An Overthinker’s Love in Hindi Love Stories by Muvi Ki Kalam books and stories PDF | ओवरथिंकर का प्यार - अपनी तकलीफ़ भूलकर सिर्फ़ तुम्हारी मुस्कान में जीना

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ओवरथिंकर का प्यार - अपनी तकलीफ़ भूलकर सिर्फ़ तुम्हारी मुस्कान में जीना

ओवरथिंकर का प्यार
आज हम ओवरथिंकर के प्यार के बारे में बात करते हैं।
जिनके बारे में अक्सर सुना जाता है—
कुछ लोग इन्हें सबसे अलग मानते हैं और इनके प्यार को सच्चा कहते हैं।

लेकिन, क्या कभी सोचा है—ओवरथिंकर का प्यार कैसा होता है?
क्या इसे सच में समझ पाना आसान है?

मैंने पार्ट 1 और 2 में आपको बताया था कि सच्चा प्यार वो रिश्ता है,
जो दिल से दिल को बाँध देता है।
प्यार की कोई परिभाषा नहीं होती—
ये बस एक अहसास है, जिसे महसूस किया जाता है,
शब्दों में नहीं बाँधा जा सकता।

पार्ट 3 और 4 में मैंने ओवरथिंकर की सोच को समझने की कोशिश की थी।
क्योंकि उनकी दुनिया, उनकी गहराई…
आसान नहीं है किसी के लिए भी।
मैं खुद भी एक ओवरथिंकर हूँ, इसलिए जानता हूँ
कि सब कुछ शब्दों में उतार पाना नामुमकिन है।

लेकिन आज… चलिए बात करते हैं ओवरथिंकर के प्यार की                                        

part-5

ओवरथिंकर की दुनिया
ओवरथिंकर, जिनकी सोच की कोई सीमा नहीं होती, वो अपनी ही अलग दुनिया में रहते हैं। उनका तरीका ही अलग होता है हर चीज़ को सोचने का।

वे हर छोटी-सी बात को भी गहराई से महसूस करते हैं और समझते हैं।

ओवरथिंकर इतने संवेदनशील होते हैं कि अगर गलती से किसी को तकलीफ़ पहुँचा दें, तो सामने वाले से ज़्यादा दर्द खुद को देते हैं।

वो हर पल सोचते रहते हैं—
"मैंने ऐसा क्यों किया? सामने वाला क्या महसूस कर रहा होगा? कितना दुखी हुआ होगा? मुझसे ये गलती कैसे हो गई?"

वो भगवान से कहते हैं—
"ये सब मेरी वजह से हुआ, मुझे सज़ा दो, पर उसे खुश रखो।"

उनके लिए अपने दर्द से ज़्यादा अहम सामने वाले की ख़ुशी होती है। वो दूसरों का ध्यान ऐसे रखते हैं जैसे माँ अपने बच्चे का रखती है।

उनका प्यार
ओवरथिंकर जब प्यार करते हैं, तो अपनी तकलीफ़ों को किनारे रख देते हैं।
उनके लिए सबसे बड़ी बात होती है—सामने वाले की खुशी।
वो इतना ध्यान रखते हैं जैसे कोई माँ अपने बच्चे का रखती है।

अगर उन्होंने मैसेज किया और रिप्लाई नहीं आया—तो इंतज़ार करते हैं।
अगर ऑफ़लाइन होने के बाद रिप्लाई आ गया और वो देख नहीं पाए—तो दोबारा लॉगिन करके जब रिप्लाई देखते हैं तो सोच में पड़ जाते हैं:
"वो क्या सोच रहा होगा? मैं ऑनलाइन था और रिप्लाई नहीं पढ़ा। कहीं उसे बुरा तो नहीं लगा?"

यहाँ तक कि एक्टिव स्टेटस कुछ देर दिखने पर भी वो सोच लेते हैं कि सामने वाला गलत न समझ ले।
इतनी-सी छोटी बात पर भी वो खुद को दोष देते हैं।

अब सोचो—जो इंसान इतनी छोटी-सी बात को लेकर इतना सोचता है कि कहीं सामने वाले को तकलीफ़ न हो जाए…
वो अपने प्यार को कभी तकलीफ़ पहुँचा भी सकता है क्या?

