Chandrvanshi - 9 in Hindi Thriller by yuvrajsinh Jadav books and stories PDF | चंद्रवंशी - अध्याय 9

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चंद्रवंशी - अध्याय 9



पूरी चंद्रवंशी कहानी पढ़ने के बाद विनय की आँखों में भी आँसू आ गए। गाड़ी में आगे की सीट पर बैठकर गाड़ी चलाते हुए रोम बोला, “हर कहानी का अंत दिल को सुकून देने वाला ही होता है। लगता है कहानी अभी अधूरी होगी।”  
रोम के मुँह से निकले अनमोल मोती जैसे शब्द सुनकर विनय ने अपने एक हाथ से आँसू पोंछकर थोड़ा मुस्कराता चेहरा बनाते हुए कहा, “हाँ, इस कहानी का अंत भी अभी बाकी है।” और पीछे बैठे पंडित शुद्धिनाथन की ओर देखा।  
उसी समय पुलिस स्टेशन आ गया। विनय जीप से नीचे उतरकर जीप का नंबर देखकर बोला, “ये जीप तो पुलिस की ही है। आप इसे कहाँ से लाए?”  
नयन बोला, “एक अच्छे पुलिसवाले ने हमारी मदद की।”  
“अच्छा पुलिसवाला?” नयन की तरफ आकर रोम बोला।  
“हाँ।”  
विनय ने थोड़ी देर सबको बाहर खड़ा रहने को कहा। रोम और विनय आसपास देखते हुए पुलिस स्टेशन में दाखिल हुए तो उन्होंने देखा एक कमरे में श्रुति मैडम और कोयले की खान का इंचार्ज बना पुलिसवाला दोनों कुछ बात कर रहे थे।  
“तेरी जीप कहाँ है?” श्रुति बोली।  
“वो जीप मैंने उन लोगों को दे दी है।” पुलिसवाला बोला।  
“कौन वे?” श्रुति बोली।  
“उनमें से एक sneha केस का गवाह है।” पुलिसवाला बोला।  
श्रुति उसकी बात सुनकर एकदम हैरान हो गई जैसी लग रही थी और फिर बोली, “कौन है वह?” उसके चेहरे पर अलग ही चमक आ गई और फिर अचानक बोली, “हमारा हिस्सा कितना है?”  
“आधा तो मिल ही गया है। अब इस केस को रफा-दफा करके राहुल को बचा लें तो बाकी मिल जाएगा।”  
“और इस सोने की खदान का हिस्सा?”  
“उन्हें सब पता है।” बोलकर वह थोड़ा रहस्यमयी हँसी हँसा।  
बाहर से ही ये सारी बातें सुन रहे रोम और विनय वापस मुड़कर चल पड़े। बाहर आकर एकदम से विनय ने अपनी जीप ली और रोम से वह जीप लाने को कहा। विनय ने अपनी जीप में नयन को बिठाया।  
रोम थोड़ा खुश हुआ और माही के बगल में खड़ी आराध्या को देखकर बोला, “आप आगे बैठिए।”  
माही और बाकी सब देखते ही रह गए। पंडित, माही और सायना के बीच बैठा। वह बोला, “आप दोनों तो कोई ऑफिसर नहीं लगतीं?”  
रोम पीछे मुड़ा और ऊँचे स्वर में बोला, “तो तू भी कोई पंडित नहीं लगता। हमने कुछ कहा?”  
उसकी बात सुनकर आराध्या हँसने लगी। उसे हँसते देख रोम (थोड़ा शर्माते हुए हँसता हुआ) बोला, “ऐसे मेरी बात पर मत हँसिए, पेट में दर्द होने लगेगा।”  
उसकी बात सुनकर पीछे बैठे तीनों हँसने लगे। रोम ने पंडित की ओर देखा और एकदम से बोला, “चुप।”  
“भाई, अब चलो जल्दी।” माही बोली।  

***  

“मालिक, वो लड़की बेहोश हो गई है।”  
एक नौकर राहुल के पास आकर बोला।  
“अभी पापा आते ही होंगे।” राहुल बोला।  
उसी समय जॉर्ज आया। उसके चेहरे का रंग थोड़ा हल्का काला था। जैसे उसने रंग चढ़ाया हो ऐसा लग रहा था। उसके पीछे श्रेया और वह रोमियो भी थे। उन्हें देखकर राहुल बोला, “इन लोगों को किसने जिंदा छोड़ा?”  
थोड़ा ऊँचे स्वर में बोलने की कोशिश करते हुए जॉर्ज ने अपने गले में थोड़ी हवा भरकर खाँसते हुए कहा, “ये लोग अभी हमारे काम के हैं।”  
पीछे खड़े श्रेया और रोमियो थोड़े घबरा गए, पर आज उनका वह घबराया चेहरा थोड़ा बनावटी लग रहा था।  
“पापा कब आएंगे?” राहुल बोला।  
“आदम सर आपकी राह देख रहे हैं। उन्होंने मुझे यहाँ पहरा देने के लिए कहा है। आपको अभी अपने घर जाना चाहिए।” जॉर्ज बोला।  
“क्यों! उन्होंने तो मुझे यहीं मिलने को कहा था।”  
“उन्होंने ही मुझे भेजा है। नहीं तो मुझे कैसे पता चलता कि आप यहाँ होंगे।” जॉर्ज बोला।  
उसकी बात मानकर राहुल अपने लोगों के साथ गाड़ी लेकर निकल गया।  
रहे हुए पहरेदार को चकमा देकर जॉर्ज और रोमियो ने जीद को छुड़ाया। लेकिन जीद बेहोश पड़ी थी। यह देखकर वे तीनों उसे वहाँ के पास के अस्पताल में ले गए।  
चकमा देकर निकले जॉर्ज को इस बात का यकीन था कि चाहे वे कोलकाता के सबसे गहरे कोने में भी छुप जाएँ, आदम उन्हें ढूँढ ही निकालेगा।  

***