Anjaani Kahani - 7 in Hindi Love Stories by surya Bandaru books and stories PDF | अनजानी कहानी - 7

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अनजानी कहानी - 7

ज्योति को लेकर गुस्से में जा रहे अर्जुन के पास कौसल्या, प्रिया और बाकी सभी दौड़ते हुए आते हैं। प्रिया अर्जुन को रोकने की कोशिश करती है, लेकिन अर्जुन गुस्से में कहता है, "प्रिया, साइड हो जाओ, ये तुम्हारे से जुड़ा मामला नहीं है।"

प्रिया गुस्से में अर्जुन के सामने आकर कहती है, "ये हमारे लड़कियों से जुड़ा मामला है। तुम्हें पता है कितनी लड़कियाँ रोज़ ऐसे प्रॉब्लम्स फेस करती हैं? मुझसे भी कई बार लोग बेहूदगी से पेश आते हैं, क्या तुम जाके सबको मारोगे?"

अर्जुन गुस्से में देखता रहता है।

मामला बड़ा होता दिख रहा है, ये देखकर आनंद राव अर्जुन के पास जाकर कहते हैं, "अर्जुन, पहले अंदर चलो, सोचते हैं क्या करना है।"

अर्जुन गुस्से में आनंद राव की तरफ देखकर कहता है, "dad, वो बचपन से इस घर में पली है। उसके साथ ऐसा हुआ है, तो चुपचाप देखना मुझसे नहीं होगा।"

प्रिया गुस्से में कहती है, "वो तुम्हारी बहन जैसी है, इसलिए उसके बारे में सोचो। अगर ये मामला मीडिया तक गया तो क्या ज्योति उस प्रेशर को हैंडल कर पाएगी? लोग उस पर दया दिखाएंगे, लेकिन मानसिक रूप से उसे टॉर्चर करेंगे। तुम उसे बचपन से जानते हो, बताओ क्या वो ये सब हैंडल कर पाएगी?"

अर्जुन गुस्से में सुभद्रा की तरफ देखकर कहता है, "क्या बोल रही है मां पये? ये कोई छोटा टीज़िंग केस नहीं है, उसे वॉर्निंग देकर छोड़ने वाला मामला नहीं है। तुमने ठीक से सुना नहीं शायद, उसकी पैंट उतारकर..."

तभी प्रिया ज़ोर से चिल्लाती है, "हाँ, उसकी पैंट उतारकर वहाँ एक के बाद एक ने हाथ लगाया। अगर ये बात बाहर गई तो यही बात, उसे रोज़ सुननी पड़ेगी। वो रोज़ नर्क झेलेगी, समझते हो? अगर वो उस प्रेशर को सह न सके और कुछ कर बैठी तो? मैं नहीं कह रही कि उन्हें छोड़ दो, अगर हो सके तो मार दो, लेकिन पहले जानो कि वो क्या सोच रही है, फिर जाओ और मारो।"

प्रिया गुस्से में अर्जुन की तरफ देखती है, ज्योति का हाथ पकड़कर उसे अंदर ले जाती है।

अर्जुन का गुस्सा कम नहीं हुआ, लेकिन प्रिया की बातें उसके गुस्से को धीरे-धीरे शांत करती हैं। वो सोचता है, "प्रिया सही कह रही है," और चुपचाप उसकी तरफ देखता है।

तभी आनंद राव अर्जुन के कंधे पर हाथ रखकर कहते हैं, "अर्जुन, तुम्हारा गुस्सा जायज़ है, लेकिन उस गुस्से से ज्योति को तकलीफ़ नहीं होनी चाहिए। प्रिया ने 100% सही कहा। पहले ज्योति को थोड़ा संभलने दो, फिर वो जैसा चाहे वैसा करें। अब चलो अंदर।"

अर्जुन उदास चेहरे से आनंद राव की तरफ देखता है। आनंद राव विनती करते हुए कहते हैं, "चलो बेटा।"

अर्जुन चुपचाप अंदर जाता है, उसके पीछे सभी अंदर चले जाते हैं।


अगले दिन सुबह:

अगली सुबह सभी लोग हॉल में ज्योति के पास बैठे हैं, उसके निर्णय का इंतज़ार कर रहे हैं।

पिछली रात की घटना से अब तक बाहर न आई ज्योति बात करने में असहज है, ये देखकर सुभद्रा उसके कंधे पर हाथ रखती हैं।

"ज्योति, किसी के बारे में मत सोचो। ये तुम्हारी ज़िंदगी है। तुम जो भी निर्णय लो, हम उस लड़के को तुम्हारे पास भी नहीं आने देंगे। लोग क्या सोचेंगे, ये सोचकर कोई ऐसा निर्णय मत लो जो तुम्हें तकलीफ़ दे।"

बहुत ही संवेदनशील ज्योति सिर झुकाकर मासूमियत से कहती है, "मैं केस करूँ या न करूँ, क्या वो फिर कभी किसी और लड़की के साथ ऐसा नहीं करेगा, मैडम?"

