जुनून की हदें
रिटा अब भी दानिश के केबिन में थी। उसकी नज़रें उस कुर्सी पर टिकी थीं, जहां कुछ देर पहले दानिश बैठा था। उसने धीरे-से अपनी उंगलियाँ उस टेबल पर फिराईं, जहाँ दानिश के हाथ अभी-अभी टिके थे। एक गहरी साँस लेते हुए, उसने हल्की मुस्कान के साथ खुद से कहा,
"तुम भाग सकते हो, दानिश… लेकिन ज्यादा देर तक नहीं।"
रिटा के दिल में एक अजीब-सा जुनून था। वह हार मानने वालों में से नहीं थी। उसकी पूरी ज़िंदगी में कभी किसी चीज़ के लिए ‘ना’ नहीं सुना था। फिर यह दानिश कौन होता था उसे ठुकराने वाला?
वह कुर्सी पर बैठी और चारों ओर नज़र घुमाई। यह ऑफिस, ये किताबें, ये दीवार पर टंगी घड़ी—सब कुछ दानिश का था। और अब, उसे यह यकीन था कि जल्द ही दानिश भी उसका होगा।
उसने एक गहरी साँस ली और अपने मोबाइल से दानिश की एक तस्वीर खोली। वह तस्वीर उनके किसी ऑफिस पार्टी की थी, जहाँ दानिश ब्लैक सूट में बेहद हैंडसम लग रहा था। उसकी आँखों में वही गंभीरता थी, जो हमेशा रिटा को आकर्षित करती थी। उसने उंगलियों से तस्वीर को छुआ और धीरे-से बुदबुदाई—
"तुम जितना मुझसे दूर जाने की कोशिश करोगे, मैं उतनी ही करीब आऊँगी, दानिश।"
दूसरी तरफ…
दानिश की कार तेज़ी से सड़क पर दौड़ रही थी। उसका मन उथल-पुथल से भरा था।
"इस लड़की ने दिमाग खराब कर दिया है!" उसने गुस्से से कहा और गाड़ी की स्पीड बढ़ा दी।
रिटा की हरकतें अब बर्दाश्त से बाहर होती जा रही थीं। वह उसकी मर्जी के बिना उसकी पर्सनल स्पेस में दाखिल हो जाती थी, बेवजह नज़दीकियाँ बढ़ाने की कोशिश करती थी, और सबसे ज्यादा परेशान करने वाली बात—वह उसकी ‘ना’ को ‘हाँ’ में बदलने के लिए कुछ भी कर सकती थी।
"मैंने पहले ही साफ़ कर दिया था कि मुझे यह सब पसंद नहीं। फिर भी यह लड़की पीछे क्यों पड़ी है?"
उसने झुँझलाकर स्टीयरिंग व्हील पर हाथ मारा।
उसकी गाड़ी अब हाईवे पर थी। ठंडी हवा उसके गुस्से को थोड़ा कम कर रही थी, लेकिन मन अभी भी बेचैन था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह रिटा से कैसे पीछा छुड़ाए।
"मुझे उससे सख्ती से बात करनी होगी।
रिटा का जुनून
वापस ऑफिस में, रिटा अब भी दानिश के केबिन में बैठी थी। उसने टेबल पर रखे कागजों को छुआ, उसकी कॉफी मग को देखा और उसकी कुर्सी पर झुककर बैठ गई।
"क्या तुम्हें पता भी है, दानिश?" उसने धीमे से कहा, "जब तुम इतने सीरियस होते हो, तो और भी ज्यादा आकर्षक लगते हो। तुम्हारी वह ठंडी नज़रों वाली बेरुखी, तुम्हारी वो गंभीर आवाज़, तुम्हारा मुझे धक्का देकर दूर करना—ये सब मुझे और तुम्हारे करीब लाता है।"
उसकी आँखों में एक अलग ही चमक थी।
वह अपनी जगह से उठी, धीरे-से उसके टेबल पर रखे पेन को उठाया और उसके नाम के शुरुआती अक्षर को अपनी हथेली पर लिख लिया—"D"
"तुम्हें लगता है कि तुम मुझे मना कर सकते हो? नहीं, दानिश। मैंने जो सोच लिया, वो होकर रहेगा।"
वह कमरे में घूमते हुए सोचने लगी कि अब अगला कदम क्या होना चाहिए। उसे अब कुछ बड़ा करना था, जिससे दानिश को एहसास हो कि वह किसी भी हाल में उसे जाने नहीं देगी।
"अगर तुम भागने की कोशिश करोगे, तो मैं तुम्हें ऐसा करने ही नहीं दूँगी। तुम्हें तो मेरा बनना ही होगा।"
दानिश की बेचैनी
दानिश ने अपनी गाड़ी रोक ली। उसने दोनों हाथों से सिर पकड़ लिया।
"यह लड़की... यह सच में पागल हो चुकी है।"
उसने अपनी जेब से फोन निकाला और ऑफिस में अपने असिस्टेंट को कॉल लगाया।
"अली, देखो कि रिटा अब भी मेरे केबिन में तो नहीं बैठी?"
