कोई अगर मुझसे पूछे – "तूने क्या पाया आज तक, क्या कामयाबी मिली तेरी ज़िंदगी में?"
तो मेरा जवाब बस यही होगा –
मेरे पास दुनिया की वो दौलत है जो हर किसी के पास नहीं होती।
मैंने कमाई है सबसे बड़ी दौलत – मेरे पास वो है जो किसी और के पास नहीं है…
मेरे दोस्त।
जो मेरे लिए सबसे क़ीमती हैं।
मुझे ज़िंदगी से कुछ और ना भी मिले, चलेगा।
मैं सबकुछ सह सकती हूँ हर समय,
बस इसका एक ही कारण है – मेरे दोस्तों का साथ और उनका प्यार,
जो मुझे कभी हारने नहीं देता।
दुनिया में माँ का रिश्ता ऐसा होता है जो सबसे ऊपर है।
क्योंकि माँ होती है। उनकी जगह तो भगवान भी नहीं ले सकते।
उनकी जगह तो ज़िंदगी में कोई नहीं ले सकता।
वो रिश्ता खून का भी है और प्यार का भी,
जिसे भगवान ने ऊपर से बनाकर भेजा है।
लेकिन दोस्त वो रिश्ता है जो दिल से होता है,
जिसे हम खुद बनाते हैं।
अगर दोस्त ऐसे मिल जाएँ तो दुनिया की हर जन्नत, हर सुकून मिल जाता है।
भगवान ने मेरी किस्मत को बड़ी फ़ुर्सत में बैठकर और सोने की क़लम से लिखा है,
जो मुझे ऐसे दोस्त मिले।
क्या ही लिखूँ इनके बारे में…
शब्द ही नहीं बनते आज तक ऐसे जो बता पाएँ कि ये क्या हैं मेरी ज़िंदगी में।
जैसे माँ के प्यार को हम कभी शब्दों में नहीं बता सकते,
सिर्फ़ थोड़ा-बहुत समझा सकते हैं, क्योंकि उसे बस महसूस किया जाता है।
वैसे ही जब दोस्त भी माँ और पापा की तरह प्यार करने वाले मिल जाएँ,
तो उनके प्यार और उनके बारे में बताने के लिए शब्द कम पड़ जाते हैं।
बहुत कम लोगों को मिलते हैं ऐसे दोस्त।
जहाँ कहते हैं – “दोस्ती का क्या मतलब है?”
तो उसका उत्तर होता है –
जहाँ मतलब के लिए कोई जगह ना हो, वहीं दोस्ती होती है।
मुझे मेरी ज़िंदगी में ऐसे ही दोस्त मिले,
जिनके बारे में जितना बोलूँ कम है।
उन्होंने मुझे हर मुश्किल रास्ते पर संभाला।
जहाँ मुझे किसी ने नहीं समझा, वहाँ उन्होंने न केवल मुझे समझा,
बल्कि मेरा हाथ पकड़कर उस परिस्थिति से बाहर निकाला।
मैंने तो जीने की उम्मीद तक छोड़ दी थी।
खुद से नफ़रत करती थी।
लेकिन देखो न… उन्होंने मुझे बच्चे की तरह संभाला, समझाया, प्यार किया,
और मुझे सिखाया –
खुद से प्यार करना, खुद को माफ़ करना।
मेरे दोस्तों में मेरी जान बसती है।
उनकी ज़िंदगी में सिर्फ़ खुशियाँ और कामयाबी मिले।
उनकी कामयाबी ही मेरी खुशी है।
उनकी खुशी मेरी खुशी से भी ज़्यादा है।
मेरे ग़म को वो अपना ग़म मानते हैं।
मुझसे ज़्यादा तकलीफ़ उन्हें होती है मुझे तकलीफ़ में देखकर।
क्योंकि वो मुझे मुझसे ज़्यादा जानते हैं।
हे भगवान!
तेरा धन्यवाद करती हूँ कि तूने अपने ही रूप में मेरे दोस्तों को मुझे दिया।
जैसे मेरी माँ मेरी हर तकलीफ़ और खुशी मुझसे ज़्यादा महसूस करती है,
वैसे ही वो मेरी हर खुशी में मुझसे ज़्यादा खुश होते हैं
और हर तकलीफ़ में मुझसे ज़्यादा दर्द महसूस करते हैं।
मेरे पास उन्हें देने के लिए कुछ नहीं है।
क्या करूँ… सब कुछ छोटा और फीका पड़ जाता है उनके प्यार के आगे।
मेरी जान भी दे दूँ तो भी कम है उनके लिए।
क्योंकि मेरी ज़िंदगी हाज़िर है,
और मेरी ज़िंदगी बसती है मेरे दोस्तों में।
मेरी माँ की खुशियों के बाद अगर कोई मुझसे पूछे –
"तेरी अपनी ज़िंदगी में क्या चाहिए?"
तो मेरा जवाब बस यही होगा –
कुछ नहीं… बस मेरे दोस्तों का साथ।
उनकी खुशियाँ, उनके चेहरे पर हमेशा मुस्कान बनी रहे।
वो हमेशा खुश रहें।
मुझे न प्यार चाहिए, न विवाह।
बस मेरी माँ का प्यार और उसके बाद अगर मेरी ज़िंदगी में कोई मायने रखता है
तो वो हैं मेरे दोस्त।
मेरे दोस्त।
क्या ही लिखूँ…
शब्द ही नहीं मिलते,
क्योंकि उनके बारे में लिखने लगो तो शब्द भी कम पड़ जाते हैं।
जो भावनाएँ हैं उन्हें सिर्फ़ महसूस किया जा सकता है।
अगर आपको ये पोस्ट अपने दिल को छू गई हो, तो अपने सबसे प्यारे इंसान को याद करके एक बार ज़रूर मुस्कुरा देना।
अगर आप लोगों ने भी इस भावना को महसूस किया है,
तो देर मत करो।
अपने दोस्तों को share kro
उन्हें ये एहसास दिलाओ कि वो आपके लिए कितने ख़ास हैं।
🌸✨
wriiten by-muvi writer✨