Tere ishq mi ho jau fana - 53 in Hindi Love Stories by Sunita books and stories PDF | तेरे इश्क में हो जाऊं फना - 53

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तेरे इश्क में हो जाऊं फना - 53

क्लासरूम में टेस्ट – प्रोफेसर मिश्रा की चुनौती

समीरा और रिया क्लासरूम में पहुंचीं, तो वहाँ हलचल मची हुई थी। कई स्टूडेंट्स अपने नोट्स पलट रहे थे, कोई किसी से फॉर्मूला पूछ रहा था, तो कोई टेबल पर सिर रखकर मानो प्रार्थना कर रहा हो।

"लगता है, आज का टेस्ट वाकई में कड़ा होने वाला है," रिया ने फुसफुसाते हुए कहा।

समीरा ने भी इधर-उधर नजर दौड़ाई। प्रोफेसर मिश्रा, जो कॉलेज के सबसे सख्त लेकिन सबसे होशियार प्रोफेसरों में गिने जाते थे, पहले ही अपनी सीट पर बैठ चुके थे। उनकी पैनी नजरें पूरे क्लास पर घूम रही थीं, मानो वो हर छात्र की तैयारी का अंदाजा लगाने की कोशिश कर रहे हों।

"गुड मॉर्निंग, स्टूडेंट्स!" प्रोफेसर मिश्रा की भारी आवाज़ गूंजी। पूरी क्लास चुप हो गई।

"आज का टेस्ट केवल आपकी याददाश्त का नहीं, बल्कि आपकी अवधारणाओं की गहराई का परीक्षण करेगा। जो भी कॉन्सेप्ट्स सही से समझेगा, वही इसे अच्छे से हल कर पाएगा।"

रिया ने धीमे से समीरा को कोहनी मारी, "मतलब हमारा आधा क्लास तो वैसे ही फेल!"

समीरा ने मुस्कुराने की कोशिश की, लेकिन दानिश की बातें अब भी उसके ज़ेहन में चल रही थीं। वो चाहकर भी अपना ध्यान पूरी तरह से टेस्ट पर नहीं लगा पा रही थी।

"टेस्ट पेपर बाँटे जाएंगे। कोई बात नहीं करेगा। और हाँ, जो भी नकल करते पकड़ा जाएगा, उसके पूरे मार्क्स काट लिए जाएंगे!"

इतना कहते ही प्रोफेसर मिश्रा ने मॉनिटर स्टूडेंट को पेपर बांटने का इशारा किया।

टेस्ट शुरू – एक मुश्किल सवाल

पेपर सामने आते ही समीरा ने जल्दी से सवालों पर नजर डाली। पहले कुछ सवाल आसान थे—GDP ग्रोथ, इंडियन इकोनॉमी की पॉलिसीज़, हार्वोड-डोमर और सोलो ग्रोथ मॉडल की तुलना। लेकिन आखिरी सवाल कुछ अलग था—

"एक्सप्लेन हाउ बिहेवियरल इकोनॉमिक्स इंपैक्ट्स इंडियन पब्लिक पॉलिसी? गिव एग्जाम्पल्स।"

समीरा के माथे पर हल्की शिकन आई। ये टॉपिक उन्होंने पढ़ा था, लेकिन इतने गहरे रूप में नहीं।

उसने पेन उठाया और सोचने लगी—Behavioral Economics, यानी मानव व्यवहार पर आधारित अर्थशास्त्र। इसमें लोगों के निर्णय, उनकी भावनाएं, उनके डर, उनकी आदतें—सबका प्रभाव देखा जाता है। लेकिन ये इंडियन पब्लिक पॉलिसी से कैसे जुड़ता है?

फिर उसे याद आया—प्रधानमंत्री जन-धन योजना, स्वच्छ भारत अभियान, उज्ज्वला योजना। ये सभी योजनाएँ केवल अर्थशास्त्र के पारंपरिक नियमों पर आधारित नहीं थीं, बल्कि लोगों की भावनाओं और व्यवहार को समझकर बनाई गई थीं।

उसने झट से लिखना शुरू किया—

"आम तौर पर, पारंपरिक अर्थशास्त्र मानता है कि लोग तर्कसंगत (rational) निर्णय लेते हैं, लेकिन व्यवहारिक अर्थशास्त्र बताता है कि कई बार लोग भावनाओं, सामाजिक प्रभाव और आदतों के कारण अलग फैसले लेते हैं।"

उसने उदाहरण जोड़ना शुरू किया—

स्वच्छ भारत अभियान: सरकार ने सिर्फ जुर्माना लगाकर नहीं, बल्कि लोगों की सोच को बदलकर इस अभियान को सफल बनाया। "गांधीजी का सपना" और "अपना देश, अपनी जिम्मेदारी" जैसे नारे लोगों के दिल को छू गए।