अली थोड़ा झिझका, फिर धीरे-से बोला, "सर, वह अब भी वहीं है।"
"क्या? तुमने उसे रोका क्यों नहीं?"
"सर, वह बहुत अजीब तरीके से मुस्कुरा रही थी। और मैं… मैं कुछ समझ नहीं पाया।"
दानिश ने गहरी सांस ली।
"ठीक है, मैं खुद देखता हूँ।"
उसने गाड़ी वापस मोड़ी और तेज़ स्पीड में ऑफिस की तरफ चल पड़ा।
अंधेरे में एक खतरनाक इरादा
रिटा अब भी वहीं थी, लेकिन अब उसके चेहरे पर एक शैतानी मुस्कान थी।
"मुझे नहीं फर्क पड़ता कि तुम क्या सोचते हो, दानिश। तुम जितनी बार मुझे नज़रअंदाज़ करने की कोशिश करोगे, मैं उतनी ही बार तुम्हारे सामने आऊँगी।"
वह अपनी जगह से उठी और उसके टेबल पर एक नोट छोड़ा—
"तुम चाहो या न चाहो, लेकिन मैं तुम्हारी ज़िंदगी से कभी जाने वाली नहीं हूँ।"
फिर उसने अपने होंठों पर उंगलियाँ रखीं और धीरे-से कुर्सी पर बैठते हुए कहा—
"खेल अब असली होने वाला है, दानिश। देखते हैं, तुम कब तक बचते हो!"
खतरनाक हदें
दानिश की गाड़ी ऑफिस की ओर दौड़ रही थी। उसकी उंगलियाँ स्टीयरिंग व्हील पर कस गई थीं, और दिमाग में बस एक ही ख्याल घूम रहा था—रिटा को अब रोका जाना ज़रूरी है।
"अगर मैंने इसे अभी नहीं रोका, तो पता नहीं आगे क्या कर बैठेगी।"
रिटा का खेल
रिटा अब भी दानिश के केबिन में बैठी थी। वह उसकी हर चीज़ को छू रही थी, जैसे वो सिर्फ चीज़ें नहीं, बल्कि खुद दानिश हों।
उसने फिर से अपने फोन में उसकी तस्वीर देखी। "अगर तुम मुझे नहीं अपनाना चाहते, तो कोई बात नहीं। लेकिन मैं तुम्हें अपना बना कर ही दम लूँगी, दानिश।"
उसकी आँखों में एक अलग सी पागलपन भरी चमक थी।
उसने अपने बैग से एक छोटी-सी शीशी निकाली। उसके अंदर एक हल्का गुलाबी रंग का लिक्विड था। "बस, अब बहुत हुआ।"
उसने शीशी को देखा और मुस्कुराई।
"अगर तुम मुझे अपनी मर्जी से नहीं अपनाओगे, तो मैं हालात ऐसे बना दूँगी कि तुम्हें अपनाना ही पड़ेगा।"
दानिश की दस्तक
जब दानिश ऑफिस पहुँचा, तो अली दौड़कर उसके पास आया।
"सर, रिटा अब भी अंदर है।"
"चाबी दो।" दानिश ने ठंडे लहज़े में कहा।
अली ने चुपचाप चाबी पकड़ा दी।
दानिश ने गहरी साँस ली और धीरे-से दरवाजा खोला।
सामना
रिटा उसके टेबल के पास खड़ी थी, हाथ में वो छोटी शीशी लिए हुए।
"रिटा!" दानिश ने गुस्से से कहा।
वो धीरे-से मुड़ी और मुस्कुराई। "आ गए तुम... मुझे पता था कि तुम लौटोगे।"
"तुम यहाँ क्या कर रही हो?"
