our incomplete story in Hindi Fiction Stories by Kanchan Singla books and stories PDF | हमारी अधूरी कहानी

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हमारी अधूरी कहानी

रूहानी बस स्टैंड पर खड़ी हुई थी। वह बस आने का इंतजार कर रही थी कि तभी वहां बारिश शुरू हो गई। कुछ देर तक इंतजार करने के बाद बस भी आ चुकी थी। वह बस में बैठ गई। सारे रास्ते बारिश होती रही जिससे उसके चहरे पर हल्की चिंता की लकीरें दिखने लगी थी। वह बहुत सालों के बाद अपनी नानी के गांव खंडेरिया जा रही थी जो कि मध्य प्रदेश में स्थित है। यह गांव चारों तरफ से जंगलों से घिरा हुआ है।
बस ने उसे वहां इस गांव के एक बस स्टैंड पर छोड़ दिया था। वह बस स्टैंड पर अकेले खड़ी थी। दूर दूर तक कोई टैक्सी या रिक्शा का नामों निशान नहीं दिख रहा था। वह इस गांव के विषय में बहुत अधिक नहीं जानती थी बस अपनी मां की अंतिम इच्छा की खातिर यहां बचपन में आने के बाद अब दूसरी बार आ रही थी। होश संभालने के बाद इसे पहली बार आना भी कह सकते हैं। उसे थोड़ा डर भी लग रहा था। अब बारिश कम होकर सिर्फ हल्की बौछारो का रूप ले चुकी थी। 
रूहानी ने रेन कोट पहना हुआ था जिसकी वजह से वह भीगने से बच गई थी। किसी को नहीं आता देख वह अपना सूटकेस खिसकाते हुए अकेले ही चल पड़ी।
अभी कुछ दूर ही आई थी कि उसे अपने पास से किसी के गुजरने की आहट महसूस हुई। उसने इधर उधर देखा लेकिन कोई नहीं था। वह पूरी तरह से डर गई थी क्योंकि सड़क के दोनों तरफ घना जंगल था जो अंधेरे में भयानक लग रहा था। 
थोड़ा आगे बढ़ी ही थी कि उसने सामने जीभ लपलापाते हुए जंगली भेड़िए को देखा जो उसे लाल आंखों से घूर रहा था। रूहानी के दिल की धड़कन थम गई और हाथ पैर सुन पड़ गए। वह जैसे ही उसकी ओर लपका जाने कहां से उसमें हिम्मत आ गई उसने भेड़िए के ऊपर जोर से अपना बैग दे मारा। भेड़िया दूर जाकर गिरा।
वह मौका देखकर वहां से भाग निकली, हड़बड़ी में वह जंगल की ओर ही मुड़ गई। वह जंगल के भीतर बेतहासा भागे जा रही थी और वो भेड़िया उसके पीछे भाग रहा था। 

वह भागते भागते एक बंगले के निकट आ पहुंची। भेड़िया जैसे ही उसकी ओर लपका वह उस बंगले के भीतर जा गिरी। भेड़िया बाहर ही रुक गया। उसने घुर्रा कर उसकी तरफ देखा और मुड़ कर वापस चला गया। वह बाल बाल बची थी। उसने अपनी तेज होती धड़कनों को अपने सीने पर हाथ रखते हुए शांत किया।

वह उठी उसने देखा कि यह बंगला किसी भूतिया बंगले से कम नहीं दिख रहा था। वह धीरे धीरे कदम बढ़ा कर थोड़ा अंदर आ गई। बाहर जाने की हिम्मत नहीं थी क्योंकि हो सकता था कि वह भेड़िया उसकी प्रतीक्षा में वहां बैठा हो। 
वह जैसे ही बंगले के दरवाजे तक पहुंची, दरवाजा चरमराते हुए खुल गया। उसने डरते हुए अंदर कदम रखा। चमगादड़ों का एक जत्था उसके ऊपर से गुजर गया। वह उनसे इतनी डर गई कि डर कर जमीन पर गिर पड़ी। 
नीचे गिरने से उसकी कोहनी एक मर्तबान से जा टकराई जिसके आगे का हिस्सा नुकीला था। उसे जोर से लगने की वजह से उसके हाथ से खून बहने लगा।

खून की खुशबू हवाओं के झोंको के साथ उस पूरे महल में फैलने लगी जिसकी वजह से बंगले में हलचल होने लगी। उसी बंगले में रखे हुए ताबूत के भीतर सोया हुआ वह शख्स खून की खुशबू से जाग गया था। वह ताबूत से बाहर आ निकला। उस हवेली में फैली खून की खुशबू ने रात के रक्त के प्यासे परिंदों को जगा दिया था।

आगे क्या होने वाला था रूहानी के साथ ? जानने के लिए इंतजार करे अगले भाग का....!!!

अगर कहानी पसंद आई है तो समीक्षा लिखकर जाएं आपका बहुत बहुत धन्यवाद!!