जन-धन योजना: कम आय वर्ग के लोग बैंकिंग सिस्टम से दूर रहते थे, लेकिन "ज़ीरो बैलेंस अकाउंट" की सुविधा देकर सरकार ने उनके डर को कम किया।

डिजिटल इंडिया: व्यवहारिक अर्थशास्त्र का नजारा यहाँ भी दिखता है। सरकार ने डिजिटल भुगतान को प्रोत्साहित करने के लिए कैशबैक, डिस्काउंट जैसी सुविधाएँ दीं, जिससे लोगों को डिजिटल लेन-देन अपनाने की प्रेरणा मिली।

समीरा को अब मज़ा आने लगा था। वो पूरी तरह से टेस्ट में डूब गई थी।

टेस्ट के बाद – प्रोफेसर मिश्रा की नज़र

घंटी बजी, और प्रोफेसर मिश्रा ने सबको उत्तर पुस्तिकाएँ जमा करने को कहा। जब समीरा ने अपनी कॉपी जमा की, तो उन्होंने एक नजर उसके जवाब पर डाली और हल्की मुस्कान दी।

"Interesting points, Miss समीरा," उन्होंने कहा।

समीरा ने चौंककर उनकी तरफ देखा। प्रोफेसर मिश्रा इतने जल्दी किसी की तारीफ नहीं करते थे।

"धन्यवाद, सर," उसने धीमे से कहा।

जैसे ही वो क्लासरूम से बाहर निकली, रिया उसके पीछे भागी। "ओह माय गॉड! प्रोफेसर मिश्रा ने तेरी कॉपी देखकर स्माइल की? कहीं ये दुनिया खत्म होने का संकेत तो नहीं?"

समीरा हंस पड़ी। "अरे नहीं, शायद उन्हें मेरा आंसर पसंद आया होगा।"

रिया ने सिर हिलाया। "तो फिर आज पार्टी हो जाए?"

समीरा ने मुस्कुराकर हामी भरी। लेकिन उसके दिमाग में अब भी एक और सवाल चल रहा था—क्या वो दानिश से बात करे? क्या वो भी अपने जज़्बातों को लेकर उतनी ही व्यवहारिक थी, जितनी इस टेस्ट में इकोनॉमिक्स को लेकर थी?

शायद, उसे भी खुद को समझाने के लिए थोड़ा और वक्त देना चाहिए।

पार्टी की शाम – एक नई शुरुआत

क्लास खत्म होने के बाद समीरा और रिया कैंपस से बाहर निकलीं। रिया का मूड बेहद उत्साहित था, जबकि समीरा के मन में हलचल थी।

"चल, आज तो सेलिब्रेशन बनता है! तेरी कॉपी पर प्रोफेसर मिश्रा की स्माइल का मतलब समझती है तू?" रिया ने चहकते हुए कहा।

समीरा हंस पड़ी। "हाँ, हाँ, तू तो ऐसे कह रही है जैसे उन्होंने मुझे गोल्ड मेडल दे दिया हो।"

रिया ने भौंहें चढ़ाईं। "अरे, उनके चेहरे पर स्माइल आ जाए, ये अपने आप में गोल्ड मेडल से कम नहीं!"

दोनों हंसते हुए कैम्पस के पास वाले कैफे "Brew & Bite" की ओर बढ़ गईं। कैफे कॉलेज स्टूडेंट्स के बीच बेहद मशहूर था—यहाँ का माहौल मस्तीभरा होता, लाइव म्यूजिक बजता और टेबल्स पर बैठे ग्रुप्स ज़ोरदार बहस में डूबे होते।

जैसे ही वे अंदर पहुँचीं, माहौल में हल्की-हल्की कॉफ़ी की खुशबू घुली हुई थी। कोने में कुछ सीनियर स्टूडेंट्स डिबेट कर रहे थे, जबकि कुछ दूसरे ग्रुप्स गिटार पर हल्के संगीत का आनंद ले रहे थे।

"यहीं बैठते हैं?" रिया ने एक खिड़की के पास की टेबल की ओर इशारा किया।

"हाँ, ये जगह परफेक्ट है," समीरा ने कहा और कुर्सी खींच ली।

आर्डर और बातें

रिया ने मेन्यू उठाया। "तुझे क्या खाना है? आज तो तेरी ट्रीट बनती है!"

समीरा ने मुस्कुराते हुए मेन्यू देखा। "एक कोल्ड कॉफी और नाचोज। और तू?"

रिया ने झट से कहा, "मैं भी वही! और साथ में ब्राउनी विद आइसक्रीम भी!"

"ओह हो, पूरे टेस्ट का स्ट्रेस मिठाई में उतारने का प्लान है?" समीरा ने चुटकी ली।

"बिल्कुल! और वैसे भी, टेंशन और टेस्ट के बाद मीठा खाना बनता है।"