इतनी संवेदनशील लड़की होते हुए भी वो दूसरी लड़की के लिए सोच रही है, ये देखकर सुभद्रा गर्व से कहती हैं:

"ज़रूर, हम उसे ऐसा सबक सिखाएँगे कि वो किसी लड़की की तरफ देखने से भी डरेगा।"

ज्योति चुपचाप सबकी तरफ देखती है और कहती है, "अगर केस किया तो बार-बार वही बात याद आएगी, और हिम्मत से जीना मेरे बस की बात नहीं है मैडम," और रोते हुए कहती है, "मैं केस नहीं कर सकती," फिर अर्जुन की तरफ देखकर कहती है, "सॉरी भैया।"

सुभद्रा उसे गले लगाकर कहती हैं, "तुमने कोई गलती नहीं की, सॉरी कहने की ज़रूरत नहीं है।" दो पल उसे गले लगाकर कहती हैं, "जाओ, थोड़ा आराम करो। कुछ दिन कॉलेज मत जाओ।" और ज्योति को उठाती हैं।

ज्योति अर्जुन की तरफ देखकर चुपचाप बिल्डिंग के बाहर वाले घर की तरफ जाती है। उसके पीछे राधिका भी जाती है।

सुभद्रा आनंद राव के पास जाकर कहती हैं, "भैया, अपने दोस्त SP को फोन करके उस लड़के और उसके दोस्तों को ड्रग्स केस में अंदर करवा दो। दस साल जेल में रहेंगे। कल रात की पूछताछ में पता चला कि वो कॉलेज में ड्रग्स बेचते हैं। ऐसे लोगों पर दया नहीं करनी चाहिए। मैं कलेक्टर हूँ, मैं बात कर सकती हूँ, लेकिन तुम कहोगे तो ज़्यादा असर होगा। वो तुम्हारा दोस्त है ना।"

आनंद राव सहमति में सिर हिलाते हैं।

"अब इस बारे में उससे बात मत करना। कुछ दिन आराम करने दो, जब उसे लगे कि कॉलेज जाना है, वो खुद जाएगी।"

तभी सुभद्रा अर्जुन की तरफ देखकर कहती हैं, "हाँ बेटा, तुम लोग तो काकीनाडा में रहने वाले हो ना! ज्योति को भी वहीं कॉलेज जॉइन करवा दो। उसे ये सब जल्दी भूलने का मौका मिलेगा।"

अर्जुन दो सेकंड सोचकर कहता है, "ठीक है आंटी।"

"ठीक है, मैं SP से बात करके आती हूँ," कहकर आनंद राव निकलते हैं। तभी कौसल्या कहती हैं, "रुको, मैं भी चलती हूँ।"

"मुझे अर्जेंट काम है, प्रिया पहले ही लेट हो गई है। मैं निकलती हूँ। आप लोग काकीनाडा पहुँचते ही मुझे कॉल करना, मैं आ जाऊँगी," कहकर कौसल्या आनंद राव के साथ बाहर जाती हैं।

आनंद राव को आते देख उनका ड्राइवर नागराज जल्दी से कार के पास जाकर दरवाज़ा खोलता है। सब बैठते हैं, ड्राइवर सीट पर बैठकर कार स्टार्ट करता है।

अंदर बैठी सुभद्रा अपने ड्राइवर राजू से कहती हैं, "हमारे पीछे फॉलो करना।"

राजू कहता है, "ठीक है मैडम," और सुभद्रा की कार के पास जाता है।

आनंद राव की कार स्टार्ट होकर दूर जाती है, उसके पीछे सुभद्रा की कार भी फॉलो करती है।


अर्जुन और प्रिया के काकीनाडा जाने के बाद कहानी क्या मोड़ लेगी, ये आने वाले एपिसोड्स में पता चलेगा…