Lal Baig - 2 in Hindi Thriller by BleedingTypewriter books and stories PDF | लाल बैग - 2

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लाल बैग - 2

Chapter 2: रहस्य की पहली दस्तक

घर की छत पर चांदनी उतर चुकी थी, लेकिन हवाओं में एक अजीब सिहरन थी। सब लोग थक चुके थे। एक लंबी भागदौड़ और डर के बाद अब वे सब राज के कमरे में बैठे थे। सिर्फ रोमि को छोड़कर।

कमरे के बीचों-बीच रखा लाल बैग, अब भी उतना ही चमकदार दिख रहा था, लेकिन उसका वज़न सिर्फ पैसों का नहीं था — उसमें अब कोई अनदेखा मौत भी बंद थी।

राज दीवार से टिककर बैठा था, उसकी आंखें लाल थीं और वो बार-बार अपने हाथ-पैर खुजा रहा था।

"राज, तुम ठीक हो?" रोज़ ने झुककर पूछा।
"तुम नहा क्यों नहीं लेते? शायद आराम मिल जाए..."

राज ने कुछ जवाब नहीं दिया। उसकी उंगलियाँ बेतहाशा अपनी ही चमड़ी को नोच रही थीं।

"पहले ये बताओ," सोनम बोली, "इन पैसों का अब क्या करना है? ये किसके पास रहेंगे?"

"मैं रख लूं?" मोहन बोला, "मैं बहुत अच्छे से ध्यान रखूंगा इनका। वैसे भी सब थक गए हैं, किसी में अब जान नहीं बची।"

राज अपनी खुजली से तंग आकर बड़बड़ाया, "इस बारे में हम कल बात करेंगे… फिलहाल सब चुप रहो।"

"और वो झुरी पुराने गहने?" सोनम फिर बोली।

"राज तो कह रहा था कि वो बूढ़ा आदमी कभी भी वापस आ सकता है।" रोज़ बोली, "बाक़ी सब कल देखेंगे।"

"ठीक है," सोनम ने हार मानते हुए कहा, "पर हम यहां कब तक रहेंगे?"

"जो जाना है, वो चली जाए," मोहन ने चिढ़कर कहा, "सबको पता है जब तक पुलिस शांत नहीं हो जाती, हम यहीं रहेंगे। तुम इतनी सीधी क्यों बन रही हो, तुम्हें कुछ पता नहीं क्या?"

इतना कहकर सब कमरे से बाहर निकलने लगे। सिर्फ रोज़ ही राज के साथ रह गई।
जब सब बाहर निकले, तो देखा — रोमि कमरे के दरवाज़े के पास खड़ी थी।

"क्या तुम मेरा इंतज़ार कर रही थी?" मोहन ने मुस्कराकर पूछा।

"रोमि, क्या कर रही थी? हमारी बातें सुन रही थी क्या?" सोनम ने शक से देखा।

रोमि ने एक घमंड भरी मुस्कान के साथ उनकी तरफ देखा, और बिना कुछ बोले वहां से निकल गई।

"ये खुद को समझती क्या है?" सोनम ने बुदबुदाया।


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🌫 अगला दृश्य

तेज़ ठंडी हवाएं चल रही थीं। जंगल के चारों ओर सन्नाटा छाया हुआ था, जैसे हर पेड़ कुछ छिपा रहा हो।

रोमि अकेली खड़ी थी, तभी उसकी नज़र सामने गई — वो बूढ़ा आदमी किसी अनजान शख्स के साथ जंगल के अंदर जा रहा था।

उसने देखने की कोशिश की, लेकिन दोनों जल्द ही अंधेरे में गायब हो गए।

रोमि पीछे मुड़ी, तो देखा कि एक बदसूरत, डरावना कुत्ता एक पुराने खपरैल वाले मकान के बाहर बंधा हुआ था।

"ओह, तो तुम यहां रहते हो?" रोमि हँसी, "तुम तो बहुत बढ़िया निकले यार... जैसे राज को काटा था, मैं तो तुम्हारी फैन हो गई!"

कुत्ता जोर से भौंका।

"अरे मैं तुम्हारी दोस्त हूं, तुम मेरा एक काम करो, मैं तुम्हें अच्छा इनाम दूंगी।"
कुत्ता चेन तोड़ने की कोशिश में ज़ोर से झपट रहा था।

"सुनो, इस बार राज को ऐसे जगह काटना... जहां वो बैठ भी न पाए!"

रोमि पागलों की तरह हँसी, "ही ही ही... मेरा सपना सच हो जाएगा!"

कुत्ता अब और भी तेज़ भौंक रहा था, रोमि उससे बातें करने में खोई हुई थी।

तभी...

पीछे से एक साया उसके काफ़ी क़रीब आ गया।

रोमि को लगा जैसे कोई उसे देख रहा हो। उसके रोंगटे खड़े हो गए। वो झट से खड़ी हुई।

तभी पीछे से किसी ने उसके कंधे पर हाथ रखा —
रोमि घबराई, उसने पैर मार कर उस शख्स को गिरा दिया।

वो उसके ऊपर झुकी और गुस्से से चिल्लाई —
"कौन हो तुम?"


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📚 To be continued...


💼 लाल बैग सिर्फ चोरी की कहानी नहीं, बल्कि एक रहस्य से भरी शुरुआत है।
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