Lal Baig - 6 in Hindi Thriller by BleedingTypewriter books and stories PDF | लाल बैग - 6

Featured Books
Categories
Share

लाल बैग - 6

स्थान: पुराने जंगल का मकान, दिन के लगभग 1 बजे। आसमान में अब भी बादल छाए हुए हैं। हवा में नमी और तनाव दोनों महसूस होते हैं।

राज, जिसने अभी-अभी उस बूढ़े आदमी के कुत्ते को मार डाला है, अब पूरी तरह से नियंत्रण खो चुका है। उसकी आंखों में पागलपन नाच रहा है, और शरीर पर खून की लकीरें हैं। वो हँस रहा है — एक डरावनी, पागलपन भरी हँसी।

राज खुद को चाकू से खरोंचता है। खून टपक रहा है, पर उसे कोई परवाह नहीं।

राज (पागल हँसी के साथ): "अब आराम मिलेगा... हाहाहा... देखो! देखो! सब खत्म कर दिया!"

जॉय (जमीन से उठते हुए, अपने हाथ के घाव को दबाते हुए): "ये आदमी अब हमारे काबू में नहीं है।"

रॉमी जल्दी से पास पड़ी वही रस्सी उठाती है जिससे पहले कुत्ता बंधा था। रूह काँपती है, लेकिन वो राज के पास जाती है।

मोहन: "राज, भाई... अब बस कर। तुझे आराम चाहिए, चल घर चल।"

राज हँसते हुए खुद को और खरोंचने लगता है।

राज (चीखते हुए): "मुझे छोड़ दो! मुझे मरना है! ये शरीर अब मेरा नहीं!"

जॉय: "उसे बांधो, अभी और देर नहीं हो सकती।"

मोहन और जॉय मिलकर राज को कस कर पकड़ते हैं और रॉमी रस्सी से उसे एक कुर्सी से बांध देती है। राज लगातार झटपटा रहा है, चीख रहा है।

पुराना आदमी कुत्ते की लाश के पास बैठा है, उसकी आंखों में आँसू हैं।

बूढ़ा (धीमे स्वर में): "उसने मेरे बच्चे को मार दिया... तुझसे बदतर इंसान मैंने नहीं देखा... तुझे शांति कभी नहीं मिलेगी।"


---

कुछ समय बाद, घर के अंदर।

राज को कुर्सी से बांधा जा चुका है। उसकी आँखे लाल हैं, और शरीर पर नाखूनों के कटे-फटे निशान हैं।

रोज़ (हैरानी से): "राज को क्या हो गया है? ये हालत कैसे हो गई?"

रॉमी: "वो अब काबू में नहीं है... शायद ये सब उसी कुत्ते के काटने के बाद से शुरू हुआ।"

रोज़ (अपना हाथ खुजाते हुए): "मुझे भी बहुत खुजली हो रही है... शायद राज की खुजली मुझमें भी फैल गई है... मैं भी पागल हो रही हूँ..." (रोज़ रोने लगती है)

सोनल (रोज़ को पकड़ते हुए): "नहीं रोज़, तुझे कुछ नहीं होगा। हम तुझे डॉक्टर के पास ले चलेंगे।"

मोहन: "पर सवाल ये है — जाएं कैसे? जंगल के बीच में हैं हम।"

सोनल: "हमें उस ड्राइवर से बात करनी चाहिए जिसने हमें यहां लाया था। ये सब उसी के कहने पर शुरू हुआ था। और वो अब खुला घूम रहा है, जबकि हम छुपे हुए हैं।"

मोहन: "ठीक है, मैं उससे बात करता हूँ..."

रोज़ (चौंककर): "पर हमारे पास तो कोई फोन नहीं है। वो सारे फोन ड्राइवर ले गया था।"

सोनल: "हमें बूढ़े आदमी से मदद माँगनी चाहिए।"

मोहन: "नहीं, वो बहुत गुस्से में है। उसका कुत्ता मारा गया है। वो हमारी मदद नहीं करेगा।"

रॉमी (धीमे स्वर में): "जॉय हमारी मदद कर सकता है।"

रोज़ (हैरानी से): "ये जॉय कौन है?"

रॉमी: "वो उसी बूढ़े आदमी का भतीजा है।"

सोनल: "जब उसका चाचा ही हमसे नफ़रत करता है, तो वो क्यों करेगा हमारी मदद?"

मोहन: "हमें एक बार कोशिश करनी होगी... कम से कम राज और रोज़ की जान के लिए।"

मोहन (रॉमी से): "रॉमी, वो तुम्हारी बात शायद माने। प्लीज़, तुम बात करो। ये तुम्हारे भाई की ज़िंदगी का सवाल है।"

रॉमी शांत खड़ी रहती है। उसकी आंखें राज की हालत पर अटकी हैं। वो कुछ नहीं बोलती, लेकिन चेहरे पर दृढ़ता आ चुकी है।


---

[अगला भाग — जॉय और रॉमी की योजना, डॉक्टर तक पहुँचने का प्रयास, और बीमारी की असली वजह के सुराग]





स्थान: एकांत जंगल का घर
समय: रात – 9:00 बजे
चारों ओर घना अंधकार छा चुका है। ऐसा लग रहा है मानो यह घर अब किसी अभिशाप से घिर गया हो। हवा में डर और अनिश्चितता घुल गई है। जो संक्रमण राज से शुरू हुआ था, अब वह जंगल की आग की तरह फैलने लगा है। अब हर किसी को इसका असर महसूस होने लगा है।


---

[अंदर – लिविंग रूम – रात]