ओवरथिंकर का प्यार पहचानना हो तो बस ये देखो—
वो तुम्हारी छोटी-सी तकलीफ़ को अपनी सबसे बड़ी तकलीफ़ मान लेते हैं।
तुम्हारी ख़ुशी के लिए अपनी ख़ुशियाँ तक छोड़ दete h

part-6

ग़लतफ़हमियाँ और सच
लोग कहते हैं—"ये पागलपन है, एक बीमारी है।"
पर सच ये है कि भगवान ने उन्हें ऐसे ही बनाया है।
उनका दिल साफ़ होता है।
वे दूसरों की भावनाओं को सिर्फ़ सुनते नहीं,
बल्कि खुद महसूस करते हैं।

और जितना दर्द सामने वाला सहता है,
उससे कई गुना ज़्यादा दर्द वो खुद को दे देते हैं

उनकी सहनशक्ति और समझ
अगर सामने वाला गुस्से में आकर रूखे शब्द कह भी दे, तो ओवरथिंकर उसे भी समझ लेता है—
"वो टूटा हुआ है, तभी ऐसा बोल रहा है।"

उस समय ओवरथिंकर अपने आँसू छुपा लेता है और कोशिश करता है कि सामने वाले को मज़ाक या हँसी में खुश रख सके।

कभी-कभी तो उनके लिए ये भी मुश्किल हो जाता है कि लोग ये समझें कि इतना प्यार कैसे कोई कर सकता है कि अपनी self-respect भी छोड़ दे

कोई नहीं समझ पाता… बस वही समझ पाते हैं जो सच में प्यार करते हैं।
लेकिन अफ़सोस, अक्सर वही भी छोड़ जाते हैं।
कुछ लोग तो सिर्फ़ टाइमपास के लिए जुड़ते हैं,
और जब इन्हें लगता है कि ये रिश्ता कुछ ज़्यादा हो रहा है,
तो तंग आकर इन्हें छोड़ देते हैं।

ओवरथिंकर को बस "प्यार करने वाला" समझा जाता है,
मगर इनका असली दर्द, इनकी तकलीफ़ —
वो समझने में वक़्त लगता है।
ये तकलीफ़ इनकी आँखों में छुपी होती है,
पढ़ने वाला दिल चाहिए…
वरना पूछने की ज़रूरत ही नहीं होती,
इनकी आँखें ख़ुद सब कह देती हैं।

ओवरथिंकर से तभी प्यार करना,
जब तुम उसे बिना बोले समझ सको।
क्योंकि वो शायद कभी अपने शब्दों में सब कह न पाए…
या कह भी दे, तो पूरा सच नहीं कह पाएगा।

अगर ओवरथिंकर किसी को अपना मान ले,
तो आँख बंद करके भरोसा कर लेता है।
फिर अपनी सारी तकलीफ़ें बाँट देता है।
उस वक़्त सामने वाले को सुनना चाहिए,
ना कि उसे "तंग मत करो" कहना चाहिए।

क्योंकि अगर तुम उसे ये कह दोगे
कि "रोज़-रोज़ की बातें मत करो" —
तो वो चुप हो जाएगा।
शायद फिर भी लिखेगा,
लेकिन पहले जैसा खुलकर नहीं…

वो अपने आपको ही तकलीफ़ देता रहेगा,
ये सोचकर कि "मैं उसके लायक नहीं हूँ,
गलती मेरी है, मैं किसी के लायक नहीं हूँ।"

याद रखना…
ओवरथिंकर को समझना उतना आसान नहीं,
जितना लोग सोचते हैं इसलिए किसी ओवरथिंकर से प्यार करने से पहले हज़ार बार सोचो—क्या तुम सच में उसके साथ रह सकते हो? क्योंकि अगर तुम बीच में छोड़ दोगे, तो वो रोज़-रोज़ खुद को मारकर जीता रहेगा, एक ज़िंदा लाश की तरह।

👉 इसलिए इसे ज़्यादा से ज़्यादा शेयर कीजिए।
अगर दिल को छू ले तो उन तक भी भेजिए जिनको इसकी ज़रूरत है।
क्योंकि ओवरथिंकर सबको समझते हैं, उन्हें खुद को भी थोड़ा समझना चाहिए।
वो ग़लत नहीं होते हर बार…
बस उन्हें थोड़ा खुद को माफ़ करना सीखना चाहिए।
वो तो सबसे अलग, सबसे साफ़ दिल वाले इंसान होते हैं।
और उन्हें हक़ है… अपने लिए भी जीने का।

✨ और हाँ, इसे उनके साथ भी ज़रूर शेयर कीजिए,
जो किसी ओवरथिंकर से प्यार करते हैं —
क्योंकि उनके लिए उन्हें समझना और भी ज़्यादा ज़रूरी है और अगर आप किसी ओवरथिंकर से मोहब्बत करते हैं, तो याद रखिए — उन्हें समझना ही सबसे बड़ी मोहब्बत है।