The Mystery of the Zero Line in Hindi Thriller by Shailesh verma books and stories PDF | शून्य रेखा का रहस्य

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शून्य रेखा का रहस्य

भूमिका:

यह कहानी भारत और भूटान की सीमा के पास स्थित एक छोटे से गाँव 'शून्य रेखा' (Zero Line) की है, जहाँ 2002 में एक घटना घटी जिसे न तो पूरी तरह समझा जा सका, न ही भुलाया जा सका। यह एक ऐसा मामला था, जिसमें रहस्य, हत्या, अंतरराष्ट्रीय गुप्तचरों और आत्माओं की परछाइयाँ एक साथ मिली हुई थीं।प्रारंभ — सीमारेखा की लाश

15 जून 2002 की रात, भूटान सीमा के समीप स्थित "नगालंग गाँव" में ज़ोरदार बारिश हो रही थी। उसी रात, भारतीय सीमा सुरक्षा बल (BSF) के जवानों ने शून्य रेखा के एक निर्जन चेकपोस्ट के पास एक औरत की जली हुई लाश पाई — आधा शरीर भारत में और आधा भूटान में। उसके हाथ में एक लोहे की चाबी थी और शरीर पर कोई कपड़ा नहीं था, केवल संस्कृत में कुछ लिखा हुआ था:

"न मम, न तव, न स्व" (न यह मेरा है, न तुम्हारा, न उसका)

BSF ने जब लाश को उठाने की कोशिश की, तो अजीब बात हुई — उसका शरीर बहुत भारी हो गया, जैसे किसी अदृश्य शक्ति ने उसे पकड़ रखा हो। आखिर में भूटान और भारत दोनों के अधिकारियों ने मामले की संयुक्त जांच का निर्णय लिया।जांचकर्ता — विशेष एजेंट आरव राठी की एंट्री

आरव राठी, RAW का एक रहस्यमयी अधिकारी, जो मनोविज्ञान, भाषाशास्त्र और अंतरराष्ट्रीय तंत्र-ज्ञान में माहिर था, इस केस की जांच के लिए बुलाया गया। उसने लाश की तस्वीरें, स्थान, और संस्कृत के शब्दों की व्याख्या करते हुए कहा:

"यह कोई सामान्य हत्या नहीं, बल्कि एक मानसिक और आध्यात्मिक अनुष्ठान की विफलता है।"गांव की खामोशी और तांत्रिक की परछाईं

आरव गाँव पहुँचा। वहाँ के लोग डरे हुए थे। हर घर में कोई न कोई बुखार, मानसिक विकृति या आत्महत्या से जूझ रहा था। गाँव के एक बुजुर्ग ने बताया:

"वो औरत 'यशोधरा' थी — एक भूतपूर्व तांत्रिक की बेटी। कहा जाता है कि उसने अपने पिता के 'पंचचक्र अनुष्ठान' को दोबारा जीवित करने की कोशिश की थी, जिससे मरे हुए को बुलाया जा सके। लेकिन..."भूतपूर्व सेना शिविर और गुप्त कोड

आरव ने पुराने मानचित्रों से यह खोज निकाला कि उस स्थान के नीचे एक पुराना भूमिगत सैन्य प्रयोगशाला था, जिसे 1971 के युद्ध के बाद बंद कर दिया गया था।

वह भूमिगत गया। वहाँ दीवारों पर लिखा मिला:

"शून्य रेखा को पार मत करना, अन्यथा सत्य नहीं बचेगा।"

आरव को एक कोड-लॉक मिली — जिसमें वही लोहे की चाबी काम आई। अंदर एक कक्ष मिला, जहाँ एक पुरानी टेप बज रही थी:

"Project Varun: If this voice is heard, terminate the seeker. Truth is incomplete."सच्चाई की पहली परत — Project Varun

RAW की गुप्त फाइलों के अनुसार "Project Varun" एक प्रयोग था — जिसमें ‘जैविक अर्ध-मृत आत्मा’ (Bio-Psycho Semi-dead Entity) को जीवित करने का असफल प्रयास किया गया था। यह प्रयोग तांत्रिक विद्या और आधुनिक विज्ञान का संगम था, जो 1985 में फेल हुआ और सबूत छिपा दिए गए।

यशोधरा उसी प्रयोग की बेटी थी। उसने अपने पिता की आत्मा को वापस बुलाने की कोशिश की — लेकिन आधी सफलता, आधा विनाश बन गई।अंतिम मोड़ — स्वयं आरव की पहचान

जैसे-जैसे आरव मामले में गहराई में गया, उसे अपने ही सपनों में एक लड़की दिखने लगी — जली हुई, हाथ में वही चाबी लिए हुए। वह बार-बार कहती:

"तुम भी एक हिस्सा हो इस प्रयोग का। तुम मेरे पिता के जीवित हिस्से हो। तुम्हें वापसी नहीं मिलेगी।"

DNA टेस्ट में सामने आया — आरव राठी का जन्म रिकॉर्ड उपलब्ध ही नहीं था। वह असल में 1985 के Project Varun के एक क्लोन अवशेष से बनाया गया था, और उसे यही नहीं पता था।समाप्ति — द्वार बंद, लेकिन किसके लिए?

आरव ने खुद को उसी चेंबर में बंद किया, और टेप पर अंतिम रिकॉर्ड किया:

"यदि तुम यह सुन रहे हो, तो शायद मैं कभी था ही नहीं। या था भी, तो एक परछाईं..."

चेंबर बंद कर दिया गया, और पूरे क्षेत्र को “Bio-Restricted Dead Zone” घोषित कर दिया गया। आज भी, वहाँ कोई नहीं जाता। रात में जब बारिश होती है, तो हवा में एक जली हुई लड़की की सुगंध आती है, और मंदिर की घंटियाँ अपने-आप बजती हैं...निष्कर्ष:

कुछ रहस्य कभी नहीं सुलझते। कुछ लोग कभी थे भी नहीं, लेकिन उनके अस्तित्व का प्रभाव आज भी महसूस होता है। शून्य रेखा, एक ऐसा स्थान है — जहाँ से होकर जीवन और मृत्यु दोनों गुजरते हैं, लेकिन लौटते नहीं।


-समाप्त-


लेखक:-शैलेश वर्मा