Lal Baig - 5 in Hindi Thriller by BleedingTypewriter books and stories PDF | लाल बैग - 5

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लाल बैग - 5



समय: करीब 11:30 बजे रात

रॉमी थकी हुई थी, शरीर से खून बह रहा था। वह अपनी छोटी-छोटी चोटों के साथ लड़खड़ाते हुए एक पुराने पेड़ के तने पर बैठ गई। उसकी होठों से खून रिस रहा था, मगर उसने अपनी आंखें बंद कर लीं और बिना कोई आवाज़ किए गहरी सांसें लेने लगी।

थोड़ी देर बाद जॉय वहां पहुंचा। वो एकदम शांत था। उसने पास आकर रॉमी को देखा, फिर उसके फटे होंठ पर लगी खून की पट्टी को छूने की कोशिश की।

रॉमी ने तुरंत आंखें खोल दीं और उसे ज़ोर से धक्का देकर दूर हटा दिया।

"ये क्या कर रहे हो तुम?" वो घबरा कर बोली।

"माफ करना," जॉय ने कहा, "मैं बस देख रहा था कि तुम्हें क्या हुआ है। क्या किसी ने मारा है?"

"तुमसे मतलब नहीं है," रॉमी गुस्से में बोली। "यहां से चले जाओ।"

"ठीक है, अब कुछ नहीं पूछूंगा। लेकिन तुम्हें इलाज की ज़रूरत है। चलो मेरे साथ," जॉय ने नरम स्वर में कहा।

"नहीं! मैं ठीक हूँ। तुम यहां से जाओ।"

"अगर तुम नहीं चलोगी, तो मैं यहीं बैठा रहूँगा, तुम्हारे पास," जॉय ने ज़िद की।

रॉमी कुछ कहने ही वाली थी कि तभी राज गुस्से में चाकू हाथ में लिए बूढ़े के घर की ओर जाते दिखा। पीछे-पीछे मोहन दौड़ता हुआ आ रहा था।

"राज, रुक जाओ! ये क्या कर रहे हो!" मोहन चिल्लाया।

जॉय गंभीर हो गया। "ये सब क्या हो रहा है? ये लोग हैं कौन?"

रॉमी ने तेज़ी से कहा,
"वो मेरा भाई है। लगता है, वो उस कुत्ते को मारने जा रहा है।"

"क्या? तुम्हें लगता है उसकी हालत उस कुत्ते के काटने की वजह से है?" जॉय चौंका।

"हमें उसे रोकना होगा," रॉमी बोली।

दोनों तुरंत राज और मोहन के पीछे भागे।


---

बूढ़े का घर

राज बूढ़े के घर के सामने खड़ा चिल्ला रहा था,
"ओ बुज़ुर्ग! बाहर निकल! कहां है तेरा कुत्ता?"

बूढ़ा डरते हुए बाहर आया।
"क्या हुआ साहब? आप इतना चिल्ला क्यों रहे हैं?"

"देख, तेरे उस सड़े हुए कुत्ते ने मेरी क्या हालत कर दी है!" राज दहाड़ा।

"आप क्या कह रहे हैं साहब? मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है।" बूढ़ा कांपते हुए बोला।

"जब से उस कुत्ते ने मुझे काटा है, मुझे जानलेवा खुजली हो रही है! आज मैं उसे छोड़ूंगा नहीं!" राज का चेहरा पसीने और पागलपन से भीग गया।

तभी रॉमी और जॉय वहां पहुंचे।

"राज! ये उस कुत्ते से नहीं हुआ है!" जॉय बोला, "उसने मुझे भी कई बार काटा है। देखो, मैं ठीक हूँ।"

"हां साहब," बूढ़ा बोला, "ये सच कह रहा है।"

मगर राज अब किसी की बात नहीं सुन रहा था। उसकी आंखों में लाल पानी तैर रहा था।

"अब बहुत हो गया!" मोहन चिल्लाया, "हम कल डॉक्टर के पास चलेंगे। तुम ठीक हो जाओगे।"

राज ने बूढ़े की ओर चाकू बढ़ाया,
"बता, तेरा कुत्ता कहां है? वरना तुझे ही मार दूंगा!"

बूढ़ा डरते हुए पीछे हट गया,
"मुझे नहीं पता… वो कहीं चला गया है।"

रॉमी चीख पड़ी,
"राज! रुक जाओ! और कितना नीचे गिरोगे?"

राज गुस्से से उसकी ओर घूरते हुए बोला,
"पहले उस कुत्ते को मारूंगा… फिर तेरी बारी है!"

