Ladka Hona Aasaan Nahi Hota - 6 in Hindi Motivational Stories by parth Shukla books and stories PDF | लड़का होना आसान नहीं होता - भाग 6

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लड़का होना आसान नहीं होता - भाग 6

Chapter 6 — सपनों की लड़ाई (The Battle of Dreams)

> “सपने सब देखते हैं, लेकिन लड़के... वो अक्सर दो ज़िंदगियाँ जीते हैं — एक जो दिखाते हैं और एक जो सहते हैं।”



1. वो सुबह जो हर किसी के लिए एक जैसी नहीं होती

हर सुबह सूरज उगता है, लेकिन कुछ लड़कों के लिए वो सूरज सिर्फ उजाला नहीं लाता, बल्कि साथ लाता है एक नया संघर्ष — कॉलेज का फ़ीस भरने का दबाव, परिवार की उम्मीदें, और समाज का वो असहनीय बोझ जो कहता है — “तू लड़का है, रो नहीं सकता।”

अर्जुन भी उनमें से एक था। एक साधारण से गाँव में रहने वाला लड़का, जिसने सपने शहर की चमक से नहीं, बल्कि माँ की आँखों से चुराए थे। वो हर सुबह उठता, दूध बाँटता, फिर कॉलेज भागता, और शाम को ट्यूशन पढ़ाकर घर आता। किसी को नहीं पता था कि वो खुद भी पढ़ना चाहता था — बस उसकी आंखों में देखा जा सकता था वो अधूरा सपना।

2. सपनों की ऊँचाई और जिम्मेदारियों की जंजीर

जब लड़के सपने देखते हैं, तो उन्हें पहले 10 बार सोचना पड़ता है — “क्या ये सपना मेरा है या परिवार का?” क्योंकि अक्सर लड़कों को अपनी मर्ज़ी से सपना देखने का हक़ भी नहीं होता।

अर्जुन इंजीनियर बनना चाहता था, लेकिन घर की हालत देखकर वो खुद को साइंस छोड़ कॉमर्स में ले गया। उसका सपना अपनी माँ को ए.सी. वाला घर देना था, लेकिन रोटी जुटाने में ही उसकी जवानी गुजरने लगी।

हर बार जब वो किसी इंटरव्यू से लौटता, तो माँ पूछती — “क्यों नहीं हुआ?”
और अर्जुन कहता — “अभी और मेहनत करनी है।”
लेकिन कोई नहीं देखता कि उसके अंदर एक आवाज़ रोज़ दम तोड़ रही है।

3. दोस्त और दुनिया की तुलना

लड़कियों की तुलना में लड़कों की भावनाओं को बहुत हल्के में लिया जाता है। दोस्त मज़ाक उड़ाते हैं — “क्या लड़कियों जैसे रो रहा है?”
और जब वो कुछ बोलता नहीं, तो कहते हैं — “भाई तू कितना चुपचाप है।”

यही समाज है — अगर लड़का संवेदनशील हो तो उसे कमजोर कहते हैं, और अगर मजबूत हो तो कहते हैं — “तू पत्थर दिल है।”

अर्जुन को भी ऐसा ही एक दोस्त मिला — रोहित। दोनों साथ काम करते थे, दोनों के संघर्ष एक जैसे थे। लेकिन रोहित कभी कह नहीं पाया कि वो डिप्रेशन में था। और जब एक दिन उसने फाँसी लगा ली, तो अर्जुन ने खुद को थप्पड़ मारा — “काश मैंने उसका दर्द पढ़ा होता।”

4. प्यार... जो सिर्फ दिल नहीं, आत्मा तोड़ देता है

लड़कों के लिए प्यार करना आसान नहीं होता। जब वो करता है, तो सच्चाई से करता है, पूरा समर्पण लेकर। लेकिन जब वो टूटता है, तो उसकी मरम्मत कोई नहीं करता।

