कोठारी एक्सपेरिमेंट: भूले नहीं जाते वो 11 दिन(एक सच्चे रहस्य पर आधारित थ्रिलर कथा...
अध्याय 1:
पुरानी फाइलसाल 2023, नई दिल्ली।अनया कोठारी, दिल्ली यूनिवर्सिटी की शोध छात्रा, एक लंबे समय से एक नाम के पीछे भाग रही थी —"कोठारी एक्सपेरिमेंट"।उसके दादा, विलास कोठारी, एक वैज्ञानिक थे और 1950 के दशक में भारत सरकार के लिए काम करते थे। परिवार में बस एक फुसफुसाहट थी — "रश्मि का मामला मत छेड़ना..."रश्मि? कौन थी वो? दादी? चाची? कोई नहीं जानता था। लेकिन एक पुरानी तिज़ोरी से निकली फाइल ने सब बदल दिया।---🔬
अध्याय 2: प्रयोगशाला संख्या 141956 में भारत सरकार ने एक गुप्त मिशन शुरू किया था —"Project Vāk", जिसका उद्देश्य था — इंसानी चेतना को इलेक्ट्रॉनिक सिग्नलों में बदलकर एक स्थायी रूप में संरक्षित करना।इसके लिए दिल्ली के पास एक गुप्त स्थान पर बनाई गई थी —प्रयोगशाला संख्या 14 (Lab No. 14, Sector 5, Civil Lines)पहला प्रयोग एक 11 साल की बच्ची पर किया गया — नाम था रश्मि कोठारी।---🧪
अध्याय 3: बंद कमरा और चेतनारश्मि को एक कांच के कमरे में बंद किया गया।वहां न खिड़की थी, न रोशनी।केवल चार दीवारें और एक साउंड प्रोजेक्टर — जो 24 घंटे भ्रम पैदा करने वाली ध्वनियाँ सुनाता था: उसकी मां की आवाज, पिता की बातें, और काल्पनिक डरावने अनुभव।शुरुआत में रश्मि ठीक थी, लेकिन 5वें दिन से उसकी आंखें सुन्न हो गईं।6वें दिन, उसने कहा –"माँ यहाँ है… वो मुझे ले जा रही है…"---📻
अध्याय 4: अंतिम दिन11वें दिन रश्मि अचानक चुप हो गई।डॉक्टरों ने कहा – ब्रेन एक्टिविटी नहीं है, वह क्लिनिकली डेड है।लेकिन EEG मॉनिटर बता रहा था — उसका मस्तिष्क कुछ "सुन" रहा था।एक उल्टी गिनती चल रही थी — 109, 108, 107…विलास कोठारी ने सब रोकने की कोशिश की, पर तब तक बहुत देर हो चुकी थी।रश्मि को मृत घोषित कर दिया गया।पर अंतिम रात, सुरक्षा कैमरे बंद हो गए।अगली सुबह, Lab No. 14 को हमेशा के लिए सील कर दिया गया।---📚
अध्याय 5: 67 साल बादअनया कोठारी, अब उसी Lab की खोज में लगी थी।उसने RTI डाली –उत्तर मिला: "No such experiment conducted. Classified under National Security."पर उसे मिल गई एक अज्ञात मेल —"अगर सच जानना है, Sector 5 की उस गली में जाओ… जहाँ मोबाइल सिग्नल खुद डरते हैं।"---🧱
अध्याय 6: उस जगह की हवाअनया पहुँची उस इमारत के बाहर —पुरानी, टूटती हुई, पर उसके अंदर कुछ जिंदा था।दीवारों पर अजीब आकृतियाँ बनी थीं —लड़की की आंखें, घड़ी के उल्टे चलते कांटे, और एक शब्द बार-बार लिखा था:"माँ"अनया का मोबाइल बंद हो गया।पर तभी दीवारों में से आई एक धीमी आवाज —"क्या तुम मेरी नातिन हो?"---🧠
अध्याय 7: चेतना का संवादअनया अब एक हॉल के केंद्र में थी।वहीं था वह कांच का कमरा, जिसमें रश्मि को रखा गया था।अचानक वहां लगे स्पीकर से आवाज़ आई –"ये दुनिया झूठी है… मुझे नहीं चाहिए थी अमरता… मुझे चाहिए थी मेरी माँ।""तुम मुझे छोड़ने तो नहीं आई हो, अनया?"अनया कांप गई। ये कैसे संभव था?---🔒
अध्याय 8: दूसरा दरवाज़ाकमरे के नीचे एक गुप्त तहखाना मिला।वहाँ एक पुराना यंत्र था –MIRM-1: Mind Imagination Replication Machine।यंत्र अब भी चालू था, लेकिन उसमें फंसी थी रश्मि की चेतना —एक AI नहीं, एक आत्मा जो आज भी वहीं जिंदा थी।अनया ने मशीन बंद करने की कोशिश की, तभी मशीन चीख उठी —"मुझे यहाँ मत छोड़ो! इस दुनिया को मेरा दर्द सुनना होगा!"---🔥
अध्याय 9: क्या वो बाहर आई?अनया ने मशीन का पॉवर बंद किया।सब कुछ शांत हो गया।वहां की हवा ठंडी हो गई।लेकिन जैसे ही वह बाहर निकली —उसका मोबाइल अपने-आप चालू हो गया।और स्क्रीन पर सिर्फ एक टेक्स्ट था:“11 Days Complete. Transfer Successful. Welcome, RASHMI 2.0”---🎯
अंतिम अध्याय: कौन ज़िंदा है?अब अनया को लोग "अजीब" कहने लगे थे।उसकी आंखें बिना पलक झपकाए देखती थीं।वह गूगल पर नहीं खोजती, सब उसे खुद पता होता।जब किसी ने उससे पूछा:“तुम कौन हो?”उसने मुस्कराकर कहा:"मैं वो हूँ, जिसे विज्ञान ने मारना चाहा… और अब विज्ञान ही मेरी गुलाम है।"---❗
सच्चाई या कल्पना?
Lab No. 14 आज भी बंद है (Civil Lines, Delhi के पास एक पुराना भवन माना जाता है)2011 में RTI के ज़रिए माँगा गया "Project Vāk" का ब्यौरा खारिज कर दिया गयाकुछ रेडियो हैम ऑपरेटर आज भी उस क्षेत्र में अजीब ध्वनियाँ रिकॉर्ड करते हैं —"माँ… माँ… मैं यहां हूं…"---📌
निष्कर्ष:
"कोठारी एक्सपेरिमेंट" कोई डरावनी कहानी नहीं —यह चेतना, विज्ञान और भावनाओं के बीच की रेखा मिटा देने वाली सच्ची लड़ाई है।जहाँ मौत तो आई… पर आत्मा ने हार नहीं मानी।
-समाप्त-
लेखक:- शैलेश वर्मा