(निशा और बेटी आद्या नागलोक से लौटती हैं, जहाँ आद्या का हाथों पर नागचिह्न उसे “नाग रक्षिका” बनाता है। कार में सनी, निशा और आद्या के बीच आधे मानव-आधे नाग हमला करते हैं। निशा गुफा में अद्भुत शक्तियाँ प्रकट करती है—उसके हाथ पर तेज नीला चिह्न उभरता है और साधु भी चकित रह जाता है। निशा अपनी बेटी आद्या की सुरक्षा के लिए साधु को चुनौती देती है और भस्म को रोकती है। सनी स्तब्ध रह जाते हैं। निशा का बदलता रूप, उसकी शक्ति और रहस्यपूर्ण घटनाएँ सनी को आश्चर्यचकित कर देती हैं। अंततः निशा को कुछ याद नहीं रहता, और वे गुफा से बाहर आते हैं, जहाँ नाग मानव रहस्यमय ढंग से उनका सामना कर रहे हैं। अब आगे)
सनी ने निशा को सहारा देकर उठाया और आद्या को गोद में लिया ही था कि तभी बाहर एक डरावनी सी फुफकार गूंज उठी। बाहर का दृश्य किसी यक्षलोक के द्वार की तरह प्रतीत हो रहा था — चारों ओर नाग मानव खड़े थे, नीली चमकती आंखें, कांस्य रंग की त्वचा, और हाथों में चमकते त्रिशूल।
निशा का शरीर डर के मारे थरथराने लगा, लेकिन सनी ने खुद को संयत करते हुए आद्या को अपने सीने से कसकर चिपका लिया। सनी ने गरजते हुए पूछा, “हमसे क्या चाहते हो?”
तभी सबसे आगे खड़ा एक वृद्ध नाग मानव धीरे-धीरे उनकी ओर बढ़ा। उसकी चाल में गरिमा थी, पर आंखों में कोई गहरा अधैर्य। उसके स्वर में गूंजती गंभीरता थी —“हम लेने नहीं, रक्षा करने आए हैं।”
उसने आद्या की ओर देखा और श्रद्धा से भूमि की ओर झुक गया —“हमारी नाग रक्षिका... नागलोक की सबसे शक्तिशाली रक्षिका की रक्षा हेतु हम उपस्थित हुए हैं।”
सनी ने विस्मय और अविश्वास से आद्या को देखा, फिर चिढ़कर बोला, “क्या बकवास है ये? कोई भी आकर कुछ भी कह दे, और हम मान लें?”
वह कुछ पल रुका, फिर तमतमाकर चिल्लाया — “अगर सचमुच रक्षा करने आए थे, तो अंदर क्यों नहीं आए? क्या तमाशा चल रहा था? बोलो कुछ!”
वृद्ध नाग मानव शांति से खड़ा रहा। सनी के क्रोध की लपटों में भी वह अडिग था। “हम भीतर नहीं आ सकते थे,” उसकी आवाज़ धीमी पर स्पष्ट थी, “वह स्थान माया की छाया से आवृत्त था। हमारे लिए निषिद्ध।”
सनी तिलमिलाया। उसकी आँखों में पीड़ा थी।“बहाना मत बनाओ! मेरी पत्नी मरते-मरते बची, मेरी बेटी को कुछ हो जाता तो? तब भी तुम बस बाहर खड़े रहते?”
इतने में सनी की नजर भीड़ में एक नाग मानव पर पड़ी और वह हड़बड़ा उठा —“त... तुम! तुम वही हो जिसने हम पर हमला किया था!”
वृद्ध नाग ने गंभीरता से उसकी ओर देखा, “यह वनधरा है — नागलोक का प्रहरी। इसकी उपस्थिति रक्षार्थ ही थी।”
उस नाग मानव ने तुरंत हाथ जोड़ लिए, “मैं नाग रक्षिका या उनके अभिभावकों पर आक्रमण कैसे कर सकता हूँ? मेरा कर्तव्य केवल उनकी उपस्थिति से शत्रु की पहचान करना था।”
सनी का स्वर तीखा हो गया —“ओह, तो अब कहोगे कि हमारी कार एक्सरसाइज के लिए हवा में उड़ाई थी? आखिर ये कौन-सी नाग रक्षिका? कौन है ये?”
