Mrut Aatma ki Pukaar - 6 in Hindi Spiritual Stories by Sai Sesya books and stories PDF | मृत आत्मा की पुकार - 6

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मृत आत्मा की पुकार - 6

Ch 6 : बंटा हुआ रास्ता


  सीढ़ियाँ अब भी नीचे की ओर जा रही थीं, और हर कदम के साथ अंधकार और घना होता जा रहा था। पाँचों दोस्त — मीरा, रवि, यामिनी, राघव और तेजा — धीरे-धीरे नीचे उतरते जा रहे थे, लेकिन अब हवा में कुछ बदल गया था। वह सिर्फ ठंडी नहीं थी, उसमें अब एक कंपकंपाहट थी, जैसे कोई साँस ले रहा हो... उनके बहुत पास।

“यह जगह सांस ले रही है,” यामिनी ने फुसफुसाते हुए कहा।

मीरा चुप थी। उसके हाथ पर अब भी वह नीला चिन्ह चमक रहा था, जैसे वह रास्ते की दिशा तय कर रहा हो।

तेजा आगे बढ़ा, मशाल हाथ में लिए हुए। "हम गहराई में जा रहे हैं... लेकिन अब ऐसा लग रहा है जैसे कोई हमें देख रहा है।"

अचानक सीढ़ियाँ एक चौराहे पर आकर रुक गईं। सामने दो रास्ते थे — दायाँ एक शांत और बेहद ठंडा, और बायाँ गर्म, कांपता हुआ, जैसे वहाँ कोई ऊर्जा उबाल पर हो।

“यह जगह हमें चुनने के लिए कह रही है,” राघव ने कहा। “क्योंकि दोनों रास्ते एक जैसे नहीं हैं।”

मीरा ने अपने चारों साथियों की ओर देखा, फिर आँखें बंद कर लीं। कुछ पल बाद उसने धीरे से कहा, “बाएँ रास्ते पर ‘वो’ है... छठा।”

रवि चौंका। “तुमने कहा था हम उसे नहीं जगाएँगे।”

“और हम नहीं जगाएँगे,” मीरा ने दृढ़ता से कहा। “इसलिए हम दाएँ रास्ते पर चलेंगे। हमें उसके पास नहीं जाना, जब तक हम पूरी तरह तैयार न हों।”

तेजा ने हामी भरी। “अगर अब भी हमारे पास विकल्प है, तो हमें तैयार होकर ही सामना करना चाहिए।”

सभी ने एक-दूसरे की ओर देखा और फिर कदम बढ़ाया — दाएँ रास्ते की ओर।
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🌫️ भुला हुआ रास्ता

जैसे-जैसे वे दाएँ रास्ते में आगे बढ़े, वह और भी संकरा होता गया। दीवारों पर नाखूनों से खरोंचे हुए निशान थे, और हवा में बर्फ सी ठंडक भर गई थी। ऐसा लग रहा था जैसे यह रास्ता न केवल किसी स्थान की ओर, बल्कि समय के पीछे ले जा रहा हो।

रवि ने धीमे से पूछा, “मीरा, क्या तुम्हें कुछ महसूस हो रहा है?”

मीरा ने सिर हिलाया। “हाँ… इस रास्ते पर कुछ छुपा हुआ है, लेकिन यह शांति देने के लिए नहीं है। यह परीक्षा लेने वाला रास्ता है।”

कुछ ही देर में वे एक कमरे के सामने पहुँचे, जिसके द्वार पर अजीब आकृतियाँ बनी थीं। अंदर जाते ही चारों ओर रोशनी झिलमिलाने लगी। कमरे के बीचों-बीच एक दर्पण जैसा कुछ था — लेकिन ये साधारण दर्पण नहीं था।


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🪞 दर्पण जो सच दिखाए

“यह क्या है?” यामिनी ने पूछा।

तेजा आगे बढ़ा और कहा, “मुझे लगता है यह आत्मा-दर्पण है… यह हमारे भीतर का सच दिखाता है।”

जैसे ही उन्होंने उसमें झाँका, हर किसी को अपना प्रतिबिंब दिखा — पर यह सामान्य नहीं था। हर एक ने अपने भीतर की एक छुपी हुई सच्चाई देखी।

रवि ने देखा कि वह मीरा को अकेला छोड़ रहा है… जैसे किसी पिछले जन्म में वह उसे धोखा दे चुका हो।

यामिनी ने खुद को एक अनुष्ठान में भाग लेते देखा — शायद अनजाने में किसी को नुकसान पहुँचाते हुए।

तेजा का चेहरा क्रोधित था, उसकी आँखों में लाल रंग उभर आया था — जैसे कोई उसे शक्ति का लालच दे रहा हो।

