✨प्रेरणा का नाम जानवी✨
"जब एक औरत आगे बढ़ती है, तो पीछे एक पूरी पीढ़ी उठ खड़ी होती है।"
IAS बनने के बाद जानवी की पहली पोस्टिंग एक बैकवर्ड जिले में होती है। जहां विकास ठहरा हुआ था, और जहां लड़कियों के लिए स्कूल जाना आज भी "हिम्मत का काम" माना जाता था।
पर जानवी जानती थी कि अब कलम उसकी थी, और दिशा भी वो ही तय करेगी।
लडकियों के लिए सबसे पहले
पदभार संभालते ही उसने जो पहला आदेश निकाला वो था -
👉हर गाँव की लड़कियों के लिए फ्री साइकल योजना
👉स्कूलों में सैनिटरी नैपकिन की उपलब्धता
👉हर सरकारी स्कूल में लड़कियों की सुरक्षा समिति'
कुछ अफसरों ने पूछा -
"आप सिर्फ लड़कियों पर इतना ध्यान क्यों दे रही हैं?"
जानवी ने मुस्कुरा कर जवाब दिया -
"क्योंकि मैं जानती हूं, एक लड़की को पढ़ाने से पूरा समाज शिक्षित होता है और वो समाज खामोश नहीं रहता।"
वापसी गाँव में - एक नया परिचय
कई महीने बाद जानवी अपने गाँव लौटी जहां कभी लोग ताना देते थे, आज वहीं लोग गेट पर स्वागत के लिए खड़े थे।
जहां एक वक्त जानवी की माँ अकेली दरवाजे पर बैठी बेटी के फेल न होने की दुआ करती थी, आज वहीं घर के
बाहर बैनर लगा था - "बेटी IAS बनी है"
माँ की आंखें - वो जो सब समझती हैं
जब जानवी ने माँ के पैर छुए, तो माँ ने सिर पर हाथ रखते हुए सिर्फ इतना कहाः
"आज तेरे पापा होते तो बहुत खुश होते..." "पर मुझे लगता है, वो तुझमें ही हैं।"
उनके आंसुओं में अब गम नहीं, बल्कि गर्व था।
मीडिया, मंच, मिसाल
जानवी को अब जगह-जगह बुलाया जाने लगा। IV इंटरव्यू, मोटिवेशनल स्पीच, महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम...
किसी ने पूछा-
"आपकी सबसे बड़ी प्रेरणा कौन थी?"
जानवी ने जवाब दिया-
"मेरा सबसे बड़ा दुश्मन...
क्योंकि उसी ने मुझे सबसे बड़ा योद्धा बनाया।"
पंकज - अब सिर्फ एक चेहरा
किसी दिन कोर्ट के एक केस में एक वकील के तौर पर पंकज से फिर सामना हुआ। वो जानवी के सामने पेशी में खड़ा था। नज़रे झुकी हुई थीं।
जानवी ने देखा, मगर चेहरे पर कोई भाव नहीं था। क्योंकि अब उसके मन में पछतावे के लिए कोई कोना नहीं बचा था। जो छूट गया था, वो अब बोझ नहीं बस अतीत था।
जानवी की क्लास में एक लड़की ने पूछा...
"मैडम, क्या मैं भी बन सकती हूं आपके जैसी?"
जानवी ने झुककर उसके सिर पर हाथ फेरा और कहाः
"अगर तुम अपने आप को कभी कमज़ोर मत मानो, तो तुम मुझसे भी आगे जा सकती हो। क्योंकि तुम सिर्फ लड़की नहीं हो - तुम बदलाव हो।"
"जानवी अब सिर्फ एक नाम नहीं रही। वो अब एक जवाब है, हर उस सवाल का जो लड़कियों से पूछा जाता है।"
जहां एक दिन समाज ने पूछा थाः "क्या कर लेगी?"
अब वहीं समाज कहता है: "काश, हमारी बेटी भी जानवी जैसी हो।"
समाप्त... या शायद शुरुआत
" ये कहानी खत्म नहीं हुई, बल्कि अब हर उस लड़की में शुरू हुई है -
जो अब चुप नहीं रहती, बल्कि खुद को पहचानती है, और अपने लिए लड़ती है।"
क्योंकि अब वो जान चुकी है...
उसकी चुप्पी किसी और की ताकत बनती है,
और उसकी आवाज़, पूरी दुनिया की उम्मीद।
यह कहानी...
अब हर आँख की हिम्मत है,
हर दिल का विश्वास है,
और हर लड़की की उड़ान।