Haunted House 786 - The Return of the Dark Night in Hindi Short Stories by Shailesh verma books and stories PDF | भूतबंगला 786 - काली रात की वापसी

Featured Books
Categories
Share

भूतबंगला 786 - काली रात की वापसी

शैली: थ्रिलर, हॉरर, रहस्य, एक्शन

स्थान: बिहार–झारखंड बॉर्डर का वीरान गांव कालीझाड़ीमुख्य

पात्र:राघव चौधरी – एक जासूस जो दिल्ली क्राइम ब्रांच छोड़ चुका है

चित्रा सिंह – पत्रकार जो सच्चाई की तलाश में हैबं

गला 786 – जहां आज तक जो भी गया, लौटकर नहीं आया...🩸

प्रस्तावना: एक फोन कॉल...

दिल्ली में एक रात, पूर्व अधिकारी राघव चौधरी को एक कॉल आता है —

“सर… मैं अनिल हूं… पत्रकार… मैं कालीझाड़ी गांव से बोल रहा हूं… बंगला नंबर 786 में कुछ... कुछ बहुत ही डरावना है… खिड़कियों से कोई औरत उलटी लटकती दिखी… मेरे साथी सब गायब हैं... बचाइए…”

फिर अचानक चीख़… और कॉल कट।

राघव का खून जम गया। ये वही बंगला था जहां 1999 में उसने एक खतरनाक केस हैंडल किया था — मौत का बंगला, पर फिर मामला दबा दिया गया। लेकिन अब कोई फिर से उसे जगा रहा था।🏚 अध्याय 1: कालीझाड़ी की सरहद

राघव गांव पहुंचता है। बेतहाशा सन्नाटा। कोई रास्ता नहीं बताता। गांव के लोग कहते हैं,

“786 का बंगला… जहां ‘वो’ रहती है… जो तुम्हारा नाम लेकर बुला चुकी है…”

बंगले के बाहर काली सी गाड़ी खड़ी है — जिसका दरवाजा अंदर से बंद है। भीतर चार मोबाइल कैमरे, लेकिन लोग नदारद।

राघव कैमरा प्ले करता है — आखिरी वीडियो में एक लड़की के बाल अपने आप खड़े होते हैं… फिर कुछ काला साया गला दबा देता है…😨 अध्याय 2: बंगला नंबर 786 — हर दरवाज़ा खून मांगता है

राघव, पत्रकार चित्रा के साथ बंगले में दाखिल होता है। दीवारों पर अजीब लिपि में कुछ लिखा है —“786 बार बुलाओ, वो आयेगी… और फिर कोई नहीं बचेगा…”

हर रात उस बंगले से एक सीटी की आवाज़ आती है। पहले राघव को भ्रम लगता है… लेकिन चित्रा के कैमरे में दिखता है कि आधी रात को बंगले की छत पर एक लड़की चल रही है — उल्टी चाल।

अचानक एक दिन चित्रा भी गुम हो जाती है। राघव को उसी कमरे से उसकी आवाज़ आती है —

“राघव… पीछे देखो…”पीछे कोई नहीं होता, लेकिन कमरे की दीवार पर ‘786’ खुद-ब-खुद जल उठता है।⚰️ अध्याय 3: बंगले का रहस्य — 786 मौतों की बलि

राघव को गांव के बुजुर्ग बताते हैं —बंगला पहले एक तांत्रिक गुरु श्यामलनंद का था। वह 786 इंसानों की बलि देकर अमरता चाहता था। लेकिन 786वीं बलि पूरी होने से पहले गांववालों ने उसे जिंदा जला दिया।

पर उसकी आत्मा बंगले में बस गई। अब हर साल वही आत्मा एक नया “786वां” ढूंढती है…

इस बार वो राघव है।🔥 अध्याय 4: तंत्र युद्ध — जब राघव ने किया मुकाबला

राघव अपने दिल्ली के संपर्क से पुराने केस की फाइल मंगवाता है। एक रजिस्टर मिलता है जिसमें लिखा है: “786वां जो बच जाएगा, वो ही ‘उसे’ खत्म कर पाएगा।”

राघव बंगले के नीचे की गुप्त सुरंग में उतरता है। वहां एक काले शिवलिंग के सामने चित्रा बेहोश पड़ी है। और एक साया धीरे-धीरे उसकी ओर बढ़ रहा है...

राघव तांत्रिक विधि से उस आत्मा को शिवलिंग में बाँधने की कोशिश करता है।लेकिन आत्मा हँसती है —

“तू आखिरी है राघव… तेरी मौत से मैं अमर हो जाऊंगा…”

दोनों के बीच तांत्रिक युद्ध शुरू होता है। कमरे की दीवारें कांपने लगती हैं, हर तस्वीर से खून टपकता है, और 786 बार नाम पुकारा जाता है।

आखिर में राघव अपनी हथेली चीरकर खून से शिवलिंग पर ‘786’ लिखता है। आत्मा चीखती है… और उसी क्षण चित्रा होश में आ जाती है।🌌 अंतिम मोड़: बंगला गायब… लेकिन क्या साया गया?

राघव और चित्रा जैसे-तैसे बाहर निकलते हैं। लेकिन जैसे ही वे मुड़कर बंगले की ओर देखते हैं — बंगला अब वहाँ नहीं होता। सिर्फ राख… और राख के बीच एक स्लेट पर लिखा होता है:

“तुम 786वें नहीं थे… अगला कौन?”🕯️ कहानी का अंत या नई शुरुआत?

अब राघव दिल्ली लौट चुका है। पर जब वो कार स्टार्ट करता है… रेडियो अपने आप चालू हो जाता है —

“786… 786… 786…”

और कार का शीशा खुद से धुंधला हो जाता है…⚠️ 

[समाप्त]

लेखक:-शैलेश वर्मा