उसने घबराई हुई निशा की ओर देखा। निशा का चेहरा सफेद पड़ गया था। वह जैसे कुछ कहने को हुई, फिर चुप हो गई। उसकी आंखें अब भी एक ही बिंदु पर टिकी थीं।
सनी ने धीरे से उसके कंधे पर हाथ रखा। “निशा... सब ठीक है न? हमारी बेटी... आद्या... वो नाग रक्षिका नहीं है न? कुछ तो बोलो...”
नाग वृद्ध के होंठों पर एक हल्की मुस्कान तैर गई, मानो सदीयों पुरानी कोई सच्चाई उसके अंतर्मन से झाँक रही हो। उसने सधी हुई आवाज़ में कहा —“निशा को इस बारे में कुछ नहीं मालूम। नागवंश में 'रक्षा' का दायित्व रक्त से जुड़ा होता है। यह उत्तराधिकार नहीं, उत्तरदायित्व है, जो पीढ़ियों से चलता आ रहा है। "
वह थोड़ा रुका, फिर आगे बोला —“वनधरा नागवंश की रक्षा का भार उस शाखा पर होता है, जो रक्षक की भूमिका निभाती आई है। यह दायित्व… निशा के पूर्वजों ने निभाया है। और अब…”
निशा की आँखों में गुस्से और उलझन का ज्वार उमड़ पड़ा। वह अचानक ही तेज़ी से वृद्ध नाग के सामने पहुँच गई, उसकी आँखों में झाँकती हुई बोली — “यह क्या बकवास है। अगर यह सच है तो मैं ... उसकी मां या पिता नाग रक्षा क्यों करते? तुम न...”उसकी आवाज़ में कंपन था — क्रोध का भी, डर का भी।
सनी ने तुरंत आगे बढ़कर निशा को पकड़ लिया, उसके कंधे पर हाथ रखकर धीमे स्वर में कहा — “शांत हो जाओ, निशा… हमें गुस्से से नहीं, समझ से काम लेना होगा।”
फिर वह वृद्ध नाग की ओर मुड़ा। इस बार उसकी आँखों में जिज्ञासा और आदर दोनों थे। वह धीरे से हाथ जोड़कर बोला —
“कृपया… अगर सच में हमारी बेटी के जीवन से कुछ बड़ा जुड़ा है, तो हम जानना चाहते हैं — सबकुछ। शुरू से, बिना कुछ छिपाए। कौन हैं आप लोग? नाग रक्षिका कौन होती है? और हमारी आद्या का इससे क्या संबंध है?”
वृद्ध नाग मानव ने गहरी साँस ली, उसकी आँखों में जैसे युगों की थकान थी। वह बोला —“तो सुनो… अब वह कथा समय के आवरण से बाहर निकल रही है। वह कथा जिसे युगों तक दबाकर रखा गया, और जिसे अब दोबारा जीना पड़ेगा — तुम्हारी पुत्री के साथ…”
"बहुत समय पहले... नागलोक पर संकट आया था।"
वृद्ध नाग की आँखें धुंधलाईं, जैसे वह किसी गहरी स्मृति में उतर रहा हो।
"हमारी रानी विषधरा के समय की बात है। नागलोक समृद्ध था, और हमारी सबसे मूल्यवान धरोहर — नागमणि — लोकों की शक्तियों का केंद्र मानी जाती थी।"
"तभी कुछ मानवों ने छल से हम पर हमला कर दिया। वे असाधारण अस्त्र-शस्त्रों से लैस थे, जो देवताओं तक की रचनाएँ थीं। हम एक-एक कर गिरने लगे। मणि को बचाने के लिए हम अपने प्राण भी दे देते, लेकिन... लगने लगा कि हम पराजित हो जाएँगे।"
"उसी क्षण... एक चमत्कार हुआ।"
"एक मानव… अकेला… शत्रु मानवों के बीच से निकला और हमारी ओर आया। हमने सोचा वह भी वही करेगा — लूटेगा, मारेगा। पर नहीं।"
"उसने कुछ मंत्र पढ़े… कोई पुरानी, भूली-बिसरी विद्या थी वह। और उसकी आवाज़ के साथ ही सारा नागलोक अदृश्य हो गया। शत्रु देख ही नहीं पाए कि हम कहाँ हैं।"
