📖
रात का समय था। चारों ओर खामोशी पसरी हुई थी। पुराने मकान की दीवारों पर धीमी रफ्तार से चलती हवा टकरा रही थी। कमरे के अंदर बाथरूम से पानी की आवाज़ आ रही थी।
राज नहा रहा था।
बाहर कुर्सी पर बैठी रोज़ ने आवाज़ दी,
“राज! नहा लिए? जल्दी करो, साथ में खाना खाएँगे।”
राज ने भीतर से जवाब दिया,
“अभी थोड़ा टाइम लगेगा… तुम खा लो।”
रोज़ ने मुस्कुरा कर कहा,
“ठीक है, लेकिन अच्छे से नहाना… हम साथ में ही खाएँगे।”
राज की आवाज़ अब नहीं आई।
रोज़ धीरे-धीरे बिस्तर के पास रखे लाल बैग के करीब पहुँची। उसने बैग की चेन खोली और अंदर झाँककर एक सुनहरी चैन निकाली। उसे पहन कर शीशे के सामने खड़ी हो गई।
वो खुद को देखकर मुस्कराई।
“तू कितनी सुंदर लगती है रोज़… सोने जैसी,” उसने खुद से कहा।
फिर उसकी नजर बैग में रखे नोटों की गड्डियों पर पड़ी। उसने एक गड्डी निकाली, प्यार से उसे चूमा और अपनी आँखें बंद कर लीं — जैसे कोई सपना सच हो रहा हो।
तभी...
बाथरूम का दरवाज़ा अचानक खुला और राज बाहर निकल आया। उसके चेहरे पर क्रोध था, और शरीर पर खुजली के निशान।
“ये क्या कर रही है तू?” उसने गुस्से से पूछा।
रोज़ चौंकी और गड़बड़ा गई,
“कुछ नहीं… बस यूं ही देख रही थी।”
“देख लिया अब? अब सब जल्दी से वापस बैग में रख और सो जा!”
राज की आवाज़ तेज़ थी और आंखें लाल।
रोज़ डर गई, लेकिन फिर भी बोली,
“पर... खाना?”
राज झल्लाते हुए बोला,
“अब भी तेरा पेट नहीं भरा? क्या कर दिया तूने ऐसा जो तुझे भूख लग रही है?”
“राज… तुम्हें क्या हो गया है? इतना गुस्सा?” रोज़ ने आहत होकर पूछा।
“मुझे कुछ नहीं सुनना,” राज बत्ती बंद करते हुए बोला, “मुझे नींद आ रही है।”
“ठीक है, तुम सो जाओ,” रोज़ ने बैग बंद किया और कमरे से बाहर चली गई।
कमरे में अँधेरा फैल गया। टेबल पर रखा खाना वहीं ठंडा होता रहा।
---
दूसरा दृश्य
रात और गहरी हो चुकी थी।
रॉमी एक अजनबी आदमी के ऊपर बैठी थी और उसकी गर्दन पर हाथ रखा था।
“तुम कौन हो? और क्या करने की कोशिश कर रहे थे?” रॉमी की आवाज़ सख्त थी।
वो आदमी हँस पड़ा,
“अरे अरे… जान लेगी क्या मेरी? मैं कुछ नहीं कर रहा, बस…”
“बकवास मत करो। सच-सच बताओ, तुम कौन हो?”
“ओफ्फो… मेरा नाम जॉय है। मैं उस बूढ़े अंकल का भतीजा हूँ जो इस घर की देखरेख करते हैं। मैं तो सिर्फ… आवाज़ सुनकर आया था। सच में!”
“सच बोल रहे हो?” रॉमी ने आँखें तरेरीं।
“अब क्या लिखकर दूँ?” जॉय ने मासूमियत से कहा।
रॉमी ने उसे धीरे से छोड़ दिया।
“लेकिन तुम चुपचाप मेरे पीछे क्यों आ रहे थे?” उसने शक भरी निगाह से पूछा।
“वो… वो दरअसल, जिस तरह से तुम उस कुत्ते से बात कर रही थीं, वो बहुत प्यारा लगा। मैं बस… मज़ाक करना चाहता था, डराना चाहता था।”
रॉमी ने उसे घूरते हुए कहा,
“तुम पागल हो क्या?”
“अरे मुझे क्या पता था कि तुम इतनी ताक़तवर हो। देखने में तो तुम बस एक क्यूट-सी लड़की लगीं…”
“बस करो… मुझे जाना है,” रॉमी खड़ी हो गई।
“लगता है तुम नाराज़ हो गई,” जॉय मुस्कुराया, “यहाँ कोई आता नहीं, मैं बोर हो जाता हूँ। तुम मेरी उम्र की हो… दोस्त बन सकते हैं।”
“मैं पागलों से दोस्ती नहीं करती,” रॉमी ने तीर सा जवाब दिया, “और तुम मेरी उम्र के लगते नहीं हो। 25 साल के आसपास लगते हो।”
“नहीं… मैं बस 22 का हूँ! और वैसे भी उम्र से क्या फर्क पड़ता है…”
रॉमी उसकी बात को अनसुना करते हुए बाहर निकल गई।
पीछे से जॉय मुस्कराते हुए बोला,
“बाय… प्यारी लड़की।”
📖 अगर आपको यह अध्याय रोमांचक, रहस्यमय और दिलचस्प लगा हो तो...
🌟 Rating देना न भूलें!
💬 अपनी राय कमेंट में ज़रूर लिखें — मुझे जानना अच्छा लगेगा कि आपको रोज़ और रॉमी का बदला हुआ मिज़ाज कैसा लगा।
👣 Follow करें, ताकि अगला अध्याय मिस न हो जाए।
📚 और हाँ, आगे का हिस्सा और भी चौंकाने वाला है — तो पढ़ना जारी रखें।
Chapter 4 जल्द ही आ रहा है... कुछ ऐसा जिसे पढ़कर आपकी रूह काँप जाएगी।