🌷🌷🌷हुक्म और हसरत 🌷🌷🌷
अध्याय 3
#Arsia (सिया+अर्जुन)
सिया बालकनी में बैठी अख़बार पढ़ रही थी, जब अर्जुन सामने आया।
“आज आपको फंक्शन में जाना है। मेरी टीम आपकी पूरी सुरक्षा की योजना बना चुकी है।”
“मैं कोई बम नहीं हूँ, जिसे डिफ्यूज़ करना पड़े,”
सिया ने आंखें तरेरते हुए कहा।
“आप भावी रानी हैं। और ताज गिरने पर साज़िशें खड़ी होती हैं।”
अर्जुन की आवाज़ सधी हुई थी।
काव्या दोनों के बीच आई,
“आप दोनों को देखकर ऐसा लगता है जैसे महल की दीवारें बोलने लगी हों — ‘बस करिए, मोहब्बत हो जाएगी।’”
सिया और अर्जुन दोनों ने एक साथ घूरा।
कव्या मुस्कुराई — “ओह! यही तो Chemistry है।”
अर्जुन उसकी बात को अन सुना कर के चला गया।
सिया ने उसे घूरा, “, दोस्त की तरह बोलो।”
“तो दोस्त की तरह कहूँ?”
काव्या ने सिर झुकाया, “कभी-कभी आप दोनों के बीच इतना टेंशन होता है, कि लगता है बिजली गिरने वाली है — और फिर भी कोई छाता नहीं लाता।”
सिया ने ना समझी में काव्या को घूरा।
"ये क्या?..बिजली ,छाता लगा रखा है, जाओ और जा कर अपना काम करो!"सिया ने सख्ती दिखाई। तो काव्या जी मैम कह कर चली गई।
*****
दोपहर को :
"दीदी, जल्दी कीजिए! मीडिया वाले आ चुके हैं!"
रोशनी दरवाज़ा पीटती हुई चिल्लाई।
सिया ने आईने में खुद को देखा। नीले और गोल्डन ज़रीदार लहंगे में वो राजकुमारी लग रही थी।
"कमाल है..." उसने होंठ पर लिपस्टिक लगाते हुए खुद से कहा,
"ताज सिर पर रखा नहीं, और लोग सलाम करना शुरू कर चुके हैं।"
सिया ने एक बार फिर अपने आप को शीशे में देखा और दरवाज़ा खोल दिया।
रोशनी भी लहंगे में सजी थी, दोनो चल दिए।
****
महल के सबसे पुराने हिस्से में आज ‘जयगढ़ सांस्कृतिक महोत्सव’ आयोजित था।
राजा वीर सिंह और रानी मीरा मुख्य मंच पर बैठ चुके थे,राजमाता के साथ। सिया को पहली बार सार्वजनिक रूप से आमंत्रित किया गया था — भावी उत्तराधिकारी के रूप में।
"आज आप पहली बार जनता के सामने आएंगी, बेटी,"
राजा वीर सिंह ने धीमे स्वर में कहा।
"डर नहीं लग रहा?"
"बिलकुल नहीं," सिया मुस्कराई, "डर तो तब लगेगा जब मैं ताज पहन लूं — और बोलने की आज़ादी छीन ली जाए।"
सिया ने एक कड़वी मुस्कान दी।राजा साहब बस मौन रह गए।
***
भीड़ में सबकी निगाहें मंच की ओर थीं, पर अर्जुन की निगाह सिर्फ़ सिया पर।
ब्लैक फॉर्मल थ्री पीस सूट, वॉच और ईयरपीस लगाए, वो किसी बॉडीगार्ड जैसा नहीं, एक शासक जैसा लग रहा था।
"कमांड सेक्टर क्लियर है," उसने अपने ईयरपीस में कहा।
"आप थोड़ा रिलैक्स कर सकते हैं," काव्या ने पास आकर फुसफुसाया।
"जब तक वो महफूज़ नहीं, मैं नहीं हूं।"अर्जुन ने भावहीन चेहरे के साथ कहा और सिया के पास जा पहुंचा।काव्या ने अर्जुन की पीठ देखी फिर सिया की तरफ देखा,"कुछ तो खास है आप दोनो के बीच"!