रोमी अकेली बैठी है। बुदबुदा रही है। उसकी आँखों में असमंजस और बेबसी साफ़ झलक रही है।

रोमी (अपने आप से):
"क्या मुझे जॉय से मदद मांगनी चाहिए राज को बचाने के लिए...? या फिर... उसे ऐसे ही मर जाने दूँ?"
उसकी आवाज़ कांप रही है।


---

[अंदर – बाथरूम – उसी समय]

मोहन नहा रहा है। तभी उसे कुछ अजीब महसूस होता है।

मोहन (घबराकर):
"मुझे... खुजली क्यों हो रही है?"
वो हाथ रगड़ना बंद कर देता है। उसकी आँखें भय से फैल जाती हैं जब वह अपने हाथ पर लाल चकत्ते देखता है।


---

[अंदर – कमरा – उसी समय]

रोज़ चुपचाप राज के सामने बैठी है। राज बंधा हुआ है, पसीने से तर, बुरी हालत में। उसका शरीर खुद की नाखूनों से छलनी हो चुका है।

राज (गिड़गिड़ाकर):
"रोज़... मैं अब और नहीं सह सकता... कृपया... मुझे मार दो।"

रोज़ की आँखों से आँसू बह रहे हैं। वह खुद भी उसी संक्रमण से लड़ रही है – खुजली को रोकने की नाकाम कोशिश में।

रोज़ (धीरे से):
"मैं भी खुद को खोती जा रही हूँ... राज..."


---

[अंदर – घर के अन्य हिस्से – कुछ ही देर बाद]

डर इस घर में अब बीमारी की तरह फैल चुका है। हर कोई तनाव में है।


---

[बाहर – जंगल का घर – रात]

रोमी मोहन के पास आती है।

रोमी:
"मोहन, हमें जॉय के घर जाना होगा। शायद वही हमारी मदद कर सकता है। हमारे पास और कोई रास्ता नहीं बचा।"

मोहन:
"चलो, ये हमें राज के लिए करना ही होगा।"


---

[बाहर – जॉय का घर – रात]

वे जॉय के छोटे से झोपड़ीनुमा घर पहुँचते हैं। दरवाजे पर एक टूटी हुई घंटी लटक रही है।

रोमी उसे दबाती है – कोई आवाज़ नहीं होती। मोहन ज़ोर से दरवाज़ा खटखटाता है।

जॉय दरवाज़ा खोलता है – उसकी आँखें नींद से भरी हैं, हाथ पर पट्टी बंधी है।

जॉय (चिढ़कर):
"अब क्या है!?"

रोमी (गिड़गिड़ाकर):
"राज बहुत बीमार है... कृपया जॉय... हमें तुम्हारी मदद चाहिए..."

जॉय:
"मैं पहले ही कह चुका हूँ – उसे उसका अंजाम मिल रहा है।"

मोहन:
"नहीं जॉय, वो अब खुद के काबू में नहीं है। हमें किसी डॉक्टर की ज़रूरत है। हमारे पास फ़ोन भी नहीं है। सिर्फ़ तुम ही मदद कर सकते हो।"

जॉय थोड़ी देर सोचता है, फिर अंदर जाकर एक पुराना रोटरी फ़ोन मोहन को देता है।

मोहन ड्राइवर को कॉल करता है।

ड्राइवर (फोन पर):
"घर से बाहर मत निकलना! अब पुलिस को तुम सबकी तस्वीरें मिल चुकी हैं। टीवी पर तुम्हारी पहचान प्रसारित हो रही है।"

मोहन:
"हमें फर्क नहीं पड़ता। राज को कुत्ते ने काटा है – और वो अब फैल रहा है। रोज़ और अब मैं भी उसी में फँस चुके हैं। हमें असली डॉक्टर चाहिए – जल्दी।"

ड्राइवर:
"ठीक है... मैं कुछ करता हूँ।"

कॉल कट जाता है। मोहन के चेहरे पर डर साफ़ दिखता है।


---

[बाहर – जंगल का रास्ता – थोड़ी देर बाद]

जॉय और रोमी पास के एक आदिवासी गाँव की ओर वैद्य (Vedh) को लाने निकलते हैं। रास्ता घना है, अंधकार में डूबा हुआ। सिर्फ़ एक छोटी सी टॉर्च उनके हाथ में है।


---

[जंगल का किनारा – कुछ देर बाद]

अचानक रोमी ठिठक जाती है।

रोमी:
"जॉय, वो... क्या वो तुम्हारे चाचा हैं? वो इस वक्त यहाँ क्या कर रहे हैं?"

जॉय (हैरान):
"शायद वो कुत्ते को जहाँ दफनाया था, वहाँ कुछ देखने आए हों... तब से परेशान हैं।"

रोमी:
"चलो, उनसे बात करते हैं।"

वे उनके पीछे चल पड़ते हैं, लेकिन जॉय के चाचा घने जंगल में कहीं गायब हो जाते हैं।


---

[जंगल के भीतर – रात]

जॉय और रोमी अब और गहराई में जा चुके हैं। तभी टॉर्च की रोशनी कुछ पकड़ती है।

जॉय (धीरे से):
"रुको... वो क्या है?"

वो देखते हैं – खून के धब्बे... इंसानी पैरों के निशान, जो खून से सने हुए हैं... और अंधेरे में कहीं गुम होते जा रहे हैं।

रोमी (काँपते हुए):
"जॉय... ये खून किसका है?"

जॉय सामने घूरता रह जाता है। हवा सिहर रही है। एक जानवर की दूर से आती चीख़ सन्नाटे को चीर देती है।


---

जारी रहेगा...