JANVI - Rakh Se Uthti Loa - 6 in Hindi Motivational Stories by Luqman Gangohi books and stories PDF | JANVI - राख से उठती लौ - 6

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JANVI - राख से उठती लौ - 6

✨लबासना की वादियों में✨

"जब अपने घाव ही अपने गुरु बन जाएं, तो मंज़िल खुद रास्ता बन जाती है।"

कुछ ही हफ्तों बाद, जानवी LBSNAA (Lal Bahadur Shastri National Academy of Administration) के लिए रवाना हुई। मसूरी की पहाड़ियाँ, हरी वादियों और स्वच्छ नीला आसमान ये सब अब उस बिना नींद वाली रातों के इनाम थे।

लबासना में पहुंचना जैसे कठिन तपस्या के बाद कोई तीर्थ स्थल पाना था। यहाँ देशभर से चुने गए सबसे काबिल और जुनूनी युवाओं की भीड़ थी, और उनमें अब जानवी भी थी।

पहली मीटिंग, पहला भरोसा

लबासना के पहले हफ्ते में एक सत्र में सभी से कहा गयाः

"यहाँ आप सब सिर्फ अफसर नहीं बनेंगे, यहाँ आप इंसान बनना सीखेंगे।"

जानवी की बेंच के पास ही बैठा था आरव, जो एक शांत, गंभीर और आत्मविश्वासी लड़का था। वो ज्यादा नहीं बोलता था, लेकिन जब बोलता था उसकी बातों में गहराई होती थी।

धीरे-धीरे आरव और जानवी के बीच एक विचारों की दोस्ती बनने लगी।

जब सोचें मिलें, तो मन भी जुडने लगता है

जानवी और आरव अक्सर चर्चा करते-

👉देश के आर्थिक मसलों पर
👉ग्रामीण विकास पर
👉और जीवन की सच्चाईयों पर 

एक शाम लबासना की एक ट्रैकिंग वॉक के बाद आरव ने जानवी से पूछाः

"तुम इतनी शांत और स्थिर कैसे हो, जबकि तुम्हारे बारे में सुनकर लगता है कि तूफान में पली हो?"

जानवी ने सिर्फ मुस्कुरा कर कहा:

"जब तुम्हारा सब कुछ छीन जाता है, तब या तो तुम पागल हो जाते हो, या पत्थर से भी मजबूत। और मैंने दूसरा चुना।"

उस दिन आरव को सिर्फ जानवी नहीं, उसके भीतर छुपा लौह-स्त्री का रूप दिखा।

जहाँ दिलों को मंजूरी मिलती है, वहां कोई शर्त नहीं होती

धीरे-धीरे दोनों की बॉन्डिंग और गहरी होती गई। लेकिन यह कोई फिल्मी मोहब्बत नहीं थी। यह था -

👉सम्मान
👉समझ
👉और बिना बोले सब जानने वाली आत्मीयता

आरव कभी उसका भविष्य नहीं बनना चाहता था, वो बस उसका हिस्सा बनना चाहता था, जिससे वो और भी ऊँचा उड़ सके।

नया अध्याय - सम्मान के साथ रिश्ता

ट्रेनिंग पूरी होने से पहले ही आरव ने एक दिन कहा -

"मैं तुम्हारा नाम नहीं बदलना चाहता, मैं तुम्हारी कहानी का हिस्सा बनना चाहता हूं...अगर तुम चाहो तो।"

जानवी कुछ पल चुप रही, उसे पहली बार किसी ने बिना शर्तों के अपनाने की बात की थी। उसने मुस्कुरा कर कहा-

"हां। लेकिन वादा करो, तुम मुझे कभी रुकने नहीं दोगे। मैं जिस लड़की को बचाने निकली थी, वो मैं ही थी।"

और यही से शुरू हुआ एक सच्चा, समानता पर टिका रिश्ता, जहाँ कोई 'शर्त' नहीं थी, बस 'साथ' था।

IAS JANVI की शादी - एक नई मिसाल

पोस्टिंग के बाद, दोनों ने एक साधारण सी लेकिन सार्थक शादी की। बिना दहेज, बिना तामझाम के, बस साथ खड़े दो आत्मविश्वासी लोग।

शादी में सभी रिश्तेदार आए और पंकज भी। उसने जानवी को देखा गर्व, पछतावे और बेबसी के साथ।
जानवी ने उसे देखा शिष्टता और शांति के साथ।

अब वो कुछ भी साबित नहीं करना चाहती थी, क्योंकि अब उसकी उपस्थिति ही सबसे बड़ा उत्तर बन चुकी थी।

"उसने सिर्फ अफसर बनकर नाम नहीं कमाया -
उसने इंसान बनकर दुनिया को दिशा दी।"

अब देखना ये दिलचस्प होगा कि जानवी बाकी लड़कियों के लिए प्रेरणा बन कर मिशाल कैसे कायम करेगी जिसके संघर्ष से औरों को सीख कैसे मिलेगी।