अस्पताल का दृश्य
अंकिता अपने बेड पर एकदम बेजान सी पड़ी थी। उसके चारों ओर कई उपकरण लगे हुए थे—एक हार्ट मॉनिटर, जो उसकी नब्ज़ की स्थिति बता रहा था, एक ऑक्सीजन सिलेंडर, जो धीरे-धीरे उसके शरीर में ऑक्सीजन पहुँचा रहा था, और एक ड्रिप स्टैंड, जिसमें ग्लूकोज़ की बोतल लटकी हुई थी। समीरा जब अंदर आई, तो उसने देखा कि उसकी बुआ की हालत पहले से ज्यादा बिगड़ चुकी थी। उनके चेहरे पर हल्की सी पीलापन था, उनकी आँखें बंद थीं, और उनकी साँसें बेहद धीमी हो चुकी थीं। समीरा को समझ नहीं आया कि क्या हो रहा है।
वह घबराकर अंकिता के पास पहुँची और उन्हें हिलाने की कोशिश की, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। उसके दिल की धड़कनें तेज़ हो गईं। उसने काँपते होंठों से धीरे से पुकारा, "बुआ..." लेकिन कोई जवाब नहीं आया। समीरा का चेहरा सफेद पड़ गया। उसने घबराकर नर्स को बुलाने के लिए बाहर भागना चाहा, लेकिन फिर सोचा कि डॉक्टर को ही बुलाना बेहतर होगा।
"डॉक्टर!" उसने लगभग चिल्लाते हुए कहा।
अस्पताल के गलियारों में उसकी आवाज़ गूँज उठी। बाहर मौजूद नर्सों और डॉक्टरों ने तुरंत प्रतिक्रिया दी। एक डॉक्टर और दो नर्सें जल्दी से कमरे में दाखिल हुईं। डॉक्टर के सफेद कोट की जेब में स्टेथोस्कोप लटक रहा था, और उनके चेहरे पर गंभीरता थी। नर्सों के हाथों में कुछ मेडिकल उपकरण थे।
डॉक्टर ने तुरंत अंकिता की पल्स चेक की। फिर उन्होंने अपनी जेब से टॉर्च निकालकर उनकी आँखों में रोशनी डाली, लेकिन उनकी आँखों में कोई हलचल नहीं हुई। डॉक्टर ने तुरंत नर्स को ऑक्सीजन के लेवल और ब्लड प्रेशर की जाँच करने का आदेश दिया। समीरा घबराई हुई डॉक्टर के चेहरे को देखने लगी। कुछ सेकंड बाद, डॉक्टर ने एक गहरी साँस ली और गंभीर स्वर में कहा, "ये कोमा में चली गई हैं।"
समीरा के पैरों तले ज़मीन खिसक गई। उसने कांपते होंठों से पूछा, "क्या… क्या अब ये ठीक हो जाएँगी?"
डॉक्टर ने धीरे से जवाब दिया, "फिलहाल कुछ कहना मुश्किल है। हमें कुछ जरूरी टेस्ट कराने होंगे और इनकी लगातार निगरानी करनी होगी।"
इतना सुनते ही समीरा की आँखों से आँसू छलक पड़े। उसने अंकिता का हाथ पकड़ लिया। उसकी उँगलियाँ ठंडी पड़ चुकी थीं। समीरा को यकीन नहीं हो रहा था कि कुछ ही समय पहले तक हँसने-बोलने वाली उसकी बुआ अब कोमा में जा चुकी थीं।
नर्स ने तुरंत अंकिता के शरीर से जुड़े मॉनिटर्स की जाँच शुरू कर दी। हार्ट रेट मॉनिटर पर उनकी धड़कनें धीमी चल रही थीं। ब्लड प्रेशर का स्तर भी बहुत कम था। एक नर्स ने ग्लूकोज और जरूरी दवाइयों की डोज़ बढ़ाने के लिए डॉक्टर से अनुमति मांगी, जिसे डॉक्टर ने तुरंत मंजूरी दे दी।
अस्पताल के गलियारों में समीरा बेबस खड़ी थी। बाहर मरीजों के परिजन उम्मीद और डर के बीच झूल रहे थे। कुछ लोग डॉक्टर से अपनी चिंता ज़ाहिर कर रहे थे, तो कुछ नर्सों से अपने प्रियजनों की हालत के बारे में पूछ रहे थे। वहीं, समीरा को कुछ समझ नहीं आ रहा था। उसके कानों में बस मशीनों की बीप-बीप और डॉक्टर की गूँजती आवाज़ें सुनाई दे रही थीं।
