2): “वो जो दिखता है, वो होता नहीं”
> जहाँ अनन्या आरव के बचपन के पीछे के रहस्यों को महसूस करने लगती है, और पहला सुराग मिलता है — एक फर्जी नाम से भेजी गई चिठ्ठी जिसमें लिखा था:
"अगर वो तुमसे सच्चा प्यार करता है, तो वो तुम्हें अपनी हकीकत कभी नहीं बताएगा।"
✨ अब परतें खुलेंगी, भरोसे टूटेंगे… और सच्चाई धीरे-धीरे चेहरे दिखाएगी।
💔 कहानी की असली चाल अभी बाकी है…
📖 "भाग 2: वो जो दिखता है, वो होता नहीं" — बहुत जल्द आ रहा है… तैयार रहिए!