सिया हल्के नीले रंग के राजसी गाउन में जैसे आसमान की तरह चमक रही थी।उसकी खूबसूरती के चर्चे ऐसे ही नही थे।
"मोह!🌷" अर्जुन ने मन ही मन कहा,जब उसने सिया के आस पास से आती गुलमोहर की खुशबू महसूस की।
सिया ने सामने देखा अर्जुन को ,जो हमेशा की तरह सादा ब्लैक सूट में।वही भावहीन चेहरे के साथ उसकी तरफ बड़ रहा था।😑
निगाहें स्थिर थी और चेहरा सख्त, पर अंदर इसका उल्टा हो रहा था।उसकी नजर सिया पर टिकी हुई थी।
“आप मुझे हर बार यूँ घूरते क्यों हैं?”😳
सिया ने धीमे से पूछा।
“घूरना और देखना, दो अलग बातें हैं।”😑
“तो आप मुझे ‘देखते’ हैं?”🤓
"नहीं"😑
"तो..फिर!"
“मैं खतरे की पहचान करता हूँ।”😑
"ऐसे,मुझे घूर..मतलब देखकर?"सिया ने आंखे छोटी कर उसे देखा।
अर्जुन,"..."😑
अर्जुन को कुछ न बोलते देख सिया चुप हो गई।
उसका मुंह बन गया।
"मुंह मे घुन लग गया है क्या!"अर्जुन ने सुना पर कुछ प्रतिक्रिया नहीं 😑 दी।
***
मंच पर सिया का भाषण चल रहा था।
उसके शब्दों में आत्मविश्वास था, मगर निगाहें अर्जुन को टटोल रही थीं।
"जयगढ़ एक परंपरा है... और परंपरा में बदलाव जरूरी है।"
ताली बजती है।
"मैं इस महल में अकेली नहीं हूँ। मेरे साथ हैं मेरे माता-पिता, राजमाता ,मेरी बहन... और एक बहुत सख्त, पर बहुत ज़िम्मेदार सुरक्षा अधिकारी — जो मेरी हर सांस को काउंट करता है।"
लोग हँसते हैं।
"Don't worry, he’s just a bodyguard. थोड़ा ओवरपैसनेट है अपनी ड्यूटी को लेकर।"😅
अर्जुन की आँखें एक पल को स्थिर हो जाती हैं।😑
वो कुछ नहीं कहता। लेकिन उसके चेहरे की मांसपेशियाँ तन जाती हैं।
प्रोग्राम के बाद, अर्जुन और सिया एक कोने में आमने-सामने खड़े हैं।
"आपको ये मज़ाकिया लगा?"
"बिलकुल। भीड़ को भी हँसी आई।"😅
"मैं मज़ाक नहीं हूं, सिया राठौड़। और न ही मैं सिर्फ़ बॉडीगार्ड हूं।"🔥😈
सिया चौंकी।
"तब क्या हो आप? गुप्तचर? या कुछ और?"
अर्जुन उसकी ओर झुककर फुसफुसाता है:
“जो मैं हूं, वो जानने का दम है तो जानने की कीमत भी चुकानी होगी।”सिया की धड़कने तेज धड़कने लगी,अर्जुन से आती वो भीनी खुशबू सिया को किसी और दुनिया में ले जा रही थी,सिया ने अपने आप को संभाला और एक कदम पीछे हुई।
"अभी तो मैंने सिर्फ़ आपको शर्मिंदा किया है,"
सिया मुस्कुराई, "आप इतने इमोशनल क्यों हो जाते हैं?"
