✍️ भाग 13 - "सिस्टम का चेहरा"
📍 स्थान: दिल्ली - पुराने रेल टनल का आख़िरी छोर
📅 तारीख: 25 फ़रवरी 2031 - शाम 4:05
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⏳ पिछला भाग:
टीम PROJECT RAAHAT की टनल में आगे बढ़ी।
नयी लड़की सिया यादव साथ आई।
टनल की दीवारों पर PROJECT RAAHAT के बच्चों को हथियार बनाने वाले प्रतीक मिले।
और फिर मैकेनिकल आवाज़ गूंजी-
> “PROJECT RAAHAT - Phase II Initiated.”
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🚨 धातु का दरवाज़ा
टनल के गहरे हिस्से में जो दरवाज़ा खुला था, वहाँ से नीली-सी रोशनी बाहर फैल रही थी।
सबने हथियार कसकर पकड़े।
विराट ने इशारे से टीम को पोज़िशन दी।
लेकिन दरवाज़े से जो बाहर आया…
वो कोई मशीन या दुश्मन नहीं था—
बल्कि एक थका हुआ आदमी, जिसकी वर्दी जगह-जगह फटी हुई थी।
उसने हाथ ऊपर किए, जैसे समर्पण कर रहा हो।
> “गोली मत चलाना… मैं दुश्मन नहीं हूँ।”
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🪖 जसकरण सिंह "जस्सी"
अरमान ने उसे ध्यान से देखा।
वो फौजी था - लेकिन उसकी आँखों में हार और बोझ साफ़ दिख रहा था।
> "मैं जसकरण सिंह हूँ।
पहले कैप्टन विराट की यूनिट में था।
लेकिन PROJECT RAAHAT की असलियत… देखकर मैंने सब छोड़ दिया।"
विराट की आँखें सिकुड़ गईं।
> "जस्सी… तुम जिंदा हो?"
अनन्या और आरव ने हैरानी से देखा।
जस्सी ने भारी साँस लेते हुए कहा-
> "मैं भागा था।
क्योंकि जिस सिस्टम की हम रक्षा कर रहे थे…
वो बच्चों की कब्र बना रहा था।
PROJECT RAAHAT कोई सुरक्षा मिशन नहीं…
बल्कि इंसानों को ही मोहरा बनाने की फ़ैक्ट्री है।"
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🌀 सिस्टम का चेहरा
टीम जस्सी के पीछे-पीछे अंदर गई।
वहाँ दीवारों पर डिजिटल स्क्रीनें लगी थीं-
हर स्क्रीन पर बच्चे, टनल के भीतर ट्रेनिंग करते हुए।
कुछ पर साइबरनेटिक चिप्स लगे थे।
कुछ को दवाइयाँ इंजेक्ट की जा रही थीं।
हिना का चेहरा सफेद पड़ गया।
> "ये… Phase II है।
अब ये बच्चे सिर्फ़ सैनिक नहीं… बल्कि बायो-हथियार हैं।"
आरव के हाथ कांपे।
> "इंसानों को… मशीन बना दिया गया?"
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⚖ नैतिक सवाल
यहीं पर जस्सी ने पहली बार टीम पर सवाल उठाया।
> "तुम सब यहाँ लड़ने आए हो… पर सोचा है कभी?
अगर ये बच्चे आज़ाद कर दिए गए तो क्या होगा?
ये हमारी तरह सोचेंगे भी नहीं-
क्योंकि इन्हें इंसान रहना सिखाया ही नहीं गया।
क्या तुम सब तैयार हो… इन्हें मारने के लिए?"
अनन्या ने गुस्से से कहा:
> "हम उन्हें बचाएँगे।
उन्हें सिस्टम से आज़ाद करेंगे।"
जस्सी ने कड़वा हँसते हुए कहा:
> "ये वही आदर्शवाद है जिसने मुझे भी तोड़ा था।
मैंने कोशिश की थी…
पर जब 9 साल का बच्चा तुम्हारे गले पर चाकू रख दे…
तो इंसान और हथियार में फर्क मिट जाता है।"
टीम पर सन्नाटा छा गया।
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🕵️♂️ रघु और बाली की बेचैनी
इस पूरे समय रघु और बाली चुपचाप खड़े रहे।
जस्सी ने उनकी तरफ देखा और कहा:
> "और तुम दोनों… तुम्हें मैं पहचानता हूँ।
तुम वो नहीं जो दिखते हो।"
बाली का चेहरा तन गया।
रघु ने तुरंत बीच में कहा:
> "अभी यहाँ बहस का वक्त नहीं।"
लेकिन अरमान की नज़र उन दोनों पर टिक गई।
उसके भीतर एक शक और गहराता गया।
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🎭 मास्टरमाइंड का पहला संदेश
अचानक सभी स्क्रीन काली हो गईं।
एक छाया जैसी आकृति सामने आई।
बिना चेहरे का आदमी,
ठंडी, मैकेनिकल आवाज़ में-
> "PROJECT RAAHAT को रोकने की हर कोशिश…
मानव जाति के भविष्य को रोकना है।
हम बच्चे नहीं, आने वाले युग के योद्धा बना रहे हैं।
और तुम सब… सिर्फ़ पुराने दौर की जंजीरें हो।"
आरव ने चिल्लाकर कहा:
> "कौन हो तुम?"
छाया ने जवाब दिया:
> "नाम की ज़रूरत नहीं।
मैं वही चेहरा हूँ… जिसे तुम सब नफ़रत से 'सिस्टम' कहते हो।"
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💥 अगला क़दम
जैसे ही आवाज़ गूंजी, दरवाज़ा तेज़ी से बंद होने लगा।
जस्सी चिल्लाया:
> "भागो! नहीं तो अंदर फँस जाओगे!"
टीम दौड़ पड़ी।
लेकिन आरव रुक गया-
उसकी नज़र आख़िरी बार स्क्रीन पर थी।
उसने देखा… उन बच्चों में से एक के चेहरे पर उसका ही नाम लिखा था:
“आरव - Prototype 01.”
आरव की आँखें फैल गईं।
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🎬 भाग 13 समाप्त - “सिस्टम का चेहरा”
📖 Part 14: "टूटे हुए विश्वास" जल्द ही…
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