Ishq aur Ashq - 50 in Hindi Love Stories by Aradhana books and stories PDF | इश्क और अश्क - 50

Featured Books
Categories
Share

इश्क और अश्क - 50



अगस्त्य कॉल पिक करके:
"मुझे पता था तुम कॉल करोगी... मुझे भी तुमसे मिलना है सय्युरी। मैं अभी तुम्हारे घर आ रहा हूँ, एड्रेस दो।"

(अगस्त्य ने कहा)

दूसरी तरफ, रात्रि वहाँ से निकलती है।

एवी:
"कहाँ जा रही हो?"

रात्रि:
"अगस्त्य के पास!"

एवी (मायूस होकर):
"क्या...? पर क्यों?"

रात्रि:
"उसे मेरे सवालों के जवाब देने होंगे!"

और वह निकलकर बाहर पहुँची।
अगस्त्य ने just अपनी कार स्टार्ट ही की थी कि रात्रि अपने दोनों हाथ फैलाकर उसकी कार के आगे आ गई।
कार बस एक-दो स्टेप ही आगे बढ़ी थी कि उसने रात्रि को सामने देखकर तुरंत ब्रेक मारी।

(वो दांत पीसते हुए बाहर आया।)

अगस्त्य:
"मरना चाहती हो क्या? या चाहती हो कि मैं कोर्ट के चक्कर ही लगाता रहूँ?"

रात्रि:
"तुम्हें जो सोचना है सोचो... पर मुझे अपने सवालों के जवाब चाहिए, वो भी अभी!"

अगस्त्य:
"और मुझे क्या तुमने सैलरी पर रखा है?.............? जो Yes Ma’am बोलकर तुम्हें पूरी गाथा सुनाऊँ?"

रात्रि:
"तुम पहले से ही ऐसे हो या मेरे लिए ये स्पेशल ट्रीटमेंट है?"

(तभी अगस्त्य के फोन पर एक मैसेज आता है। वो फोन देखने ही लगता है कि...)

रात्रि ने उसके हाथ से चाबी छीन ली!
अगस्त्य अचानक चौंक गया और गुस्से से उसकी तरफ देखा।

रात्रि (चिढ़ाने की आवाज में):
"और बड़ी करो आँखें... और! डरती नहीं मैं। और अब ड्राइव मैं करूंगी। तुम्हें जहाँ जाना है, बताओ।"

(अगस्त्य झूठा गुस्सा दिखाने की कोशिश करता है)

अगस्त्य (बनावटी आवाज में):
"तुम्हें पता है ना... चोरी के इल्ज़ाम में तुम्हें जेल भी हो सकती है?"

(रात्रि चाबी को अपनी उंगलियों में घुमाती हुई गाड़ी में बैठ गई।)

और अंदर से हॉर्न बजाते हुए:

रात्रि:
"आते हो या तुम्हारी गाड़ी का सच में चोरी का केस बनवाऊँ?"

अगस्त्य (अपने मुंह को फुलाता हुआ):
"क्या इस लड़की ने मुझे जस्ट अभी धमकी दी?"

(और तुरंत आकर कार में साइड की सीट पर बैठ गया।)

अब अगस्त्य के फोन पर सय्युरी का कॉल आने लगा।
रात्रि की नजर फोन पर पड़ी। सय्युरी का नाम देखकर उसका बिहेव थोड़ा चिड़चिड़ा हो गया।

अगस्त्य (फोन उठाते हुए):
"अब चालू भी करो कार!"

(रात्रि गुस्से में कार चालू करती है और झटके से ब्रेक मारती है, जिससे अगस्त्य पीछे टकरा जाता है और चौंक जाता है।)

अगस्त्य (फटी आँखों से):
"लाइसेंस है ना तुम्हारे पास?"

रात्रि (गुस्से में):
"एड्रेस बताओ।"

और दोनों निकल गए।

अगस्त्य (कॉल पर):
"हाँ, मैं 15 मिनट में वहाँ पहुँच जाऊँगा।"

रात्रि कान लगाकर दोनों की बातें सुनने की कोशिश कर रही थी।

(कॉल कट)

अगस्त्य:
"तुम ड्राइव करो न!"

रात्रि:
"तो अभी मैं क्या  कर रही हूँ?"

अगस्त्य:
"जासूसी!"