और मीरा…

मीरा ने खुद को एक छोटी बच्ची के रूप में देखा — नंगे पाँव, माथे पर वही चिन्ह, और पीछे कोई औरत जो उसे छिपाकर भाग रही थी। वह बच्ची कांप रही थी, और उसकी आँखों में वही डर था… जो निश्ठा की आँखों में था।

मीरा पीछे हट गई। “यह सिर्फ़ हमारा डर नहीं दिखाता, यह हमारे पूर्वजन्म की झलक देता है।”


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🔐 बंद स्मृतियों का खुलना

कमरे के एक कोने में एक पुरानी लकड़ी की अलमारी थी — लेकिन उसमें कोई ताला नहीं था। मीरा ने जब उसे खोला, तो अंदर कुछ पन्ने मिले — बहुत पुराने, खून से सने हुए।

एक पन्ने पर लिखा था:

> “जो एक बार दरवाज़े से गुज़रे, वो कभी लौट नहीं पाते। पर जो सच को पहचान ले, वही द्वार को बंद कर सकता है।”



तेजा ने धीरे से कहा, “यह संकेत है। शायद हम अब भी उस आत्मा को जगने से रोक सकते हैं… अगर हम सही समय पर दरवाज़ा बंद कर दें।”

राघव ने पूछा, “पर वो दरवाज़ा कहाँ है?”

मीरा ने उत्तर दिया, “जहाँ पाँचों चक्र पूर्ण होंगे… जहाँ बलिदान हुआ था।”


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🧩 भूलभुलैया की ओर

कमरे का एक दीवार धीरे-धीरे सरक गई — और उसके पीछे एक संकरी सी गुफा दिखी। वहाँ से आती हवा कुछ अलग थी — वहाँ सिर्फ़ ठंड नहीं थी, वहाँ स्मृतियों की गंध थी।

“यह रास्ता हमें उस ‘मुख्य कक्ष’ की ओर ले जा सकता है,” रवि ने अनुमान लगाया।

मीरा ने गंभीर होकर कहा, “और शायद यह हमें खुद अपने भीतर भी ले जाएगा।”

गुफा में कदम रखते ही एक हल्की सी खींचाव की अनुभूति हुई — जैसे कोई अदृश्य शक्ति उन्हें परख रही हो।

हर कदम के साथ वे अपनी पुरानी परछाइयों के और करीब पहुँचते जा रहे थे।


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🪔 छठे का पहला संकेत

गुफा के अंत में एक छोटी सी वेदी थी — और उस पर एक दीया जल रहा था… बिना तेल के।

मीरा उसके पास गई। अचानक उसका हाथ फिर जलने लगा। चिन्ह और तेज़ हो गया, और उसके कानों में वही आवाज़ गूंजी:

> “तुमने फिर कदम रखा… और अब मैं देख रहा हूँ।”



उसके शरीर में कंपकंपी दौड़ गई। “वो देख रहा है… छठा जाग रहा है। भले ही हम दाएँ रास्ते पर हैं, पर वो अब हमें महसूस कर सकता है।”


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⚠️ लौटने की कोई राह नहीं

राघव ने कहा, “हमें अब जल्दी करनी होगी। हमें पता लगाना होगा कि उसे रोकने का तरीका क्या है, इससे पहले कि वह पूरी तरह जाग जाए।”

तेजा ने एक पथरीले स्तंभ की ओर इशारा किया, “यहाँ कुछ उकेरा गया है — शायद अगला सुराग।”

मीरा ने देखा — वो एक अनुष्ठान का चित्र था, जिसमें पाँच लोगों को एक वृत्त में खड़ा दिखाया गया था। बीच में एक औरत थी, जिसकी छाया बहुत लंबी और अंधेरे से बनी थी।

उसकी आँखें नीली थीं — वही जो कंकाल में थीं।

मीरा ने फुसफुसाते हुए कहा, “ये… वही आत्मा है… छठा। ये उस तांत्रिक की आत्मा है, जिसने खुद को अमर कर लिया था… लेकिन शरीर छोड़ दिया।”


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🔚 अंत की आहट

“हमें वापसी का रास्ता ढूंढना होगा, और बाकी हिस्सों की तैयारी करनी होगी,” रवि ने कहा।

मीरा ने पलटकर आखिरी बार गुफा के दीये को देखा — अब वह खुद-ब-खुद बुझ गया था।

“यह शुरुआत थी,” उसने धीमे से कहा। “अब अगली रात… अगली चेतावनी लेकर आएगी।”

सभी पीछे मुड़े — और धीरे-धीरे अंधेरे से निकलकर सीढ़ियों की ओर लौटने लगे।

लेकिन उन्हें अब ये यकीन हो गया था — कि चाहे वे किसी भी रास्ते पर चलें, वो अब जाग गया था।