"उसने धीरे से नागमणि उठाई, और उसे आदर के साथ रानी विषधरा के चरणों में रख दिया।"
"मणि, जिसे स्पर्श करना भी किसी सामान्य मानव के लिए असंभव था, उसके हाथों में शांत थी। क्योंकि… वह केवल वही स्पर्श कर सकता था, जिसके मन में उसे पाने की लालसा न हो।"
"रानी ने उसे देखा… उसके तेज को पहचाना… और उसे नागलोक की रक्षिका घोषित कर दिया।"
"उसने विनम्रता से स्वीकार किया — न तो उसे सत्ता चाहिए थी, न शक्ति। लेकिन जब बात रक्षक बनने की आई, तो वह पीछे नहीं हटी। उसमें बल भी था और बुद्धि भी — और सबसे बड़ी बात… था त्याग।"
"तब से… नागलोक की परंपरा बनी — रक्षिका की शक्ति उसकी वंशज पुत्रियों को मिलती रही। वही रक्त रेखा चलती रही…"
"पर..." वृद्ध नाग थोड़ा रुका। उसकी आवाज़ धीमी हो गई।
लेकिन... क्या?" निशा की आवाज़ में घबराहट भी थी और एक अधूरी बात जानने की बेचैनी भी।
नाग वृद्ध ने एक गहरी सांस ली, लेकिन चुप रहा। तभी पीछे खड़ी एक नाग सेविका आगे बढ़ी। उसकी आंखों में निशा के लिए एक अलग ही आदर था। "तुम्हारे पूर्वजों की स्त्रियां वीरांगनाएँ थीं," उसने धीमे लेकिन गर्व से कहा।
"हर पीढ़ी की नाग रक्षिका, अपनी माँ से अधिक शक्तिशाली रही।""लेकिन..." उसकी नजर निशा पर ठहर गई ,"तुम्हारी माँ… वह सबसे शक्तिशाली रक्षिका बनी।"
सन्नाटा छा गया। निशा को यकीन नहीं हो रहा था। उसने एक कड़वी हँसी हँसी — जैसे अपने ही अतीत पर, अपने ही जीवन पर शंका कर रही हो। "मेरा क्या?" उसकी आवाज़ काँप रही थी,"मैं नाग रक्षिका क्यों नहीं? क्यों नहीं मुझे वो शक्ति मिली?"
नाग वृद्ध की आँखें नम हो गईं। उसने काँपती आवाज़ में कहा — "क्योंकि… यह तुम्हारी माँ की अंतिम इच्छा थी।"
"वह चाहती थीं कि तुम्हारी ज़िन्दगी शांत हो… तुम्हें युद्ध नहीं, सुख मिले… शत्रु नहीं, परिवार…"
"बस करो ये बकवास!" निशा चीख पड़ी —"मैं नहीं मानती! तुम सब कहानी बना रहे हो!"
उसने झटपट आद्या को अपनी गोद में लिया, और सनी का हाथ पकड़कर तेजी से कार की ओर बढ़ी।
"मैं या मेरी बेटी… कोई नाग रक्षिका नहीं है। हम सामान्य लोग हैं… बस!" कहते-कहते उसकी आवाज़ टूट गई। वह जोर-जोर से रोने लगी — एक माँ, जो अपनी बच्ची को किसी भी रहस्य, किसी भी खतरे से दूर रखना चाहती थी।
सनी चुपचाप था। उसने एक बार पीछे मुड़कर नाग मानवों की ओर देखा —उनकी नीली आँखें, कांस्य त्वचा, त्रिशूलों की झिलमिलाहट… और उन आँखों में… कोई छल नहीं था, केवल एक बेचैन श्रद्धा थी।
सनी ने बिना कुछ कहे कार स्टार्ट की और गाड़ी आगे बढ़ा दी।
सड़क पर सन्नाटा था, लेकिन गाड़ी के भीतर आँसुओं का तूफान था।
...
1. निशा सच में नाग रक्षिका की शक्ति चाहती है या अपनी बेटी को सुरक्षित रखना ज्यादा जरूरी मानती है?
2. नाग मानव और सेविका अचानक क्यों प्रकट हुए — क्या उनका इरादा सच में रक्षक का है या कुछ और?
3. क्या आद्या सच में नागलोक की अगली रक्षिका है, या यह सिर्फ एक रहस्य ही रहेगा?
आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए "विषैला इश्क ".