पहला भाग – प्यार की शुरुआत
भोपाल शहर का रहने वाला राहुल एक साधारण लड़का था। उसके पापा एक छोटी सी किराने की दुकान चलाते थे। घर की हालत बहुत खराब थी, लेकिन राहुल पढ़ाई में होशियार था।
कॉलेज के दिनों में राहुल की मुलाकात सोनम से हुई, जो एक अमीर घर की लड़की थी। सोनम के पिता शहर के बड़े बिज़नेसमैन थे।
पहली ही मुलाकात में दोनों में दोस्ती हुई, फिर धीरे-धीरे प्यार में बदल गई।
राहुल के लिए सोनम उसकी पूरी दुनिया थी। वो उसे खुश रखने के लिए अपनी छोटी-छोटी ज़रूरतों पर समझौता करता, ताकि सोनम को कभी कमी न लगे।
दूसरा भाग – गरीबी की ताना
एक दिन सोनम के पिता, विक्रम मेहरा, को पता चला कि उनकी बेटी का बॉयफ्रेंड एक गरीब लड़का है।
विक्रम ने सोनम से कहा —
"बेटा, ये लड़का तुम्हारे लायक नहीं है। जिसके पास खुद के खर्चे चलाने के पैसे नहीं, वो तुम्हें खुश कैसे रखेगा?"
राहुल ने सोनम से वादा किया था कि एक दिन वो कुछ बड़ा करेगा। मगर सोनम के पापा ने उसे ताने मारते हुए कहा —
"देखो लड़के, तुम्हारे सपने अच्छे हैं, लेकिन हक़ीक़त अलग है। बड़े लोग बड़े घरों में पैदा होते हैं, तुम जैसे लोग कभी ऊपर नहीं जा सकते।"
ये सुनकर राहुल के दिल में आग जल उठी।
उसने ठान लिया कि चाहे जैसे भी हो, वो अपनी काबिलियत साबित करके रहेगा।
तीसरा भाग – धोखे का दर्द
राहुल ने अपनी पढ़ाई पूरी की और जॉब की तलाश शुरू की। इस बीच उसने सोनम से वादा किया कि जल्द ही वो उसे प्रपोज़ करेगा।
मगर किस्मत ने खेल खेला।
एक दिन राहुल को पता चला कि सोनम ने उसे छोड़ दिया है, और एक बड़े बिज़नेसमैन के बेटे करण से सगाई कर ली है।
राहुल टूट गया, मगर उसने आँसू पोंछते हुए खुद से कहा —
"अब मुझे किसी को साबित नहीं करना, बस अपने सपनों को सच करना है।"
चौथा भाग – संघर्ष की शुरुआत
राहुल के पास पैसे नहीं थे, लेकिन दिमाग़ और हिम्मत थी।
उसने 5000 रुपये उधार लेकर एक छोटा-सा ऑनलाइन स्टार्टअप शुरू किया।
पहले साल में कई बार उसे नुकसान हुआ, लेकिन राहुल ने हार नहीं मानी।
वो दिन-रात मेहनत करता, किताबें पढ़ता, बिज़नेस मॉडल सीखता, और नए-नए आइडियाज पर काम करता।
तीन साल में उसका स्टार्टअप धीरे-धीरे एक करोड़ की कंपनी बन गया।
पाँचवाँ भाग – बड़ी सफलता
राहुल की मेहनत रंग लाई।
उसने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित एक ऐप बनाया, जिसने मार्केट में तहलका मचा दिया।
दुनियाभर के इन्वेस्टर्स ने उसकी कंपनी में निवेश करना शुरू किया।
सिर्फ़ 7 साल में, राहुल की कंपनी का वैल्यूएशन 1000 करोड़ रुपये पार कर गया।
अब वो उस लड़के से, जो कभी बस किराए के पैसे नहीं दे पाता था, भारत के टॉप 10 युवा उद्यमियों में शामिल हो चुका था।
छठा भाग – सोनम की वापसी
राहुल की सफलता की ख़बर हर अख़बार, हर टीवी चैनल पर छा गई।
एक दिन सोनम उससे मिलने आई, और बोली —
"राहुल, मैंने बहुत बड़ी गलती की। क्या हम फिर से साथ हो सकते हैं?"
राहुल ने गहरी सांस ली और मुस्कुराते हुए कहा —
"सोनम, जब मेरे पास कुछ नहीं था, तब तुमने मेरा साथ छोड़ा।
अब जब मेरे पास सब कुछ है, मुझे तुम्हारा साथ नहीं चाहिए।
मैंने तुम्हें खोकर खुद को पाया है।"
सोनम की आँखों में आँसू थे, लेकिन राहुल के चेहरे पर आत्मविश्वास की चमक थी।
सातवाँ भाग – असली जीत
राहुल ने एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस में कहा —
"ज़िंदगी में कभी किसी की औक़ात मत आंकना।
गरीब होना गुनाह नहीं है, सपनों के लिए हार मान लेना गुनाह है।
अगर आप मेहनत करते हैं, तो एक दिन दुनिया आपको सलाम करेगी।"
आज राहुल के पास वो सब कुछ था —
दौलत, इज़्ज़त, और दुनिया की तारीफ़।
लेकिन उसने कभी अपनी पुरानी ज़िंदगी नहीं भूली।
वो आज भी हर साल अपनी पहली कमाई से एक गरीब बच्चे की पढ़ाई का खर्च उठाता है।
सीख
"कभी किसी की हालत देखकर उसका भविष्य मत तय करो।
मेहनत, हिम्मत और लगन हो तो एक गरीब भी 1000 करोड़ का मालिक बन सकता है।"