(अब रात्रि अगस्त्य से कुछ पता करने की कोशिश करती है)

रात्रि:
"वैसे, तुम इस लड़की को कैसे जानते हो?"

अगस्त्य:
"तुम्हें कुछ नहीं पता... वो..."

(तभी कार के आगे कोई जानवर आ जाता है, और रात्रि को अचानक ब्रेक मारना पड़ता है।)

रात्रि का सिर स्टीयरिंग से टकराने वाला था कि उसी वक्त अगस्त्य अपना हाथ आगे कर देता है, और उसका सिर अगस्त्य के हाथ पर लगता है।

अगस्त्य:
"संभाल के...!"

(रात्रि उसे देखकर देखती रह जाती है। उसकी नज़रें अगस्त्य पर टिक जाती हैं।
गाड़ी एक जगह रुक जाती है, और अगस्त्य दोनों हाथों से उसे पकड़ता है।)

अगस्त्य (केयरिंग लहजे में):
"तुम ठीक तो हो ना...? कहीं लगी तो नहीं?"

(फिर गुस्से वाली आवाज में)
"एक काम भी ठीक से नहीं होता ना...? बहुत मुश्किल था न ये काम भी?
तुम रहने ही दिया करो, मैं खुद ही कर लूंगा सब!"

(रात्रि उसकी आँखों में खोई हुई बहुत ध्यान से उसकी बिना सिर-पैर की बातें सुन रही थी... और उस पर मुस्कुरा भी दी।)

अगस्त्य (थोड़ा झेंपते हुए):
"मैं यहाँ जोक सुना रहा हूँ????"

(रात्रि अपने होठों से अपनी मुस्कान दबाती हुई दोबारा ड्राइविंग शुरू करती है।)

रात्रि (अपने मन में):
"इसे बायोपोलर डिसऑर्डर है क्या...? एक पल में राक्षस और दूसरे ही पल इतना प्यारा! एक ही रूप में नहीं रह सकता क्या?"

(अगस्त्य फिर अपने अकड़ू रूप में आकर सामने देखने लगता है।
रात्रि अपनी ड्राइविंग पर ध्यान देती है। और अगस्त्य भी फोन में किसी काम में लग जाता है ,तभी रात्रि नाक से पानी जैसा कुछ आने लगता है।
उसने सामने से टिश्यू उठाया और नाक साफ करने लगी।
तभी उसकी नजर उस वेस्ट टिश्यू पर पड़ी... और वो डर गई।)

(उसने तुरंत ब्रेक मारा और मिरर में देखा—ये कोई पानी वानी नहीं था, उसकी नाक से खून आ रहा था।)

(ये देखकर रात्रि चौंक गई।
उसने तुरंत दूसरा टिश्यू लिया और नाक पर लगा लिया।
ये करते हुए अगस्त्य ने उसे देख लिया।)

अगस्त्य:
"क्या हुआ?"
(रात्रि ने हाथ पीछे कर लिया)

अगस्त्य:
"दिखाओ मुझे!"
(उसने उसके हाथ से टिश्यू छीन लिया।
और उस पर खून देखकर उसके हाथ से टिश्यू छूट गया।
उसने दोनों हाथों से रात्रि का चेहरा पकड़ लिया, बहुत परेशान आवाज में:)

"तुम ठीक तो हो न...? और ये नाक से खून क्यों?"

रात्रि (उसका हाथ हटाती हुई):
"मैं ठीक हूँ... तुम परेशान क्यों हो रहे..."

(इतना कहते-कहते उसकी नाक से फिर एक खून की लाइन बहने लगी।)

(अगस्त्य फिर घबरा गया।
उसने पीछे से कार की सीट लूज़ की और रात्रि को लिटा दिया।)

रात्रि:
"मैं ठीक हूँ... तुम इतना परेशान मत हो!"

अगस्त्य:
"श... श... श... बिलकुल चुप!"

(वो टिश्यू लेकर उसका खून साफ करने लगा।
दोनों की नजदीकियाँ बढ़ने लगीं...)

अगस्त्य (धीरे से):
"देखा, यही वो वजहें हैं, जिनकी वजह से तुम ये कहानी नहीं जान सकती हो..."

रात्रि (धीरे से):
"पर मैं जानना चाहती हूँ।"