"तुम्हारा इंतज़ार।" उसने ठंडी आवाज़ में कहा।
"मुझे तुमसे कोई बात नहीं करनी। निकलो यहाँ से।"
"तुम जानते हो, दानिश..." उसने टेबल पर हाथ फेरते हुए कहा, "मुझे तुम्हें पाने के लिए किसी भी हद तक जाना पड़े, मैं जाऊँगी।"
दानिश ने उसकी तरफ एक कदम बढ़ाया और उसकी आँखों में देखा। वहाँ प्यार नहीं, बल्कि एक खतरनाक जुनून था।
"रिटा, ये सब तुम्हारी गलतफहमी है। मैं तुमसे प्यार नहीं करता। और ना ही कभी करूँगा।"
रिटा के चेहरे की मुस्कान धीमे-धीमे मिट गई।
"ऐसा सोचते हो?" उसने धीरे से कहा।
उसने अपने हाथ में पकड़ी शीशी की तरफ इशारा किया।
"अगर मैं कहूँ कि इस शीशी में कुछ ऐसा है, जो तुम्हें बदल सकता है?"
दानिश ने उसकी तरफ देखा।
"क्या मतलब?"
रिटा ने शीशी खोली। "बस एक घूँट, और तुम्हारा दिमाग पूरी तरह से बदल जाएगा। तुम मुझे चाहने लगोगे, दानिश। बस एक घूँट।"
दानिश का खून खौल उठा। "रिटा, ये पागलपन है!"
"इसे तुम पागलपन कह सकते हो," उसने मुस्कुराते हुए कहा। "पर मुझे लगता है कि ये प्यार है।"
खतरे की घड़ी
दानिश ने फुर्ती से कदम बढ़ाए और उसकी कलाई पकड़ ली।
"ये क्या बकवास है?" उसने गुस्से से कहा।
रिटा ने उसे ठंडी नज़रों से देखा।
"छोड़ो मुझे, दानिश।"
"तुम इस हद तक गिर जाओगी, मैंने सोचा भी नहीं था।"
रिटा ने उसकी पकड़ से खुद को छुड़ाने की कोशिश की, लेकिन दानिश ने उसे कसकर पकड़ रखा था।
"तुम जो भी कर लो, मैं तुम्हारे साथ कभी नहीं रहूँगा!"
रिटा ने गुस्से से उसकी तरफ देखा।
"ठीक है... फिर मैं तुम्हें किसी और का भी नहीं होने दूँगी।"
उसने झटके से शीशी के अंदर की चीज़ उसके चेहरे की तरफ उछाल दी।
लेकिन दानिश जल्दी से पीछे हटा और लिक्विड ज़मीन पर गिर गया।
उसकी आँखों में गुस्सा था।
"बस बहुत हुआ। अब मैं तुम्हें सबक सिखाऊँगा।"
अंत का आरंभ
दानिश ने अली को बुलाया और सिक्योरिटी को फ़ोन लगाया।
"रिटा को इस ऑफिस से अभी निकालो!"
रिटा चीखने लगी।
"तुम मुझे दूर नहीं कर सकते, दानिश! मैं तुम्हारी ज़िंदगी में थी, हूँ, और रहूँगी!"
सिक्योरिटी उसे पकड़कर बाहर ले जा रही थी, लेकिन उसकी आँखों में वही जुनून था।
"तुम बच नहीं सकते, दानिश! ये तो सिर्फ शुरुआत है!"
दानिश ने गहरी साँस ली।
"अब मुझे इससे हमेशा के लिए छुटकारा पाना होगा।"