अर्जुन को भी किसी से प्यार हुआ था — नेहा। वो उसकी दुनिया थी। लेकिन जब नेहा ने कहा — “तू क्या देगा मुझे?”
तब अर्जुन ने महसूस किया कि उसकी मोहब्बत उसके पर्स से हार गई थी।

किसी ने नहीं पूछा कि अर्जुन अब कैसा है। क्योंकि समाज मानता है — लड़का है, आगे बढ़ जाएगा। लेकिन नहीं... वो रोज़ रात को अकेले रोता है, वो सब बातें दोहराता है, जो वो कभी कह नहीं पाया।

5. समाज की असंभव अपेक्षाएँ

> “कमाना भी है, हँसना भी है, मजबूत भी रहना है, और संवेदनहीन भी दिखना है।”



लड़कों पर अपेक्षाओं का बोझ इतना ज़्यादा होता है कि वो अपनी पहचान भूल जाते हैं।

अर्जुन से रोज़ पूछा जाता — “कब नौकरी लगेगी?”
“कब घर बनेगा?”
“कब शादी करोगे?”

लेकिन कोई नहीं पूछता — “तू थक तो नहीं गया?”

उसे लगता था जैसे उसकी ज़िंदगी एक रेस हो गई है, जिसमें उसे हर हाल में दौड़ना है, चाहे पैर टूटें या आत्मा।

6. अकेलापन — जो सबसे बड़ा अपराध बन जाता है

जब लड़के थक जाते हैं, तो उनके पास कोई कोना नहीं होता रोने के लिए।
लड़कियों को समाज कहता है — “रो लो, मन हल्का हो जाएगा।”
लड़कों को कहा जाता है — “क्या रो रहा है, मर्द बन!”

और यही सोच अर्जुन को धीरे-धीरे तोड़ने लगी। वो अकेला होने लगा। दोस्तों से दूर, परिवार से अलग। वो सिर्फ अपने कमरे की छत को देखता और सोचता — “क्या मैं बस इसी के लिए बना हूँ?”

उसका आत्मबल कमजोर होने लगा, लेकिन वो खुद को रोज़ संभालता — सिर्फ माँ के लिए।

7. लड़कों की चुप्पी भी एक चीख होती है

लड़के चुप रहते हैं, पर इसका मतलब ये नहीं कि वो महसूस नहीं करते। उनकी चुप्पी में दर्द होता है, शिकायतें होती हैं, और कई बार आत्महत्या का विचार भी।

अर्जुन जैसे लाखों लड़के हैं, जो दिन में हँसते हैं, और रात में टूटते हैं।
क्योंकि उन्हें सिखाया गया है — “दर्द दिखाना कमजोरी है।”

लेकिन अब वक़्त है कि यह बदला जाए।


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अंत की नहीं, शुरुआत की ओर...

> “अब मैं नहीं टूटूँगा, अब मैं बोलूँगा, क्योंकि मैं भी इंसान हूँ — लड़का हूँ, पर पत्थर नहीं।”



अर्जुन अब अकेला नहीं रहा। उसने अपने दर्द को कागज़ पर उतारना शुरू किया।
वो अब एक लेखक बन गया था — जो उन तमाम लड़कों की आवाज़ बन चुका था जो बोल नहीं सकते थे।


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✍️ Chapter 6 Summary (संक्षेप में):

लड़कों की ज़िंदगी में सपनों से ज़्यादा ज़िम्मेदारियाँ होती हैं।

उन्हें अपनी इच्छाओं को मारकर, दूसरों की अपेक्षाओं को पूरा करना होता है।

प्यार, दोस्ती, समाज — हर जगह उनसे ताकतवर होने की उम्मीद की जाती है।

लेकिन वो भी टूटते हैं, थकते हैं और रोते हैं — बस कोई देख नहीं पाता।

अर्जुन की कहानी हर उस लड़के की कहानी है जो अंदर से चीख रहा है, पर बाहर मुस्कुरा रहा है।