"मैं सिर्फ़ वहाँ इमोशनल होता हूं जहाँ मैं दिल रखता हूं,"
"और मैं अपने सीने में पत्थर रखता हूं।"सिया ने उसकी बात पे मुंह बना लिया।
"खडूस!"😑
"मुझे सुनाई दे रहा है"!!🔥
"हां,तो सुनाने के लिए ही कहा है"!!🤫
"राजकुमारी!आपको ये बाते सोभा नही देती!!😈
"लो!अब ये मेरी दादी भी बनेगा! बॉडीगार्ड कम था क्या?सिया मन ही मन मुंह बना कर बोली। तभी अर्जुन का फोन बजने लगा। वो फोन लेकर आगे बड़ गया और सिया अपने कमरे में अर्जुन की बुराइयां करते हुए ।
****
दोपहर को :
महल का कॉन्फ्रेंस कक्ष,दस्तावेज़ों का ढेर।
मीरा वर्मा – तेज, आत्मविश्वासी वकील फिर से विक्रांत सिंह विपक्षी नेता, अक्खड़ मगर बुद्धिमान नेता के सामने बैठी हुई थी।
ये उनकी दूसरी मुलाकात थी।
“तो आप कहना चाहती हैं कि रॉयल ट्रस्ट के सारे फंड्स पारदर्शी हैं?”
विक्रांत ने तीखी नजरों से पूछा।🔥😈
“अगर आप जैसे नेता पारदर्शी होते, तो जनता को वकीलों की ज़रूरत ही न पड़ती,”
मीरा ने जवाब दिया।
“आपने ये बात कोर्ट में भी इतनी ही कॉन्फिडेंस से कही थी?”
“कोर्ट में मैं जीत गई थी, सर। वहाँ तथ्यों से बात होती है, ट्वीट्स से नहीं।”
विक्रांत मुस्कराया — पहली बार।
“आप जैसी महिलाएं... खतरनाक होती हैं।”
“और आप जैसे पुरुष... कमज़ोर बनाते हैं।”
कमरे में एक पल को सन्नाटा छा गया। फिर मीरा उठी और बाहर निकल गई।
पीछे खड़ा विक्रांत… पहली बार किसी बहस से हारा सा महसूस कर रहा था।
"इंटरेस्टिंग"!!💗 किसी लडकी ने मुझसे इस से पहले कभी इस बात नही की तुम पहली इंसान हो!
"मिस मीरा !"
**
वहीं रात को, वही शख्स अपने लैपटॉप पर बैठा था।
इंटरनेशनल डील का वीडियो कॉल चालू था।
"Mr. S., the German board is pushing for equity adjustment."
"Reject it," उस शख्स ने कहा, "और अगली बार मुझे इंतज़ार करवाया तो उनकी कंपनी बेच दूंगा।"😈
उसकी बात पर सब ख़ामोश हो गए,सबको अपनी जान प्यारी थी।
तभी.....
कोई शख्स स्क्रीन पर आता है —
"सर, जयगढ़ में सब ठीक है?"
"ठीक नहीं, मगर ज़रूरी है।"
"आपका बदला आपको कितना ले जाएगा?"
उस शख्स की आँखें ठंडी हो जाती हैं —
“ताज उन्हीं को मिलता है, जो दिल खोकर राज करते हैं। मैं दिल नहीं दूंगा, सिर्फ़ हुक्म दूंगा।”
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सिया बालकनी में अकेली बैठी थी। सब कुछ अच्छा था — फिर भी बेचैनी थी।
“शायद मैंने उसे थोड़ी तकलीफ़ दी,”
उसने सोचा।
लेकिन अगले ही पल —
“पर वो कौन है मुझे जज करने वाला?”सिया अपने आप से लड़ रही थी।
अर्जुन दूर से उसे देख रहा था — CCTV स्क्रीन पर।
"उसने मुझे सिर्फ़ बॉडीगार्ड कहा।
शायद अच्छा ही हुआ… वो नहीं जानती कि मैं ही क्या करने आया हूँ?”🔥😈
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चुपचाप सी आंखों में, कोई तूफ़ान सा बह रहा है,🌷
जो कह नहीं रहे वो लफ़्ज़… अब सांसों में जल रहा है
”~
©Diksha.......
जारी(..)
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मेरे प्यारे Para💓hearts family आपको ये अध्याय कैसा लगा बताना जरूर!
For next episode follow
~Diksha mis kahani 🌷 ✨
एक अध्याय को लिखने में दो से तीन दिन का वक्त लगता है,तो रेटिंग्स जरूर दे!✨✨🎀
बस इसे ही पढ़ते रहिए,शेयर करते रहिए,