अस्पताल के अंदर माहौल भारी था। हर तरफ मरीजों की तकलीफों की कहानियाँ बिखरी पड़ी थीं। कोई दर्द से कराह रहा था, तो कोई अपने परिजन की हालत देखकर रो रहा था। नर्सें भाग-दौड़ कर रही थीं, डॉक्टर गंभीर चेहरे लिए मरीजों की जाँच कर रहे थे, और स्ट्रेचर पर मरीजों को वार्ड से आईसीयू या ऑपरेशन थिएटर ले जाया जा रहा था।
समीरा का दिमाग सुन्न हो चुका था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करे। उसने अंकिता का हाथ थामे रखा, मानो इसी तरह उन्हें वापस होश में ला सकती हो। लेकिन अब सब कुछ डॉक्टरों के हाथ में था।
रात बढ़ रही थी, लेकिन अस्पताल में समय ठहर सा गया था। मशीनों की बीप और रिश्तेदारों की दुआओं के बीच, अंकिता जीवन और मृत्यु के बीच झूल रही थी।
अस्पताल में उम्मीद और डर
समीरा की आँखों से आँसू बह रहे थे। बुआ की हालत देखकर वह पूरी तरह टूट चुकी थी, लेकिन उसने खुद को सँभालते हुए तुरंत अपने माता-पिता को फोन करने का फैसला किया। उसके हाथ काँप रहे थे, उंगलियाँ स्क्रीन पर सही से दब नहीं पा रही थीं। उसने गहरी साँस ली और फोन निकाला।
उसने जल्दी से , राधा का नंबर डायल किया। उधर से कुछ सेकंड तक घंटी बजी, फिर एक थकी हुई आवाज़ आई, "हाँ समीरा बेटा, इतनी रात को फोन किया? सब ठीक तो है?"
समीरा की आवाज़ काँप रही थी। उसने भर्राए गले से कहा, "माँ… बुआ… बुआ कोमा में चली गई हैं।"
फोन के दूसरी तरफ कुछ पलों की ख़ामोशी छा गई। फिर अचानक राधा की चिंतित आवाज़ आई, "क्या?! ये… ये कैसे हुआ बेटा? अभी तो दो दिन पहले ही तो मैं मिली थी उससे… वो तो ठीक लग रही थी!"
"माँ, प्लीज़ जल्दी आ जाओ… डॉक्टर कह रहे हैं कि हालत बहुत नाज़ुक है।"
राधा ने तुरंत अपने अजय को जगाया और सारी बात बताई। अजय पहले तो कुछ समझ नहीं पाए, लेकिन जब राधा की आँखों में आँसू देखे, तो उन्हें हालात की गंभीरता का एहसास हुआ।
"तुरंत निकलते हैं," अजय ने फैसला किया।
अस्पताल का दर्दनाक इंतजार
करीब आधे घंटे बाद, राधा और अजय अस्पताल के गेट पर पहुँचे। राधा की आँखों में चिंता और घबराहट थी। वे तेज़ी से अंदर भागे। समीरा उन्हें वार्ड के बाहर ही मिल गई।
"माँ… पापा…" कहते ही समीरा अपनी माँ से लिपट गई और रोने लगी।
"बेटा, संभालो खुद को। क्या कहा डॉक्टर ने?" अजय ने गंभीर स्वर में पूछा।
"डॉक्टर ने कहा कि बुआ कोमा में चली गई हैं। वो कुछ टेस्ट कर रहे हैं, लेकिन…" समीरा आगे बोल नहीं पाई।
राधा का दिल बैठ गया। वह तुरंत वार्ड के अंदर जाने लगीं, लेकिन नर्स ने उन्हें रोक दिया।
"माफ कीजिए, अभी मरीज को देखने की इजाजत नहीं है। डॉक्टर जरूरी इलाज कर रहे हैं," नर्स ने विनम्रता से कहा।
"पर मैं उनका भाई हूँ… मुझे उन्हें देखने दो!" अजय लगभग गिड़गिड़ा उठीं।
"पापा, प्लीज़ शांत हो जाओ। डॉक्टर कह रहे हैं कि अभी हमें इंतजार करना होगा," समीरा ने अजय का हाथ पकड़कर समझाया।
अजय अपनी बहन के लिए बहोत परेशान था उसे उस वक्त कुछ भी समझ नहीं आ रहा था फूल सी छोटी बहन को इस हाल में देखना उनके लिए बहोत दुखद था | अपनी छोटी बहन को अजय ने बेटी जैसे समझा था |