(आद्या की सहपाठी रूचिका अचानक गायब हो जाती है। आद्या अपनी छिपी शक्तियों से सच जानने की कोशिश करती है। नाग उसे एक कमरे में लेकर जाता है, जहाँ रूचिका का रूप धारण किए नाग दिखता है। सेजल की चीख सुनकर आद्या समझती है कि कुछ गड़बड़ है। अतुल्य भैया मिलकर उसे खुशी देते हैं, लेकिन आद्या घर नहीं जा सकती। लौटते समय एक नाग सड़क पर चेतावनी देता है। आद्या और अतुल्य सुरक्षित रास्ता बदलते हैं। नाग युवक में बदलकर आद्या को प्रणाम करता है, जिससे नागलोक और मनुष्यलोक के बीच रहस्यमयी संवाद का संकेत मिलता है। अब आगे)
नाग धरा की छाया
आद्या बहुत खुश थी। उसने नई किताबें, सुगंधित मोमबत्तियाँ, रंग-बिरंगे कुशन और अपने पसंदीदा सामान खरीदा था। अपने कमरे को सजाते हुए, वह जैसे अपने भीतर की वीरानियत में रंग भर रही थी।
तभी उसकी नज़र कमरे के कोने में पड़ी—एक छाया, नाग का रूप, और… रूचिका! आद्या की मुस्कान अचानक थम गई।
हॉल में पहुँचकर उसने रूचिका को खिड़की के पास बैठा देखा—सहमी, शांत, और अपने ही ख्यालों में डूबी।
"आज कोई जोक सुनाओ न…" आद्या ने पास बैठते हुए कहा।
रूचिका घबरी। "कुछ… याद नहीं आ रहा…" उसने धीरे से कहा।
"कोई बात नहीं," आद्या ने उसके कंधे पर हाथ रखा और धीरे से उसे गले लगाया।
तभी एक तीखी नागगंध आद्या की चेतना में फैल गई। उसकी साँसें तेज़ हो गईं। "रुको," उसका स्वर गरजा। "कौन हो तुम? तुम… रूचिका नहीं हो!"
आद्या की हथेली पर बना नागचिह्न तेज़ चमक उठा। रूचिका—या जो भी वह थी—हरी आँखों से उसे घूर रही थी। सम्मोहन की शक्ति आद्या के भीतर उतरने लगी।
पर अगले ही पल—"चटाक!"
एक करारा चांटा रूचिका के चेहरे पर पड़ा। सम्मोहन टूट गया।
"रूचिका कहाँ है? बता!" आद्या ने फुफकारते स्वर में पूछा।
"तुम कौन हो? कहां है रूचिका?" आद्या की आवाज़ में गुस्सा और डर दोनों थे। नीली आँखों से उसकी आंतरिक शक्ति उभर रही थी।
तभी नाग ने अपना चेहरा आद्या के सामने किया, आँखों में खौफनाक चमक थी।
"रूचिका नागधरा लोक की शत्रु थी… और और भी शत्रु हैं, जिन्हें…" उसकी आवाज़ खतरनाक गूंज रही थी।
आद्या ने झट से पूछा, "क्या किया तुमने उसके साथ?"
उसी समय एक और आदमी कमरे में घुसा। उसने आद्या के हाथों को तेज़ी से पकड़ लिया। आद्या के शरीर में जैसे बिजली दौड़ गई। जलन, गर्मी, दर्द—लेकिन उसने खुद को शांत रखा। उसकी पकड़ थोड़ी कमजोर हुई, पर आद्या किसी भी हाल में उसे छूने नहीं दे रही थी।
तभी रूचिका ने नाग का रूप धारण किया। उसकी आँखें लाल हो गईं और वह तेजी से भागने लगी। आद्या पीछे मुड़ी—पर वह वहाँ नहीं थी। कमरे में सन्नाटा था। उसकी छुवन अब भी आद्या के शरीर में जलन छोड़ गई, जैसे आग की लपटें।
"कौन था वह?" आद्या ने खुद से पूछा। "और क्यों मेरी छुवन इतनी भयंकर थी?"
आद्या के भीतर जिज्ञासा, गुस्सा और डर का तूफान उठ रहा था। उसने कसम खाई—रूचिका और उस आदमी का रहस्य खोजे बिना वह चैन से नहीं बैठेगी।
"नाग रक्षिका"—अब तक आद्या ने इस शब्द में केवल सम्मान और विश्वास महसूस किया था। लेकिन आज, घृणा और खतरे की आभा भी उसमें झलक रही थी।
वह पुराने बरगद की ओर बढ़ी, जहाँ अदृश्य नागों की सभा चल रही थी।
वृद्ध नाग बोला, "हमने कभी आप पर वार नहीं किया, नागरक्षिका। वह नागधरा वंश के हैं।"
आद्या चौंकी। "नागधरा? कौन हैं वे? और क्यों?"
दूसरे नाग ने गंभीर स्वर में कहा, "वे नागलोक के कट्टर हिस्से हैं। मनुष्यों को अपवित्र मानते हैं। जो कोई बिना अनुमति वहां जाता है… उसे मृत्युदंड मिलता है।"
आद्या की साँस अटक गई। "रूचिका… उसने क्या किया?"
"कुछ नहीं। बस गलती से नागधरा लोक में जा घुसी थी। उसे सज़ा मिली—मृत्युदंड।"
आद्या की आँखों से आँसू बह निकले।
"तो… रूचिका… मर गई?"
"नहीं," वृद्ध नाग ने फुसफुसाया। "हम उसे खोजने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। नागधरा लोक रहस्यों से भरा है। वहां से कोई जीवित लौटना दुर्लभ है।"
आद्या वहीं ज़मीन पर बैठ गई। उसके मन में एक सवाल गूंज रहा था—रूचिका की मुस्कान, उसकी मज़ाकिया बातें, क्या सब झूठ थे?
.....
१. वह गुप्त आदमी—जिसके स्पर्श से आद्या जल उठती थी—कौन था?
२.नागधरा के नाग प्रगति होस्टल में क्यों घूम रहे हैं? क्या रूचिका की तरह कोई और भी नागधरा का शिकार हुआ है?
3.क्या नाग रक्षिका आद्या एक इन्सान को नागों से बचा पाएगी?
इस रहस्य को जानने के लिए पढ़िए "विषैला इश्क"।