जॉय अब और सहन नहीं कर पाया। वो राज को रोकने आगे बढ़ा, तभी जंगल में से कुत्ते की भौंकने की आवाज़ आई।

राज सबको धक्का देकर उस आवाज़ की दिशा में भागा, चाकू हाथ में था।
बाकी सब भी उसे रोकने के लिए उसके पीछे दौड़े।

स्थान: घना जंगल, दोपहर के करीब 12 बजे। आसमान में बादल छाए हुए हैं, दूर कहीं बिजली चमकती है। चारों तरफ सन्नाटा है, सिर्फ पत्तों की सरसराहट और एक घायल कुत्ते की भूखी, गुस्सैल भौंक सुनाई दे रही है।

राज के पाँव तेज़ी से ज़मीन रौंद रहे हैं। उसकी आँखें अब इंसानी नहीं रहीं — उनमें पागलपन है, जहर है, और एक असहनीय खुजली की छटपटाहट है। उसके हाथ में चाकू है, जो जंगल के अंधेरे में चमक रहा है।

"आज नहीं बचेगा वो... आज इसे खत्म करके ही चैन लूंगा," राज खुद से बड़बड़ा रहा है।

आखिरकार वो उस जगह पहुँचता है जहाँ वो सड़ा-गला कुत्ता एक पुराने, सूखे पेड़ से रस्सी में बंधा हुआ भौंक रहा है। उसके शरीर पर पुराने जख्म हैं, आँखें लाल हैं, और सांसें तेज़ चल रही हैं।

राज को देखते ही कुत्ते की भौंक और तेज़ हो जाती है। पर इस बार डर उसमें नहीं, सिर्फ आक्र्रोश है।

राज की साँसें भारी हैं। वो चाकू को कस कर पकड़े हुए धीरे-धीरे उसकी ओर बढ़ता है।

तभी...

पीछे से जॉय आता है और राज को ज़ोर से पकड़कर पीछे खींचता है। राज झल्लाकर पलटता है।

"हट जा रास्ते से! ये कुत्ता ज़िंदा नहीं बचेगा!"

"राज, ये सब तेरी गलतफहमी है! ये कुत्ता नहीं, कुछ और है जो..."

पर राज सुनने की हालत में नहीं।

वो जॉय को धक्का देता है। जॉय फिर से उसे पकड़ता है। दोनों के बीच धक्का-मुक्की शुरू हो जाती है। कुत्ते की भौंक अब और उग्र हो चुकी है।

राज अचानक चाकू निकाल कर जॉय के दाएँ हाथ में घुसेड़ देता है। जॉय चीख पड़ता है — "आह!"

उसके हाथ से खून बहने लगता है। वो ज़मीन पर गिर जाता है।

पीछे से आती है रोमि। उसकी आँखों में आँसू हैं पर हिम्मत भी। वो लड़खड़ाते हुए पेड़ के पास पहुँचती है और जल्दी से कुत्ते की रस्सी खोल देती है।

"भाग जा... जा यहां से," वो फुसफुसाती है।

पर जैसे ही रस्सी खुलती है, कुत्ता भागने के बजाय सीधा राज पर झपट पड़ता है। राज के चेहरे पर हवस और पागलपन झलक रहा है। वो डरता नहीं, बल्कि कुत्ते से भिड़ जाता है।

कुत्ता उसके ऊपर कूद जाता है और उसकी बाँह में दांत गड़ा देता है। राज चिल्लाता है —

"चिल्ला मत! काट मुझे! आज या तो तू मरेगा या मैं!"

तभी मोहन दौड़ता हुआ आता है।

"राज! हट जा वहाँ से!"

मोहन कुत्ते को खींचने की कोशिश करता है। लेकिन कुत्ता अचानक पलटता है और मोहन की टांग में गहरा काट लेता है। मोहन दर्द से चीख उठता है — "आह्ह! ये काट रहा है मुझे...!"

राज जैसे ही देखता है कि मोहन को काटा गया है, उसकी आँखों में शैतान जाग जाता है। वो पीछे से चाकू निकालता है और कुत्ते के पीठ पर ताबड़तोड़ वार कर देता है।

कुत्ता दर्द से कराहता है, एक भयानक चीख निकालता है — और वहीं ज़मीन पर गिर जाता है, हाँफता हुआ।

चारों तरफ सन्नाटा फैल जाता है। केवल खून की गंध और घुटी हुई साँसें बाक़ी रह जाती हैं।

जॉय ज़मीन पर पड़ा है, उसका हाथ लहूलुहान है। रोमि उसके पास जाकर घुटनों के बल बैठती है।

"जॉय... तुम ठीक हो?"

"मैं ठीक हूँ... पर राज नहीं है..." वो बड़बड़ाता है।

मोहन दर्द में कराहता हुआ एक पेड़ के सहारे बैठ जाता है, उसकी टांग से खून बह रहा है।

राज अब भी वहीं खड़ा है — उसके पूरे चेहरे पर खून लगा हुआ है, शरीर पर नाखूनों के घाव हैं, और चाकू उसके हाथ में टाइट पकड़ा हुआ है। वो धीरे-धीरे मुस्कुराने लगता है।

"देख लिया? अब नहीं बचा वो... अब मुझे आराम मिलेगा..."

पर अगले ही पल राज लड़खड़ाता है और घुटनों के बल गिर जाता है। उसका शरीर कांप रहा है। उसकी आँखों से खून की बूंदें बह रही हैं।

रॉमी, जॉय और मोहन — तीनों उसे खामोशी से देख रहे हैं। डर, नफ़रत, और रहस्य — सब एक साथ उनके चेहरों पर उभर रहा है।

बूढ़ा आदमी कुछ दूरी से यह सब देख रहा होता है, उसकी आँखें खाली हैं — जैसे उसने ये सब पहले भी देखा हो...


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[अगला भाग — राज की हालत बदतर होती है, और सच्चाई धीरे-धीरे सामने आने लगती है...]